समावेशी विकास, युवा सशक्तिकरण और बुनियादी ढाँचे की मजबूती को साकार करने वाला बजट

बजट में बुनियादी ढांचे को मजबूत बनाने के लिए 10 लाख करोड़ का खर्च करने का प्रस्ताव किया गया है। इस क्रम में रेलवे के मद में 2.40 लाख करोड़ रुपए खर्च किए जायेंगे। बुनियादी ढांचे को मजबूत करने से आर्थिक गतिविधियों, रोजगार सृजन, ऋण व उत्पाद की मांग आदि में तेजी आने की संभावना है। 

वित्त वर्ष 2023-24 के लिए 1 फरवरी 2023 को बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने समावेशी विकास को सुनिश्चित करने, हरित विकास पर ध्यान देने, युवा शक्ति को सशक्त बनाने, वित्तीय क्षेत्र को मजबूत बनाने, सरकारी सुविधाओं को अंतिम व्यक्ति तक पहुंचाने,  बुनियादी ढांचे को विकसित करने और मौजूदा क्षमताओं का समुचित दोहन करने की बात कही।  

वित्त मंत्री ने बजट में बैंकों के कामकाज में सुधार के लिए बैंकिंग नियमन अधिनियम और भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम में संशोधन करने का प्रस्ताव किया है। हालांकि, एक लंबे समय से सरकार बैंकिंग क्षेत्र को मजबूत बनाने के लिए समीचीन कदम उठा रही है, जिसके कई सकारात्मक परिणाम देखने को मिल रहे हैं। उनमें से सबसे अहम है चालू वित्त वर्ष में बैंकों के मुनाफे में अभूतपूर्व इजाफ़ा होना। 

सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा किए गए सुधारों की वजह से बैंकों की परिसंपत्ति गुणवत्ता में भी सुधार आया है और सकल एनपीए अनुपात सितंबर 2022 में घटकर 7 साल के निचले स्तर 5 प्रतिशत पर आ गया है और सकल गैर-निष्पादित संपत्ति (जीएनपीए) अनुपात के मार्च 2023 में 4.9 प्रतिशत रहने का अनुमान है।

बजट में बुनियादी ढांचे को मजबूत बनाने के लिए 10 लाख करोड़ का खर्च करने का प्रस्ताव किया गया है। इस क्रम में रेलवे के मद में 2.40 लाख करोड़ रुपए खर्च किए जायेंगे। बुनियादी ढांचे को मजबूत करने से आर्थिक गतिविधियों, रोजगार सृजन, ऋण व उत्पाद की मांग आदि में तेजी आने की संभावना है। 

कोरोना काल में सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) पर बहुत ज्यादा नकारात्मक प्रभाव पड़ा था, जिनके पुनर्वास के लिए सरकार कोरोना काल से ही प्रयास कर रही है और वित्त वर्ष 2023-24 के बजट में एमएसएमई के लिये नई कर्ज गारंटी योजना शुरू करने की बात कही गई है। इसके तहत देश में मौजूद 84 हजार से अधिक स्टार्ट अप्स के लिए 1 अप्रैल 2023 से एमएसएमई को 2 लाख करोड़ रुपए तक ऋण दिया जाएगा। 

पूर्व में इमरजेंसी क्रेडिट लिंक्ड गारंटी स्कीम (ईसीएलजीएस)  योजना से एमएसएमई क्षेत्र को बहुत ज्यादा फायदा हुआ है। देश में 6 करोड़ से अधिक एमएसएमई इकाइयां हैं, जिनमें 12 करोड़ से अधिक लोग काम करते हैं। उल्लेखनीय है कि यह क्षेत्र देश की जीडीपी में लगभग 35 प्रतिशत का योगदान देता है।

समावेशी विकास का अर्थ होता है समाज के सभी तबके के विकास को सुनिश्चित किया जाये।  इसलिए, जनजातीय समूहों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति में सुधार के लिए पीएमपीबीटीजी विकास मिशन शुरू करने की घोषणा बजट में की गई है। इस योजना पर आगामी 3 सालों में 15,000 करोड़ रुपए खर्च किए जायेंगे। 

बैंकों के ऋण वितरण में जून 2021 के बाद से तेजी बरकरार है। सभी क्षेत्रों में ऋण वृद्धि देखी जा रही है, लेकिन गैर-खाद्य बैंक ऋण में सालाना वृद्धि दिसंबर 2022 में बढ़कर 15.3 प्रतिशत तक पहुंच गई। हालाँकि, ऋण वृद्धि की रफ्तार जमा वृद्धि से ज्यादा है, जिससे बैंकों पर पूंजी जुटाने का दबाव बढ़ रहा है।

