मोदी की हत्या की साजिश के खुलासे पर कांग्रेस की शर्मनाक राजनीति

यह शर्मनाक है कि देश के निर्वाचित प्रधानमंत्री की सुरक्षा को लेकर इतना गंभीर एवं ज्‍वलंत मुद्दा चल रहा है और कांग्रेस ऐसे मसले पर भी राजनीति करने में लगी है। संजय निरुपम के शब्‍द हैं कि लोकप्रियता घटने पर भाजपा ऐसे खुलासे करवाती है। शायद निरुपम के पास जानकारियों और तथ्‍यों का गहरा अभाव है, तभी ऐसा कह रहे हैं। अन्यथा उन्हें पता होता कि भाजपा की लोकप्रियता वर्ष दर वर्ष, चुनाव दर चुनाव बढ़ती ही गई है।

देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हत्‍या की साजिश का खुलासा चिंताजनक है। पुणे में पुलिस ने अदालत में इस आशय का एक पत्र प्रस्‍तुत करते हुए यह खुलासा किया कि नक्‍सली तत्‍व पीएम मोदी की हत्‍या की साजिश रच रहे थे और यह योजना भी पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी केस की तरह ही बनाई जा रही थी। सभी जानते हैं कि राजीव गांधी को वर्ष 1991 में मानव बम से मार दिया गया था। पुलिस का कहना है कि इस साल के आरंभ में भीमा-कोरेगांव में एक हिंसा के मामले में 5 आरोपियों की धरपकड़ के बाद यह जानकारी सामने आई।

पुणे की स्‍पेशल कोर्ट में शासकीय अधिवक्‍ता ने बताया कि दिल्‍ली में आरोपी जैकब विल्‍सन के फ्लैट से यह पत्र बरामद हुआ है, जिसमें लिखी इबारत से साफ पता चलता है कि नरेंद्र मोदी और भाजपा का विजयी अभियान निश्चित ही अराजक तत्‍वों की आंखों में बुरी तरह खटक रहा है।

मोदी के नेतृत्‍व में 15 से अधिक राज्‍यों में भाजपा की सरकारें बनीं, यह बात नफरत करने वालों को चुभ रही है। पत्र में लिखा है कि हम राजीव गांधी जैसी एक और घटना के बारे में विचार कर रहे हैं। प्राथमिक तौर पर इस मामले में अभी माओवादियों की संलिप्तता सामने आई है, लेकिन चूंकि मामले की पूरी तहकीकात अभी बाकी है, इसलिए हो सकता है कि इसमें लिप्‍त अभी कई नाम और सामने आएं।

प्रधानमंत्री की सुरक्षा को लेकर गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा है कि पीएम की सुरक्षा पूरी गंभीरता से की जा रही है। लेकिन सवाल यह उठता है कि आखिर ये कौन लोग हो सकते हैं और माओवादियों को पीएम मोदी से ऐसी क्‍या समस्‍या हो गई जो वे हत्‍या की साजिश रचने लगे हैं।

यह भी विचार करने योग्‍य है कि उक्‍त पत्र 18 अप्रैल, 2017 में लिखा गया है और इसके आरोपी जनवरी में पकड़े गए। सभी जानते हैं कि यह चुनावी वर्ष है। कई राज्‍यों में इस साल आम चुनाव होने हैं। नरेंद्र मोदी हर बार चुनावों में लगातार एवं नियमित रूप से सभाओं को संबोधित करते हैं, रोड शो करते हैं एवं जनता के बीच जाकर सक्रियता दिखाते हुए गतिविधियों में शामिल होते हैं। ऐसे में हो सकता है कि आरोपियों को यह एक साफ्ट टारगेट प्रतीत हुआ हो।

इस प्रकरण का दूसरा पहलू देखा जाए तो इस प्रकार के पत्र सामने लाने का ध्‍येय अवाम में असुरक्षा एवं घबराहट बढ़ाना भी हो सकता है। इधर, महाराष्‍ट्र सरकार तुरंत हरकत में आ गई है। मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस ने कहा है कि देश भर में नक्‍सली गतिविधियों को लेकर सुराग जुटाए जा रहे हैं। पुलिस को तकनीकी सामग्री मिली है, जिन्‍हें कोर्ट में पेश किया जाएगा।

मगर विडंबना यह है कि इतने संवेदनशील अवसर पर भी कांग्रेस नेता संजय निरुपम ने हमेशा की तरह अपने वैचारिक दिवालियेपन का परिचय देते हुए कहा कि यह सब भाजपा द्वारा प्रचारित किया जा रहा है। हालांकि उन्‍होंने औपचारिक रूप से मामले की जांच की बात कही, लेकिन एक बार फिर से अपने कांग्रेसी संस्‍कारों का परिचय देकर साबित कर दिया कि वे एक विपक्ष का काम भी ठीक से करने में अक्षम हैं।

यह शर्मनाक है कि देश के निर्वाचित प्रधानमंत्री की सुरक्षा को लेकर इतना गंभीर एवं ज्‍वलंत मुद्दा चल रहा है और कांग्रेस ऐसे मसले पर भी राजनीति करने में लगी है। संजय निरुपम के शब्‍द हैं कि लोकप्रियता घटने पर भाजपा ऐसा करती है। शायद निरुपम के पास जानकारियों और तथ्‍यों का गहरा अभाव है। भाजपा की लोकप्रियता वर्ष दर वर्ष, चुनाव दर चुनाव बढ़ती ही गई है। 15 राज्‍यों में भाजपा के मुख्यमंत्री हैं, सहयोगी दलों के साथ यह आंकड़ा बढ़कर 22 हो जाता है। इसके चलते कांग्रेस बुरी तरह हीनता की ग्रंथि से ग्रस्‍त होती जा रही है।

