डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी

मोदी 2.0 : वैचारिक प्रतिबद्धताओं को पूरा करने वाला एक साल

नरेंद्र मोदी के दूसरे कार्यकाल को हम वैचारिक संकल्प की कसौटी पर परखें तो समझ में आता है कि आज़ादी के उपरांत जनसंघ के समय से जो वादें पार्टी करती आ रही थी, उन्हें पूरा करने का यश नरेंद्र मोदी को प्राप्त हुआ है।

डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी: ‘उनमें श्रेष्ठता की ऊर्जा थी, वे जिस क्षेत्र में गए श्रेष्ठ बनकर उभरे’

आज भारतीय जनसंघ के संस्‍थापक डॉ. श्‍यामा प्रसाद मुखर्जी का 67वां बलिदान दिवस है। हालांकि उनकी पहचान जनसंघ के संस्‍थापक की तौर पर ही अधिक है लेकिन वे बहुआयामी व्‍यक्तित्‍व के धनी थे।

शिक्षाविद् से लेकर राजनेता तक हर किरदार में कामयाब रहे डॉ मुखर्जी!

डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी भारतीय राजनीति के एक ऐसे महान व्यक्तित्व का नाम है, जिन्होने आज़ादी के पश्चात् देश की एकता–अखंडता के लिए अपने प्राणों का बलिदान दे दिया। राजनेता सहित एक शिक्षाविद और देश के पहले उद्योग मंत्री के नाते भारतीयता व राष्ट्रवाद को लेकर उन्होंने जो विचार दिए, वे आज भी प्रासंगिक हैं।