मोदी राज में दलितों आदिवासियों के आये अच्छे दिन

केंद्र सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि दलितों और आदिवासियों को अत्याचार से मुक्ति दिलाकर समरसता लाने के अंबेडकर के सपने को पूरा करने का हरसंभव प्रयास किया जाएगा। नरेंद्र मोदी सरकार ने दलितों और आदिवासियों के खिलाफ अत्याचार रोकने के लिए एससी/एसटी कानून में व्यापक बदलाव किया है। नए प्रावधानों से अब दलितों और आदिवासियों को जल्द न्याय मिलना संभव हो सकेगा। दलित उत्पीड़न के सभी मामलों में अब जांच एजेंसी को 60 दिनों के अंदर जांच पूरी कर आरोप पत्र दाखिल करना होगा।

नरेंद्र मोदी सरकार ने दलितों और आदिवासियों के खिलाफ अत्याचार रोकने के लिए एससी/एसटी कानून में व्यापक बदलाव किया है। नए प्रावधानों से अब दलितों और आदिवासियों को जल्द न्याय मिलना संभव हो सकेगा। दलित उत्पीड़न के सभी मामलों में अब जांच एजेंसी को 60 दिनों के अंदर जांच पूरी कर आरोप पत्र दाखिल करना होगा। इसके अलावा वंचित तबके की महिलाओं के साथ दुष्कर्म होने पर पहली बार राहत राशि देने का प्रावधान किया जा रहा है। महिला अपराध के मामलों में खासतौर पर सख्ती बरती जाएगी। पीड़ित महिलाओं को कानूनी मदद देने का इंतजाम भी किया जाएगा।1सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रलय ने दलित/आदिवासी उत्पीड़न कानून में संशोधन कर इसकी अधिसूचना जारी कर दी है। बाबा साहेब अंबेडकर की जयंती पर विगत 14 अप्रैल को यह अधिसूचना जारी की गई थी। अब विभिन्न सरकारी एजेंसियों और राज्य सरकारों को इस पर अमल करने को कहा जा रहा है। केंद्र सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने शनिवार को बताया कि दलितों और आदिवासियों को अत्याचार से मुक्ति दिलाकर समरसता लाने के अंबेडकर के सपने को पूरा करने का हरसंभव प्रयास किया जाएगा। अंबेडकर की राजनीतिक विरासत पर दावा करने के साथ ही सरकार ने यह कदम उठाकर अपनी जमीन और मजबूत कर ली है। नए नियमों में कहा गया है कि अब राज्य, जिला और सब डिवीजन स्तर पर एक विशेष समिति का गठन किया जाएगा। उसकी नियमित बैठकों के जरिये इस योजना की नियमित समीक्षा की जाएगी।
’ एससी/एसटी कानून के नए प्रावधानों में सरकार का सबसे ज्यादा जोर तुरंत न्याय दिलाने पर है। इस कानून के उल्लंघन के किसी मामले में जांच एजेंसी को दो महीने के अंदर आरोप पत्र पेश करना होगा। दलित और आदिवासी महिलाओं से दुष्कर्म के मामले में राहत राशि देने का प्रावधान पहली बार किया गया है। दुष्कर्म के मामलों में पांच लाख और सामूहिक दुष्कर्म के मामलों में 8.25 लाख रुपये की मदद दी जाएगी। अश्लील इशारे या पीछा करने जैसे यौन उत्पीड़न की शिकार महिलाओं को राहत पाने के लिए मेडिकल परीक्षण कराना अनिवार्य नहीं होगा। महिलाओं के खिलाफ गंभीर किस्म के मामलों में सुनवाई पूरी होते ही उन्हें राहत राशि दी जा सकेगी।
खबर स्त्रोत: दैनिक जागरण