ग्रामीण विकास को गति देने वाला बजट

वित्त वर्ष 2022-23 के बजट के प्रावधानों के तहत भारतीय रेलवे छोटे किसानों और मीडियम इंटरप्राइजेज़ को माल ढुलाई की सेवा देने के लिए नये उत्पादों और ढुलाई सेवा का विकास करेगा, ताकि कृषि से जुड़े उत्पादों को एक जगह से दूसरी जगह ले जाने में आसानी हो और किसानों को अपने उत्पादों की वाजिब कीमत मिल सके।

देश में खेती-किसानी के साथ-साथ सम्बद्ध क्षेत्रों जैसे, पशुपालन, बागवानी, मुर्गी पालन, मछली पालन, वानिकी, रेशम कीट पालन, कुक्कुट पालन व बत्तख पालन आदि का ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में अहम योगदान है इसके अलावा, ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने का काम सुक्ष्म, लघु व मझौले उद्योग और सेवा क्षेत्र भी कर रहे हैं एक अनुमान के अनुसार  ग्रामीण अर्थव्यवस्था में कृषि और संबद्ध क्षेत्र की हिस्सेदारी 50 प्रतिशत है और बचे हुए 50 प्रतिशत में उद्योगों और सेवा क्षेत्र की भागीदारी है।

वित्त वर्ष 2022-23 के बजट के प्रावधानों के तहत भारतीय रेलवे छोटे किसानों और मीडियम इंटरप्राइजेज़ को माल ढुलाई की सेवा देने के लिए नये उत्पादों और ढुलाई सेवा का विकास करेगा, ताकि कृषि से जुड़े उत्पादों को एक जगह से दूसरी जगह ले जाने में आसानी हो और किसानों को अपने उत्पादों की वाजिब कीमत मिल सके। 

बजट में केन-बेतवा नदी को आपस में जोड़ने के लिए 44,000 करोड़ रुपए की परियोजना की घोषणा की गई है, जिससे लगभग 9 लाख हेक्टेयर भूमि की सिंचाई की जा सकेगी और 62 लाख लोगों को पीने का पानी मिल सकेगा। साथ ही, 103 मेगावाट हाइड्रो पावर और 27 मेगावाट सोलर पावर का उत्पादन किया जा सकेगा। न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी एमएसपी की राशि अब सीधे किसानों के खाते में जमा की जायेगी, जिससे किसानों को बिचौलिये को लेवी नहीं देना होगा। ग्रामीण क्षेत्र में 100 गति शक्ति कार्गो टर्मिनल बनाये जायेंगे। साथ ही, पीएम गति शक्ति योजना के तहत ग्रामीण इलाकों में भी सड़क, परिवहन, लॉजिस्टिक अवसंरचना का विस्तार किया जायेगा। 

बजट में शहरी और ग्रामीण लोगों के लिए 80 लाख घर बनाने का प्रस्ताव है, जिससे ग्रामीण क्षेत्र में मांग और आपूर्ति में तेजी आने और रोजगार सृजन को बल मिलने की संभावना है।

गंगा के किनारे 5 किमी चौड़े गलियारों में किसानों की जमीन पर जैविक खेती की जायेगी। सरकारी मदद मिलने से रसायन मुक्त फसलों के उत्पादन में बढ़ोतरी होने का अनुमान है। इसे प्रोत्साहित करने के लिए सरकार पीपीपी मॉडल अपनायेगी। केंद्र सरकार पर्याप्त पैदावार को सुनिश्चित करने हेतु नई तकनीकों को अपनाने के लिए किसानों को प्रोत्साहित करेगी और फसल, फल और सब्जियों की उन्नत क़िस्मों को किसानों तक पहुँचाने का काम करेगी।  

फसलों की बुआई, उनके स्वास्थ्य का आकलन, भूमि रिकॉर्ड का डिजिटलीकरण, खेतों में कीटनाशकों और पोषक तत्वों के छिड़काव के लिए सरकार ड्रोन के इस्तेमाल को प्रोत्साहन देगी, क्योंकि जनसंख्या के लिहाज से भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा देश है और क्षेत्रफल के हिसाब से सातवां बड़ा देश। ऐसे में इतनी बड़ी आबादी को अन्न सुरक्षा देना बेहद चुनौतीपूर्ण कार्य है। इसलिए, जरूरी है कि पारंपरिक खेती की बजाय आधुनिक तकनीक की मदद से खेती-किसानी की जाये। 

खेती की बढ़ती लागत और प्राकृतिक आपदाओं के कारण भी किसानों को नुकसान उठाना पड़ रहा है। ऐसे में ड्रोन तकनीक के इस्तेमाल से किसान लागत और समय की बचत कर अपनी आमदनी बढ़ा सकते हैं। पारंपरिक तरीके से कीटनाशकों का छिड़काव करने से किसानों के स्वास्थ्य पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। आज अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, इजराइल समेत कई देशों में खेती के लिए ड्रोन का इस्तेमाल किया जा रहा है। ड्रोन में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तकनीक का भी इस्तेमाल किया जाता है। इससे फसल की गुणवत्ता की देखरेख और फसल उत्पादन का आकलन किया जा सकेगा। 

