प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भारतीय संस्कृति के विकसित केंद्र का रूप लेने की ओर अग्रसर काशी

प्रयागराज-हल्दिया की जलमार्ग परियोजना देश के चार राज्यों झारखण्ड, बिहार, उत्तर प्रदेश और बंगाल को जोड़ेगी। इन चार राज्यों में 20 टर्मिनल हैं और इनमें 18 फ्लोटिंग टर्मिनल भी हैं। गौरतलब है कि सरकार ने वॉटर-वे एक्ट 2016 के तहत देश में 111 जलमार्गों को नेशनल वॉटर वे घोषित किया है, जिनकी कुल दूरी 14,500 किमी है। इस पूरे जलमार्ग की योजना के साकार होने पर लगभग एक लाख 60 हजार लोगों को रोजगार मिलने की उम्मीद है।

अगर हम केंद्र की मोदी सरकार और प्रधानमंत्री मोदी के काशी के सांसद के तौर पर चुने जाने के पहले और बाद की स्थिति को देखें तो पाएंगे कि अब वाराणसी विकास के हर मोर्चे पर खरा उतरता हुआ प्रतीत हो रहा है। चाहें वह काशी के गंगा घाटों की साफ़ सफाई की बात हो, शहर की स्वच्छता हो, बिजली-पानी की व्यवस्था हो या फिर सडकों की हालत हो। हर मामले में काशी की स्थिति बदल रही है। अब काशी पुनः भारतीय संस्कृति के एक विकसित केंद्र के रूप में अपनी खोयी हुई पहचान हासिल करने की ओर बढ़ चला है।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी निरंतर अपने संसदीय क्षेत्र का दौरा करते रहे हैं और इसी कड़ी में 15वीं बार वे वाराणसी के दौरे पर पहुंचे हैं। प्रधानमंत्री ने एक सांसद के रूप में अपने उत्कृष्ट विकासनीतियों की बदौलत वाराणसी को हर क्षेत्र में विकसित करने की शुरुआत की है। खुद प्रधानमंत्री मोदी वाराणसी के लिए कार्यान्वित होने वाली योजनाओं पर पैनी नज़र रखते हैं और छह से सात मंत्रालय निरंतर काशी के सर्वांगीण विकास से जुड़ी प्रमुख योजनाओं की आये दिन समीक्षा करते रहते हैं।

अपने इस दौरे के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने काशीवासियों को लगभग 2400 करोड़ रूपए की विकास परियोजनाओं की सौगात दी जिसमें 2300 करोड़ की परियोजनाओं का लोकार्पण हुआ और लगभग सौ करोड़ की परियोजनाओं का शिलान्यास किया गया। प्रधानमंत्री वाराणसी में रामनगर स्थित मल्टी मॉडल टर्मिनल, तेवर ग्राम पेयजल योजना सहित 10 अन्य महत्वपूर्ण परियोजनाओं का लोकार्पण किए। इसके अलावा काशी के विकास से जुड़ी सात परियोजनाओं का भी शिलान्यास भी हुआ।

प्रधानमंत्री द्वारा प्रयागराज-हल्दिया वॉटर हाईवे के मल्टी मॉडल टर्मिनल का भी शुभारंभ किया गया। इस टर्मिनल के शुरू होने से गंगा नदी के रास्ते कारोबार का नया युग शुरू हुआ है। प्रयागराज-हल्दिया जलमार्ग की कुल दूरी 1620 किमी है और यह देश का सबसे लंबा जलमार्ग होगा। 1986 में भी इस जलमार्ग की दिशा में भारत सरकार ने योजना बनाई थी लेकिन यह पूरी नहीं हो सकी थी, जिसके बाद वर्तमान भाजपानीत मोदी सरकार ने इसे धरातल पर उतारा है।

इसके अलावा अपने इस दौरे में पीएम ने जिन परियोजनाओं का लोकार्पण किया उसमें बाबतपुर-वाराणसी फोर लेन, वाराणसी रिंग रोड फेज-1, आईडब्ल्यूटी मल्टी मॉडल टर्मिनल, सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट दीनापुर, सीवरेज पंपिंग स्टेशन, इंटरसेप्शन सीवर एवं पंपिंग स्टेशन, आईपीडीएस न्यू काशी आदि शामिल हैं।

लेकिन इन सबमे सर्वाधिक महत्वपूर्ण प्रयागराज-हल्दिया की जलमार्ग परियोजना है जो देश के चार राज्यों झारखण्ड, बिहार, उत्तर प्रदेश और बंगाल को जोड़ेगी। इन चार राज्यों में 20 टर्मिनल हैं और इनमें 18 फ्लोटिंग टर्मिनल भी हैं। गौरतलब है कि सरकार ने वॉटर-वे एक्ट 2016 के तहत देश में 111 जलमार्गों को नेशनल वॉटर वे घोषित किया है, जिनकी कुल दूरी 14,500 किमी है। इस पूरे जलमार्ग की योजना के साकार होने पर लगभग एक लाख 60 हजार लोगों को रोजगार मिलने की उम्मीद है।

प्रधानमंत्री मोदी ने इस अवसर पर अपने संबोधन में कहा कि वाराणसी और देश इस बात का गवाह बना है कि संकल्प लेकर जब कार्य समय पर सिद्ध किये जाते हैं, तो उसकी तस्वीर भी भव्य और गौरवमयी होती है। विशेष बात यह है कि इन परियोजनाओं की शुरुआत मोदी ने प्रधानमंत्री बनने के बाद करवाई थी और रिकॉर्ड कम समय में इन्हें पूरा भी करवाया है।

कहना न होगा कि प्रधानमंत्री मोदी ने वाराणसी के सांसद के रूप में  वाराणसी की जनता को विकास के नए आयामों से जोड़ा है और काशी की जनता का भी अपने लोकप्रिय सांसद पर निरंतर भरोसा बना हुआ है। केंद्र में प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी और राज्य में मुख्यमंत्री योगी के नेतृत्व में पिछड़ा माने जाने वाला पूर्वांचल भी अब विकास का साक्षी बन रहा है।

(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)