हिंदू धर्म को बदनाम करने वाले बयानों के लिए दिग्विजय पर कार्रवाई क्यों नहीं करती कांग्रेस?

दिग्विजय के इन बयानों को जल्दीबाज़ी या गलती से दिया गया नहीं कह सकते हैं, ये एक सोची-समझी रणनीति के साथ ही  दिग्विजय के मुंह से निकलते हैं। ऐसे बयानों के जरिये उनकी मंशा एक ख़ास समुदाय के तुष्टिकरण की कांग्रेसी नीति को आगे बढ़ाने की होती है। मगर समय का चक्र देखिये कि इतने हथकंडों के बाद भी कांग्रेस को हर जगह मात खानी पड़ रही है।

अपने बड़बोले बयानों से अक्सर नकारात्मक चर्चा में रहने वाले कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह को भारतीय राजनीति के उस धड़े के मुखिया के तौर पर देखा जाना चाहिए, जिन्हें बगैर कोई विवादित टिप्पणी किये चैन की नींद नहीं आती। यह सर्वविदित है कि अपने बयानों से दिग्विजय सिंह प्राय: अपनी और पार्टी की फजीहत कराते रहते हैं, किन्तु ताज्जुब इस बात का है कि कांग्रेस घोर विवादित बयानों के बाद भी उनपर कोई कार्यवाही नहीं करती है।

अब फिर उनका एक विवादित बयान आया है। एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए दिग्विजय सिंह ने कहा कि भगवा वस्त्र पहनकर लोग चूरन बेच रहे हैं, रेप कर रहे हैं। इतना ही नहीं, उन्होंने सनातन के आस्था केंद्र मंदिर को भी नहीं छोड़ा। उन्होंने कहा कि मंदिरों में बलात्कार हो रहे हैं।

अब इन बयानों को सुनने के बाद यह सहजता से अनुमान लगाया जा सकता है कि सनातन के प्रति अपनी कुंठा को व्यक्त करने का कोई अवसर दिग्विजय नहीं छोड़ते हैं। ऐसा लगता है जैसे उन्होंने हिन्दू धर्म को विश्व में बदनाम करने की सुपारी ले रखी है।

देश एक–एक घटनाओं की सच्चाई को उजागर होते देखकर यह समझ गया है कि कांग्रेस और दिग्विजय की नीयत में एक धर्म विशेष के लिए ‘विशेष प्रेम’ और सनातन के लिए घृणा का भाव है। कांग्रेसी शासनकाल के दौरान स्थापित ‘भगवा आतंकवाद’ की भ्रामक थ्योरी अब ध्वस्त हो चुकी है, ऐसे में दिग्विजय सिंह जैसे कांग्रेसी नेताओं को हिन्दुओं के खिलाफ अनर्गल बयानों के जरिये  अपना नैरेटिव आगे बढ़ाने का रास्ता ही नजर आ रहा है और वे वही कर रहे हैं। अभी कुछ दिनों पूर्व ही उन्होंने यह बयान भी दिया था कि मुसलमानों से ज्यादा गैर–मुसलमान आईएसआई के लिए जासूसी कर रहे हैं, जिसके लिए भाजपा नेता राजेश कुमार ने उनपर मानहानि का मुकदमा भी किया है।

दरअसल इन बयानों को जल्दीबाज़ी या गलती से दिया गया नहीं कह सकते हैं, ये एक सोची-समझी रणनीति के साथ ही  दिग्विजय के मुंह से निकलते हैं। ऐसे बयानों के जरिये उनकी मंशा एक ख़ास समुदाय के तुष्टिकरण की कांग्रेसी नीति को आगे बढ़ाने की होती है। मगर समय का चक्र देखिये कि इतने हथकंडों के बाद भी कांग्रेस को हर जगह मात खानी पड़ रही है।

बहरहाल, दिग्विजय के हालिया बयान की बात करें तो इसपर कुछ सवाल उठते हैं जिनके जवाब उन्हें अपने बयान के साथ ही स्पष्ट करने चाहिए थे। पहली चीज कि भगवा पहनकर चूरन बेचने से उनका क्या तात्पर्य है? अगर उनका इशारा बाबा रामदेव की तरफ है, तो शायद उन्हें स्वदेशी के क्षेत्र में पतंजलि के योगदान की जानकारी नहीं है। वो कोई चूरन कंपनी नहीं, स्वदेशी उत्पादों का सबसे बड़ा ब्रांड बन चुका है। दिग्विजय को यह भी बताना चाहिए कि कौन-से मंदिर में रेप हुआ है? अगर वे कठुआ के संदर्भ में यह बात कह रहे तो उन्हें मालूम होना चाहिए कि इस मामले में अभी मंदिर को लेकर कुछ भी साबित नहीं हुआ है।

आखिर में सवाल यह भी है कि क्या अनंत वर्षों से भारतीय सभ्यता-संस्कृति की जड़ों में संचरित सनातन धर्म में इतनी कमियां आ गई हैं कि अब उसे दिग्विजय सिंह जैसे अस्थिर वैचारिकता वाले व्यक्ति के उपदेश की आवश्यकता है? दिग्विजय सिंह क्या चुनावों के समय भी ऐसा बयान दे सकते थे, कभी नहीं। उस समय तो उन्हें और उनकी पार्टी के पूर्व अध्यक्ष महोदय को वोट बटोरने की फिराक में मंदिर-मंदिर घूमना होता है।

बहरहाल, हमें जब बात उठी है तो हमें दूसरे पहलुओं को भी टटोलना होगा जिनका जिक्र दिग्विजय और उनकी कांग्रेस के नेता भूले से भी नहीं करते, क्योंकि इससे उनकी तथाकथित धर्मनिरपेक्षता पर संकट आ सकता है। जब मस्जिदों में मौलवी नाबालिग से रेप करते हुए पकड़ा जाता है, जब चर्च के पादरी महिलाओं से बलात्कार करते पकड़े जाते हैं, उसपर दिग्विजय या उनके जैसा कोई कुछ क्यों नहीं बोलता? लेकिन जैसे ही हिन्दुओं से जुड़ी कोई छोटी-सी घटना भी घटित होती है, ये लोग आसमान सिर पर उठा लेते हैं।

यह बात स्पष्ट रूप से इन तथाकथित धर्मनिरपेक्ष नेताओं के वैचारिक दोहरेपन को दर्शाती है। दिग्विजय के ऐसे बयानों पर कांग्रेस शीर्ष नेतृत्व का मौन भी बहुत कुछ कहता है। लेकिन कांग्रेस शायद समझ नहीं रही कि ऐसे बयान और इन बयानों पर उसका ये रवैया एक बड़ा कारण है कि चुनावों में लगातार उसका सूपड़ा साफ़ हो रहा।

(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)