भारत में विगत 1 साल के अन्दर ड्रोन की मांग में 15 गुना का इजाफा हुआ है. ड्रोन इंडस्ट्री अभी करीब 5,000 करोड़ रुपए की है। सरकार का अनुमान है कि यह 5 वर्षों में 15 से 20 हजार करोड़ की इंडस्ट्री होगी। सरकार इसके इस्तेमाल को बढ़ावा देने के लिए लगातार नियमों को आसान बना रही है, जिससे  रोजगार बढ़ने की संभावना है। एक अनुमान के अनुसार इस क्षेत्र में 3 साल के अन्दर लगभग 10,000 नई नौकरियां पैदा हो सकती हैं।

बजट में सह-निवेश मॉडल के तहत नाबार्ड के माध्यम से किसानों का वित्त पोषण करने का प्रस्ताव है. इसका प्रयोग उन स्टार्टअप को वित्तीय सहायता उपलब्ध कराने में किया जायेगा, जो खेती और ग्रामीण विकास के लिए काम करेंगे। वैसे, स्टार्टअप के जरिये अभी भी एफपीओ की सहायता की जा रही है, छोटे किसानों को कृषि उपकरण उपलब्ध कराये जा रहे हैं और  कृषकों को आईटी आधारित सेवाएँ उपलब्ध कराई जा रही हैं। हालांकि, ऐसे स्टार्टअप की संख्या अभी कम है।

किसानों के लिए आज पराली एक बड़ी समस्या बन गई है। इसलिए, थर्मल पावर प्लांट में कुल प्रयोग होने वाले ईंधन में से 5 से 7 प्रतिशत कृषि अवशेषों का उपयोग किया जायेगा। इससे फसल अवशेष जलाने की घटनाओं में कमी आयेगी। वर्ष 2023 को पोषक अनाज वर्ष घोषित किया गया है. देश में मोटे अनाज की पैदावार को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार कटाई उपरांत उसके भंडारण व खपत को बढ़ाने के लिए सहायता करेगी। साथ ही, सरकार मोटे अनाज से बने उत्पादों की राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ब्रांडिंग करेगी। 

केंद्र सरकार, राज्य सरकारों को अपने कृषि विश्व विधालयों में बदलाव करने के लिए भी प्रोत्साहित करेगी, ताकि छात्रों और किसानों को जीरो बजट व जैविक खेती, आधुनिक कृषि व मूल्य संवर्धन और कृषि प्रबंधन के लिए प्रशिक्षित किया जा सके. कृषि वानिकी और निजी वानिकी को बढ़ावा देने के लिए सरकार योजनाएँ बनायेगी और इसे अपनाने के लिए अनुसूचित जाति और जनजाति के किसानों को आर्थिक सहायता उपलब्ध करायेगी।  

ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए सरकार निरंतर कार्य कर रही है। प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (पीएलआई) योजना की मदद से 14 महत्वपूर्ण क्षेत्रों में सरकार पहले से ही निवेश करने का काम कर रही है. आपातकालीन क्रेडिट लाइन गारंटी योजना (ईसीएलजीएस) को मार्च 2023 तक बढ़ाने की घोषणा की गई है। 

बजट प्रावधानों के अनुसार ईसीएलजीएस गारंटी कवर को 5 लाख करोड़ रुपये कर दिया गया है, जिसमें से 50,000 करोड़ रुपये का प्रावधान आतिथ्य क्षेत्र के लिए किया गया है। वित्त मंत्री के अनुसार ईसीएलजीएस के जरिये 130 लाख से अधिक एमएसएमई को ऋण कोरोना काल में दिया गया है, जिससे मह्ममारी के दौरान इन्हें अपने अस्तित्व को बचाने में मदद मिली है। ईसीएलजीएस योजना को लागू करने की वजह से 13.5 लाख एमएसएमई खाते एनपीए होने से बच गए हैं। अगर ये खाते एनपीए होते तो 1.5 करोड़ लोगों की नौकरियां चली जाती और लगभग 6 करोड़ लोगों की जीविका भी प्रभावित होती। 

बजट में क्रेडिट गारंटी ट्रस्ट फॉर माइक्रो एंड स्माल इंटरप्राइजेज़ (सीजीटीएमएसइ) योजना को पुनर्जीवित करने की बात भी कही गई है। इससे सूक्ष्म और लघु उद्यमों  को 2 लाख करोड़ रूपये का अतिरिक्त ऋण एमएसएमई क्षेत्र को मिल सकेगा, जिससे रोजगार सृजन में तेजी आयेगी. वित्त मंत्री ने बजट में 6,000 करोड़ रुपए खर्च करने की घोषणा की है, जिससे  एमएसएमई क्षेत्र को ज्यादा लचीला, प्रतिस्पर्धी और दक्ष बनने में मदद मिलेगी। 

कहा जा सकता है कि भले ही ताजा बजट प्रस्तावों से तत्काल में आम लोगों को लाभ मिलता नजर नहीं आ रहा है, लेकिन आगामी महीनों या सालों में इनके फायदे ग्रामीण क्षेत्र में निश्चित रूप से दृष्टिगोचर होंगे।

(लेखक भारतीय स्टेट बैंक के कॉरपोरेट केंद्र मुंबई के आर्थिक अनुसंधान विभाग में कार्यरत हैं। आर्थिक मामलों के जानकार हैं। प्रस्तुत विचार उनके निजी हैं।)