इसलिए आश्‍चर्य नहीं होना चाहिये कि संजय निरुपम जैसे अपरिपक्‍व और बड़बोले नेता बौखलाहट में उलजलूल बयान दे रहे हैं। लेकिन संजय निरुपम की ऐसी गैर-जिम्मेदाराना और शर्मनाक बयानबाजी पर कांग्रेस शीर्ष नेतृत्व के मौन का क्या अर्थ है। कहीं संजय निरुपम के बयान को कांग्रेस शीर्ष नेतृत्व की मौन स्वीकृति तो नहीं हैं ?

गौरतलब है कि पुणे पुलिस को जो पत्र मिला है, उसमें 8 करोड़ रुपए जुटाने की बात कही गई है। साथ ही राइफल, कारतूस आदि भी खरीदने का जिक्र किया गया है। इसके आधार पर ही प्रस्‍तावित वारदात को राजीव गांधी जैसी घटना से जोड़कर देखा जा रहा है। हालांकि पुणे की पुलिस ने 5 लोगों को पकड़ा है जो कि सीपीआई-माओवादी संगठन से जुड़े हैं। पुलिस की मानें तो ये पांचों अरबन माओइस्‍ट यानी शहरी नक्‍सली गिरोह के नेता हैं।

यह पहला अवसर नहीं है जबकि नरेंद्र मोदी के खिलाफ इस प्रकार की साजिश की बातें सामने आई हैं। 2005 में भी सोहराबुद्दीन शेख के एनकाउंटर के समय पुलिस ने दावा किया था कि मृतक पाकिस्‍तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई के साथ मिलकर तत्‍कालीन गुजरात के मुख्‍यमंत्री नरेंद्र मोदी की हत्‍या की योजना बना रहा था।

वर्ष 2013 में भी सिमी के आतंकी नरेंद्र मोदी पर हमला करने की फिराक में थे। वर्ष 2016 में हैदराबाद धमाकों के आरोपी आतंकी यासीन भटकल व तहसीन अख्‍तर भी मोदी की हत्‍या का साजिश कर रहे थे। वर्ष 2017 में भी लंदन स्थित कुछ आतंकी पीएम मोदी और यूपी सीएम आदित्‍यनाथ योगी की हत्‍या की साजिश कर रहे थे। पिछले साल ऐसे ही मामले का सुराग मिलने पर पुलिस ने एक अली नामक आतंकी को पकड़ा था।

इस साल भी गुजराट एटीएस ने दावा किया था कि इस्‍लामिक स्‍टेट से संदिग्‍ध रूप से जुड़ा उबैद मिर्जा भी नरेंद्र मोदी पर स्‍नाइपर मिसाइल अटैक करने की फिराक में था। करीब दो माह पहले ही तमिलनाडु पुलिस ने रफीक नामक आरोपी को मोदी की हत्‍या की साजिश के चलते गिरफ्तार किया। इस क्रम में कुछ और उदाहरण जोड़े जा सकते हैं, लेकिन सबसे अहम सवाल ये है कि आखिर इतनी सारी ताकतें मिलकर नरेंद्र मोदी को क्‍यों मारना चाहती हैं ?

जवाब बहुत स्‍पष्‍ट और साफ है। नरेंद्र मोदी एक पूरी तरह से राष्‍ट्र के प्रति समर्पित नेता हैं, जिन्‍होंने देश के निर्माण के लिए अपना पूरा जीवन लगा दिया है। उन्‍होंने परिवार का विस्‍तार नहीं किया और स्‍वयं के स्‍वार्थों, जरूरतों को परे रखकर केवल देश के लिए ही सदा कार्य करते रहे।

ऐसा बिरला नेता आज मिलना मुश्किल है। निश्चित ही मोदी के रहते यह देश विश्व गुरु की परिकल्‍पना को साकार होते देख सकता है। यदि ऐसा ना भी हुआ तो भी यह देश अपनी विविधता में भी पल्‍लवित और स्थिर रहेगा। नरेंद्र मोदी के रहते ही इस देश से कांग्रेस का धीरे-धीरे सफाया होता जा रहा है। कांग्रेस स्‍वयं अपने इस अभूतपूर्व अंत की साक्षी बनी हुई है।

अंत की ओर बढ़ रही कांग्रेस का रुख भाजपा विरोधी होते-होते राष्‍ट्र विरोधी हो जाता है। भाजपा राष्‍ट्रवाद का पर्याय बनकर उभरी है और इस कुशल संचालन की बागडोर जिन दृढ़ हाथों में हैं, वे नरेंद्र मोदी हैं। मोदी के वजूद से आतंकियों को खतरा है, लिहाजा वे मोदी को रास्‍ते से हटाना चाहते हैं। लेकिन देश की जनता का समर्थन और शुभकामनाएँ मोदी के साथ हैं। इस साज़िश के खुलासे के मद्देनजर उनकी सुरक्षा को और कड़ा कर दिया जाना जाना चाहिए।

(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)