रामायण

हनुमान जयंती विशेष : सहजता और सकारात्मकता का संदेश देते हैं बजरंगबली

हनुमान जी रामकथा के संभवतः एकमात्र ऐसे प्रमुख पात्र हैं जिनकी उपस्थिति इस कथा में तो प्रमुखता से है ही, इसके इतर भी वे सक्रियता से उपस्थित दिखाई देते हैं।

इतिहास को सुधारने-संवारने की पहल

शिक्षा मंत्रालय से जुड़ी संसद की स्थायी समिति ने इतिहास में व्याप्त भ्रामक तथ्यों एवं आधारहीन घटनाओं को हटाने और कालखंडो को सही क्रम में संवारने का मन बना लिया है।

यूपी वन महोत्सव : जीवंत होंगे त्रेता युग के पर्यावरण दृश्य

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ राम वनगमन मार्ग को वन महोत्सव अभियान में शामिल करने का अभिनव कार्य करने जा रहे हैं। इसके अंतर्गत इस मार्ग पर त्रेता युग कालीन वाटिकाओं की स्थापना होगी।

भारत की विशेषता है अनेकता में एकता

हम एक सांस्कृतिक राष्ट्र हैं, जो आज से नहीं हज़ारों वर्षों से चलते चले आ रहे हैं। भारत दुनिया की सबसे प्राचीन सभ्यताओं में से इकलौती ऐसी सभ्यता है जो आज भी  मूल रूप में अपने अस्तित्व में है।

भारत के रोम रोम में बसते हैं श्रीराम

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 5 अगस्त, 2020 को अयोध्या जाकर भव्य-दिव्य राम मंदिर की आधारशिला रखेंगे और करोड़ों भारतीयों का सपना साकार करेंगे।

राम और रामायण का विरोध करने वालों की मंशा क्या है?

राम केवल एक नाम भर नहीं, बल्कि वे जन-जन के कंठहार हैं, मन-प्राण हैं, जीवन-आधार हैं। उनसे भारत अर्थ पाता है। वे भारत के प्रतिरूप हैं और भारत उनका। उनमें कोटि-कोटि जन जीवन की सार्थकता पाता है। भारत का कोटि-कोटि जन उनकी आँखों से जग-जीवन को देखता है।

रामनवमी विशेष : भारतीय पंथनिरपेक्षता के प्रतीक पुरुष श्रीराम

पंथनिरपेक्षता का विचार तो खैर अभारतीय है ही, इसलिए आज भी देश का बड़ा मानस इस विचार के साथ खुद को असहज पाता है, कभी खुद को इस विचार के साथ जोड़ नहीं पाता है। अन्य देशों का नहीं पता लेकिन भारत के लिए यह कथित विचार कृतिम है, कोस्मेटिक है, थोपा सा है, अप्राकृतिक है। हालांकि यह भी तथ्य है कि इससे मिलते-जुलते विचार को भारत अनादि काल से जीता आ रहा है। वह विचार है सर्व पंथ

दशहरा विशेष : भारत ही नहीं, दुनिया के अनेक देशों में आयोजित होती है रामलीला

रामकथा और रामलीला केवल भारत तक ही सीमित नहीं हैं, विश्व के अनेक देशों में व्यापक पैमाने पर रामलीला का आयोजन होता है। इंडोनेशिया मुस्लिम देश है, फिर भी यहां रामलीला बहुत लोकप्रिय है। यहां के लोग स्वीकार करते हैं कि श्री राम उनके पूर्वज हैं। यह बात अलग है कि उनकी उपासना पद्धति अलग है। गत वर्ष अयोध्या में भव्य दीपावली मनाई गई थी, उसमें कोरिया की महारानी मुख्यातिथि के रूप में शामिल हुई थीं। उनका कहना था कि वह भी श्री राम की वंशज हैं।

रामलीला के विश्वव्यापी रंग

मानवीय क्षमता की सीमा होती है। वह अपने ही अगले पल की गारंटी नहीं ले सकता। इसके विपरीत नारायण की कोई सीमा नहीं होती। वह जब मनुष्य रूप में अवतार लेते हैं, तब भी आदि से अंत तक कुछ भी उनसे छिपा नहीं रहता। लेकिन वह अनजान बनकर अवतार का निर्वाह करते है। भविष्य की घटनाओं को देखते हैं, लेकिन प्रकट नहीं होते देते। इसी को उनकी लीला कहा

वह बौद्ध देश जहाँ राम राजा हैं और राष्ट्रीय ग्रंथ है रामायण !

भारत से बाहर अगर हिन्दू प्रतीकों और संस्कृति को देखना-समझना है, तो थाईलैंड से उपयुक्त राष्ट्र शायद ही कोई और हो सकता। दक्षिण पूर्व एशिया के इस देश में हिन्दू देवी-देवताओं और प्रतीकों को आप चप्पे-चप्पे पर देखते हैं। यूं थाईलैंड बौद्ध देश है, पर इधर राम भी अराध्य हैं। यहां की राजधानी बैंकाक से सटा है अयोध्या शहर। वहाँ के लोगों की मान्यता है कि यही थी श्रीराम की राजधानी। थाईलैंड के बौद्ध मंदिरो में आपको