कारोबारी और कूटनीतिक दृष्टि से बेहद कामयाब रही मोदी की खाड़ी देशों की यात्रा !

मौजूदा समय में भारत मुख्य तौर पर खाड़ी देशों को अनाज, आइरन, स्टील, कपड़े आदि निर्यात करता है, जबकि कच्चे तेल का आयात करता है। लिहाजा, इनके साथ बेहतर कारोबारी संबंध  का होना भारत के लिये लाभदायक है। आजादी के बाद से ही भारत की नीति फिलिस्तीन के प्रति सकारात्मक रही है। अब भारत फिलिस्तीन के साथ तो अपने रिश्ते को और मजबूत करना चाहता ही है, इजरायल से भी मधुर सम्बन्ध बनाने की दिशा में बढ़ रहा है। मौजूदा समय में फिलिस्तीन को कई मामलों में भारत की सहायता की जरूरत है, इसलिए वो भारत-इजरायल की निकटता को लेकर कोई आपत्ति जताने की स्थिति में नहीं है। कुल मिलाकर प्रधानमंत्री मोदी की फिलिस्तीन, यूएई और ओमान की यात्रा कूटनीतिक एवं कारोबारी दृष्टि से बेहद ही मुफीद कही जा सकती है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 9 से 12 फरवरी के दौरान फिलिस्तीन, संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) और ओमान की यात्रा की। इस यात्रा का मकसद था – भारत और खाड़ी देशों के बीच कारोबार, निवेश, सुरक्षा, आतंकवाद के खिलाफ सहयोग बढ़ाना तथा ऊर्जा समेत कई महत्वपूर्ण क्षेत्रों में द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करना। ऐसा करना जरूरी भी है, क्योंकि भारत के लिये इन देशों की महत्ता शुरू से ही महत्वपूर्ण एवं प्राथमिकता वाली रही है। यह भी देखा गया है कि आतंकवादी इन देशों को अक्सर अपना ठिकाना बना लेते हैं, लेकिन द्विपक्षीय समझौते नहीं होने की वजह से भारत के लिये उनके खिलाफ कार्रवाई करने में मुश्किल आती है। माना जा रहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इस विदेश यात्रा से भारत को आतंकवादियों के खिलाफ कार्रवाई करने होने वाली मुश्किलों में कमी आएगी।  

फिलिस्तीनी राष्ट्रपति महमूद अब्बास के साथ प्रधानमंत्री मोदी

फिलिस्तीन यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फिलिस्तीनी राष्ट्रपति महमूद अब्बास के साथ  बैठक की। महमूद अब्बास पिछले साल मई में भारत आये थे। उस समय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें भारत के समर्थन का भरोसा दिलाया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की फिलिस्तीन के राष्ट्रपति महमूद अब्बास के साथ वार्ता बेहद सकारात्मक रही। दोनों देशों ने द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत बनाने पर चर्चा की। भारत ने फिलिस्तीन के लोगों और फिलिस्तीन के विकास के लिए अपनी प्रतिबद्धता जताई। किसी भी भारतीय प्रधानमंत्री की यह पहली फिलिस्तीन यात्रा है। इसके पहले कोई भी भारतीय प्रधानमंत्री फिलिस्तीन नहीं गया था। 

यूएई के दुबई में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने छठे विश्व गवर्नमेंट शिखर सम्मेलन में हिस्सा लिया, जिसमें उन्होंने ‘‘विकास के लिये प्रौद्योगिकी’’ विषय पर व्याख्यान दिया। बाद में प्रधानमंत्री मोदी ने यूएई के साथ 12 समझौतों पर भी हस्ताक्षर किये, जिससे दोनों देशों के बीच के संबंधों में बेहतरी आने के आसार बने हैं।  

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तीन देशों की यात्रा के क्रम में सबसे अंत में दुबई से ओमान पहुँचे। ग्यारह फरवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ओमान के सुल्तान के साथ मुलाकात करके ओमान के सुल्तान कबूस से द्विपक्षीय संबंधों पर व्यापक स्तर पर चर्चा की। इस दौरान भारत और ओमान ने रक्षा, स्वास्थ्य और पर्यटन के क्षेत्र में सहयोग सहित आठ समझौतों पर हस्ताक्षर किये। कहा जा रहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इस यात्रा से भारत और ओमान के बीच द्विपक्षीय संबंध नई ऊंचाई पर पहुँचे हैं। 

ओमान के सुल्तान के साथ प्रधानमंत्री मोदी

दोनों रणनीतिक साझेदारों के बीच व्यापार, निवेश, ऊर्जा, रक्षा, खाद्य सुरक्षा तथा क्षेत्रीय मुद्दों पर सहयोग बढ़ाने के बारे में बातचीत हुई। सुल्तान कबूस ने ओमान के विकास में भारतीयों के अहम योगदान की तारीफ की। दोनों देशों ने विदेश सेवा संस्थान, विदेश मामलों के मंत्रालय, भारत एवं ओमान राजनयिक संस्थान के बीच सहयोग बढ़ाने को लेकर भी समझौता किया।

राष्ट्रीय रक्षा महाविद्यालय, ओमान की सल्तनत और रक्षा अध्ययन तथा विश्लेषण संस्थान के बीच शैक्षिक सहयोग के लिए भी समझौता किया गया। दोनों देशों ने सैन्य सहयोग के समझौते पर भी हस्ताक्षर किये। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि दोनों देशों के राजनीतिक माहौल में उतार-चढ़ाव के बावजूद दोनों देशों के बीच संबंध हमेशा मजबूत रहे हैं, जिसमें ओमान में रह रहे भारतीयों ने अहम भूमिका निभाई है। मौजूदा समय में लगभग नब्बे लाख से अधिक भारतीय खाड़ी क्षेत्र में रहते हैं। 

इस तरह, प्रधानमंत्री मोदी की फिलिस्तीन, यूएई और ओमान की यात्रा कूटनीतिक एवं कारोबारी दृष्टि से बेहद ही मुफीद कही जा सकती है। इसके दूरगामी परिणाम सामने आएंगे। खास करके कारोबारी दृष्टिकोण से। आज देशों के बीच कारोबारी संबंध का बेहतर होना बेहद ही जरूरी है, क्योंकि आर्थिक रूप से मजबूत बनकर ही कोई देश वैश्विक स्तर पर अपनी पहचान बना सकता है। देखा जाये तो कूटनीतिक और सामरिक मजबूती के लिये भी आर्थिक रूप से मजबूत होना जरूरी है। 

मौजूदा समय में भारत मुख्य तौर पर खाड़ी देशों को अनाज, आइरन, स्टील, कपड़े आदि निर्यात करता है, जबकि कच्चे तेल का आयात करता है। लिहाजा, इनके साथ बेहतर कारोबारी संबंध  का होना भारत के लिये लाभदायक है। आजादी के बाद से ही भारत की नीति फिलिस्तीन के प्रति सकारात्मक रही है। अब भारत फिलिस्तीन के साथ अपने रिश्ते को और मजबूत करना चाहता है। मौजूदा समय में फिलिस्तीन को कई मामलों में भारत की सहायता की जरूरत है। दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय समझौते होने से दोनों देशों के कारोबारी संबंधों में और भी प्रगाढ़ता आयेगी।

(लेखक भारतीय स्टेट बैंक के कॉरपोरेट केंद्र मुंबई के आर्थिक अनुसंधान विभाग में कार्यरत हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)