घाटी में सेना की मार ने आतंकियों के दांत खट्टे कर दिए हैं !

यह पहला मौका है, जब कश्‍मीर में अजहर के परिवार का कोई सदस्‍य सेना के हत्‍थे चढ़ा है। इससे पहले एक अन्‍य लश्‍कर कमांडर रहमान लखवी का बेटा, दो भतीजे मुठभेड़ में मारे गए थे। पुलवामा मुठभेड़ ऐसे समय में  हुई है, जबकि वैश्विक मंचों से लगातार आतंक को प्रश्रय देने के लिए पाकिस्‍तान की किरकिरी हो रही है। हाल ही में अमेरिका ने पाकिस्‍तान को आतंकी सगंठनों की सूची भी सौंपी है, जिसमें ऐसे 20 संगठनों के नाम शामिल हैं, जो कि भारत व अफगानिस्‍तान में रहकर आंतकवाद को बढ़ावा दे रहे हैं।

सरहद पर सेना की सफलता का दौर जारी है। सुरक्षाबलों ने बीते दिनों अपने आतंकरोधी अभियान के तहत फिर से बड़ी कामयाबी हासिल की। अलग-अलग अभियानों में क्रमवार कुख्‍यात आतंकियों को ढेर करके सुरक्षाबलों ने अपनी वीरता का लोहा फिर मनवाया है। बीते दिनों आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्‍मद के सरगना मसूद अजहर के भतीजे महमूद तल्‍हा रशीद सहित कुछ और आतंकियों को सेना ने मार गिराया। यह मुठभेड़ कश्‍मीर के पुलवामा सेक्‍टर में हुई। हालांकि इस मुठभेड़ में सेना का एक जवान शहीद भी हुआ और दो गंभीर रूप से घायल हुए, लेकिन हमारे जवानों ने आतंकियों के दांत खट्टे कर दिये।

सांकेतिक चित्र

इस अहम मुठभेड़ के तीन दिन पहले ही इन आतंकियों ने राजपोरा थाने के बाहर बने पुलिस के नाके पर हमला किया था। इस मुठभेड़ में एक बात गौर करने योग्‍य रही कि अपने भले-बुरे, हित-अहित से अंजान कम उम्र के लड़कों को आतंकी गतिविधियों में पूरी तरह से लिप्‍त पाया गया। मारा गया एक आतंकी, जिसका नाम अहमद वसीम बताया जाता है, वह मूल रूप से पुलवामा जिले का ही रहने वाला था, लेकिन आतंकी बन गया। यह आतंकी वसीम केवल दो महीने पहले ही आतंकवादी बना था। लेकिन वह दुर्दांत आतंकियों के सतत संपर्क में था। इसके अलावा जैश-ए-मोहम्‍मद के प्रवक्‍ता हसन शाह ने इस बात की भी पुष्टि की है कि मुठभेड़ में मारा गया तल्‍हा रशीद संगठन के सरगना मसूद अजहर का भतीजा था।

यह मुठभेड़ इस अर्थ में भी अहम रही कि यह पहला मौका है, जब कश्‍मीर में अजहर के परिवार का कोई सदस्‍य सेना के हत्‍थे चढ़ा है। इससे पहले एक अन्‍य लश्‍कर कमांडर रहमान लखवी का बेटा, दो भतीजे मुठभेड़ में मारे गए थे। पुलवामा मुठभेड़ ऐसे समय में  हुई है, जबकि वैश्विक मंचों से लगातार आतंक को प्रश्रय देने के लिए पाकिस्‍तान की किरकिरी हो रही है। हाल ही में अमेरिका ने पाकिस्‍तान को आतंकी सगंठनों की सूची भी सौंपी है, जिसमें ऐसे 20 संगठनों के नाम शामिल हैं, जो कि भारत व अफगानिस्‍तान में रहकर आंतकवाद को बढ़ावा दे रहे हैं। इनमें जैश-ए-मोहम्‍मद, हरकत मुजाहिदीन, लश्‍कर-ए-तैयबा जैसे दुर्दांत संगठन हैं। सूची में कई ऐसे संगठन भी हैं, जो लंबे समय से केवल कश्‍मीर को ही निशाना बनाए हुए हैं। इनसे अफगानिस्‍तान व  पाकिस्‍तान भी सुरक्षित नहीं है, क्‍योंकि ये पाकिस्‍तान पर भी हमला करते हैं।