13 जनवरी 2023 तक, ऋण वृद्धि सालाना आधार पर 16.5 प्रतिशत  थी, जबकि जमा वृद्धि 10.6 प्रतिशत थी। आर्थिक समीक्षा के अनुसार कम एनपीए अनुपात, कॉरपोरेट क्षेत्र के मजबूत बुनियादी आधार और बढ़ती ऋण ब्याज दरों के बावजूद कारोबार में निवेश बढ़ाने के लिए ऋण की मांग और बैंक ऋण का प्रवाह बढ़ रहा है। 

हाल में हुई ऋण वृद्धि के विश्लेषण से पता चलता है कि ऋण वृद्धि की गति में तेजी मुख्य तौर पर छोटे ऋणों और आवास ऋणों में आई तेजी के कारण मुमकिन हो सकी है। आवासीय मांग बढ़ने से निवेश में तेजी आयेगी। कृषि और संबद्ध गतिविधियों के लिए ऋण की मांग को सरकार के रियायती संस्थागत कर्ज से मदद मिली है।

बजट में कृषि क्षेत्र को ऋण देने के लक्ष्य को बढ़ाकर 20 लाख करोड़ रुपये करने का प्रस्ताव किया गया है और प्रधानमंत्री आवास योजना के लिए आवंटन 66 प्रतिशत बढ़ाकर 79,000 करोड़ रुपये से अधिक कर दिया गया है, जिससे बैंकों के कारोबार में इजाफा होगा और विकास की गति भी बेहतर होगी।  

बजट में परंपरागत हस्तशिल्प कारीगरों के लिए ‘पीएम विश्वकर्मा कौशल सम्मान’ योजना की घोषणा की गई है, जिसके लिए वित्तीय समर्थन दिया जाएगा। इसके तहत उत्पादन बढ़ाने और विपणन की गति में तेजी लाया जाएगा। मछली पालन के लिए 6000 करोड़  रुपए की रियायती ऋण योजना शुरू की जायेगी। 

कृषि क्षेत्र के लिए अलग से एक कोष बनाया जाएगा, क्योंकि कोरोना काल और उसके बाद भी कृषि क्षेत्र ने विकास की गति को बरकरार रखने में अपनी अहम भूमिका निभाई है। बजट में किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) के तहत 20 लाख करोड़ रुपए ऋण वितरित करने का लक्ष्य रखा गया है।

पिछले बजट में यह लक्ष्य 18.5 लाख करोड़ रुपए था। इसके अलावा डिजिटल पब्लिक इन्फ्रास्ट्रक्चर फॉर एग्रीकल्चर योजना की मदद से किसानों को खाद, बीज, बाजार आदि की जानकारी मिल सकेगी, जबकि एग्रीकल्चर एक्सीलेटर फंड के जरिये युवाओं को गाँवों में स्टार्टअप शुरू करने में मदद मिलेगी। 

अर्थव्यवस्था में संगठित क्षेत्र का दायरा बढ़ा है, क्योंकि, कर्मचारी भविष्य निधि संगठन की सदस्यता में दोगुनी वृद्धि हुई है और यह बढ़कर 27 करोड़ हो गई है, जो यह बताता है कि हमारी अर्थव्यवस्था औपचारिक हो रही है अर्थात अब कामगारों के कल्याण हेतु सरकार बेहतर तरीके से काम कर सकती है।

चालू वित्त वर्ष में मुद्रास्फीति 6.8 प्रतिशत रहने का अनुमान है, लेकिन इसमें आगामी महीनों में कमी आने की संभावना है। वित्त वर्ष 2023-24 के लिए राजकोषीय घाटा के जीडीपी का 5.9 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया है, जिसे वित्त वर्ष 2025-26 तक 4.5 प्रतिशत से नीचे लाने का लक्ष्य रखा गया है।

वर्तमान मूल्य पर जीडीपी वृद्धि दर 2023-24 में 11 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया गया है। वर्ष 2014 में मौजूदा सरकार सत्ता में आई थी, लेकिन सिर्फ 9 सालों में प्रति व्यक्ति आय दोगुनी से अधिक बढ़कर 1.97 लाख रुपये हो गई है और भारतीय अर्थव्यवस्था इस अवधि में दुनिया की 10वीं से 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गई है। ऐसे में यह कहना समीचीन होगा कि बजट प्रावधानों, सतत निजी खपत में तेजी, बैंक कर्ज में वृद्धि और कंपनियों के पूंजीगत व्यय में सुधार से भारतीय बैंक और भारतीय अर्थव्यवस्था दोनों मजबूत बने रहेंगे। 

(लेखक भारतीय स्टेट बैंक के कॉरपोरेट केंद्र मुंबई के आर्थिक अनुसंधान विभाग में कार्यरत हैं। आर्थिक मामलों के जानकार हैं। प्रस्तुत विचार उनके निजी हैं।)