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झंडा ऊंचा रहे हमारा : अटारी बॉर्डर पर फहरा रहा है देश का सबसे ऊंचा तिरंगा

केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय की पहल पर एनएचएआई ने 3.5 करोड़ रुपए में अटारी बॉर्डर पर 418 फीट के नये ध्वज स्तंभ को स्थापित किया है।

एक ऐसा स्मारक जिसने स्वामी विवेकानंद के विचारों को जीवंत रखा!

विवेकानंद शिला स्मारक ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ का एक जीता जागता उदाहरण है, जिसके निर्माण के दौरान अर्थिक दिक्कत पड़ने पर पूरे राष्ट्र ने आर्थिक योगदान दिया।

ब्याज दरों में संतुलन से देश की विकास दर को मजबूत बनाए रखने में मिल रही सफलता!

विपरीत परिस्थितियों के बीच भी कई विकसित देश (विशेष रूप से अमेरिका एवं यूरोपीय देश) अभी भी ब्याज दरों को बढ़ाते जा रहे हैं। परंतु, भारतीय रिजर्व बैंक ने

विश्व पटल पर छा रही भारतीय संस्कृति

भारत की अध्यक्षता में आज जी-20 के माध्यम से ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ का भारतीय दर्शन विश्व को ‘एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य’ की राह दिखा रहा है।

14 जुलाई को इतिहास रचेगा भारत, इसरो का चंद्रयान-3 होगा प्रक्षेपित

आगामी 14 जुलाई को भारत एक नया इतिहास रचने जा रहा है। इस दिन भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन इसरो का महत्‍वाकांक्षी अभियान चंद्रयान 3 प्रक्षेपित किया जाएगा।

मोदी सरकार के प्रयासों से दुगुनी हो रही किसानों की आय

प्राकृतिक आपदा में किसानों की फसल बर्बाद होने की स्थिति में बीमा कम्पनी द्वारा प्रभावित किसानों को हुए आर्थिक नुकसान की क्षतिपूर्ति की जाती है।

आधुनिक खगोल विज्ञान के लिए भी किसी चमत्कार से कम नहीं है भारतीय काल गणना

कालगणना में क्रमशः प्रहर, दिन-रात, पक्ष, अयन, संवत्सर, दिव्यवर्ष, मन्वन्तर, युग, कल्प और ब्रह्मा की गणना की जाती है। हमारे ऋषियों ने चक्रीय अवधारणा का सुंदर वर्णन किया।

अमेरिकी बैंकों के डूबने का भारतीय बैंकों पर नहीं पड़ेगा कोई असर

किसी भी देश में बैंक इस तरह से न डूबे, इसके लिए जरूरी है कि बैंकिंग नियामक बैंकों पर कड़ी निगरानी रखें और समय-समय पर समीचीन कदम उठाते रहें।

लोकतंत्र के लिए आपातकाल और परिवारवाद जैसे संकटों के प्रति शुरू से आशंकित थे बाबा साहेब !

भारतीय गणतंत्र अपना 74वां उत्सव मना रहा है। यह कई मायनों में भारत की बहुविध संस्कृति और परम्पराओं को साझे तौर पर मनाने का महापर्व है।

गीता जयंती विशेष : मनुष्य और परमात्मा का मूल्यवान संवाद है ‘गीता’

आदि शंकराचार्य से लेकर संत ज्ञानेश्वर, महर्षि अरविंद, लोकमान्य तिलक, महात्मा गांधी, बिनोबा भावे, डॉ. राधाकृष्णन, ओशो और प्रभुपाद जैसे अनेक मनीषी-चिंतकों ने गीता की युगानुरूप मीमांसा करते हुए, नई चिंतन परंपराओं के बीच नए तत्वों की खोजें  की हैं।