पाकिस्‍तान में इन दिनों हक्‍कानी नेटवर्क जोरों से पनप रहा है, जिसका उल्‍लेख सूची में पुरजोर ढंग से किया गया है। चूंकि, अमेरिका ने पाकिस्‍तान को यह सूची थमाई है, इसका यही अर्थ है कि पाकिस्‍तान खुद गिरेबान में झांककर देखे कि वह कहां है। इस खबर के मीडिया में आने के कुछ दिनों बाद ही पुलवामा में बड़ी मुठभेड़ को अंजाम दिया गया। कहना न होगा कि आतंकी संगठन अब तिलमिला उठे हैं और उन्‍हें पाकिस्‍तान से जो संरक्षण प्राप्‍त हो रहा था, अब वह पूरे विश्‍व के सामने उजागर होने लगा है।

अमेरिका ने पाकिस्‍तान के प्रति सख्त रुख दिखाया है और तमाम बहानों पर सवाल खड़े करते हुए विश्‍व को बता दिया है कि इन संगठनों में वे सभी शामिल हैं, जिन्‍होंने सदा कश्‍मीर को निशाना बनाया है। इनका संबंध ओसामा बिन लादेन व अलकायदा जैसे आतंकी संगठनों से भी रहा है। लश्‍कर व जैशे मोहम्‍मद के राडार पर कश्‍मीर रहा है, इसलिए कश्‍मीर में मुठभेड़ में समय-समय पर मारे जाने वाले आतंकियों की शिनाख्‍त अक्‍सर लश्‍कर या जैशे मोहम्‍मद के आतंकी के रूप में ही होती है।

वार्ताकार दिनेश्वर शर्मा ने जम्मू-कश्मीर में कई प्रतिनिधिमंडलों से मुलाकर की

पाकिस्‍तान की बौखलाहट इस बात से भी प्रकट होती है कि पिछले दिनों जब भारत ने कश्मीरियों से संवाद को कायम रखने के मकसद से दिनेश्वर शर्मा के रूप में वार्ताकार की नियुक्ति की, तो पाकिस्‍तान को उससे बड़ी अड़चन हुई थी। पाकिस्‍तान ने इससे असहमति जताई थी। असल में कश्‍मीर भारत का हिस्‍सा है, इस बात को मानने में पाकिस्‍तान को परेशानी है। भारत का यह ईमानदारी भरा प्रयास भी पाकिस्‍तान के गले नहीं उतर रहा है। यह स्थिति तब है, जबकि भारत की विदेश मंत्री सुषमा स्‍वराज हाल ही में संयुक्‍त राष्‍ट्र संघ में दिए भाषण में पाकिस्‍तान के पिछड़ेपन और आतंकवाद को उजागर कर चुकी हैं।

केंद्र सरकार द्वारा नियुक्‍त वार्ताकार कश्‍मीर की स्थितियों का जायजा ले रहे हैं। हाल ही में उन्‍होंने कश्‍मीर जाकर मुख्‍यमंत्री महबूबा मुफ्ती सहित भाजपा नेताओं से भेंट की। वार्ताकार दिनेश्‍वर शर्मा इंटेलीजेंस ब्‍यूरो के पूर्व प्रमुख हैं। स्‍थानीय पुलिस एवं प्रशासन के आला अधिकारियों से बातचीत में उन्‍होंने स्‍पष्‍ट संकेत दिए कि घाटी में टेरर फंडिंग पर अविलंब लगाम लगाई जाना चाहिये। उनका ऐसा कहना बिल्‍कुल वाजिब है, क्‍योंकि आतंकी गतिविधियां अंडर एवं ओवर ग्राउंड दोनों स्‍तरों पर चल रही हैं। इस दिशा में केन्द्रीय एजेंसियों द्वारा कार्यवाही की भी गयी है। 

टेरर फंडिंग के खिलाफ राष्‍ट्रीय जांच प्राधिकरण की मुहिम, सीमा पर आतंकवाद के खिलाफ सेना की मुहिम और केंद्र में कूटनीतिक स्‍तर पर सरकार की मुहिम अपने-अपने स्‍तर पर चल रही है। स्पष्ट है कि सरकार कश्मीर को लेकर एक ठोस नीति पर आगे बढ़ रही है, जिसमें आवश्यकतानुसार बन्दूक और वार्ता दोनों का सहारा लिया जा रहा है।

(लेखक पेशे से पत्रकार हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)