यूपी चुनाव में भाजपा की जीत का आधार है विकास और सुशासन

भाजपा ने उत्तर प्रदेश समेत उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर में शानदार वापसी की है जो रेखांकित करता है अगर सरकारें विकास और सुशासन की बुनियाद पर काम करें तो उन्हें जनता का आशीर्वाद मिलना तय है। उत्तर प्रदेश में भाजपा की प्रचंड जीत का महत्व इसलिए भी है कि विगत साढ़े तीन दशक में यहां किसी भी सरकार की सत्ता में वापसी नहीं हुई। लेकिन भाजपा ने यह कमाल कर दिखाया है। 

उत्तर प्रदेश समेत पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव के नतीजे से साफ है कि देश में भारतीय जनता पार्टी की स्वीकार्यता लगातार बढ़ रही है। भाजपा ने उत्तर प्रदेश समेत उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर में शानदार वापसी की है जो रेखांकित करता है अगर सरकारें विकास और सुशासन की बुनियाद पर काम करें तो उन्हें जनता का आशीर्वाद मिलना तय है। उत्तर प्रदेश में भाजपा की प्रचंड जीत का महत्व इसलिए भी है कि विगत साढ़े तीन दशक में यहां किसी भी सरकार की सत्ता में वापसी नहीं हुई। लेकिन भाजपा ने यह कमाल कर दिखाया है। 

गौर करें तो भाजपा की यह प्रचंड जीत ढेर सारे निहितार्थों को समेटे हुए है। वस्तुतः जब भी कोई सरकार सत्ता में वापसी करती है तो उसके कई कारण होते हैं। लेकिन विकास और सुशासन शीर्ष पर होता है। इस नजरिए से देखें तो  योगी सरकार सफल रही। यह सच्चाई है कि जिस राज्य में कानून-व्यवस्था मजबूत और अवसंरचना का तेजी से विस्तार होता है विकास का पहिया भी वहीं घूमता है। निवेश और प्रतिव्यक्ति आय में वृद्धि होती है। 

साभार : DNA India

गौर करें तो विकास का पहिया चार तरह के इंजनों के बूते दौड़ता है। एक, निजी निवेश यानी नई परियोजनाओं में निजी क्षेत्र का निवेश। दूसरा, सार्वजनिक खर्च यानी बुनियादी ढांचे वाली विकास परियोजनाओं में सरकार का निवेश। तीसरा, आंतरिक खपत यानी वस्तुओं व सेवाओं की खपत। और चौथा वाह्य खपत यानी वस्तुओं का निर्यात। 

उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने इन चारों इंजनों को गतिशील रखा। यह संभव इसलिए हुआ कि राज्य में कानून का शासन जनभावनाओं के अनुकूल रहा। गौर करें तो इन पांच वर्षों में योगी सरकार ने संगठित अपराध की कमर तोड़ दी है। वांछित अपराधी मारे गए या सलाखों के पीछे गए। 2017 में सत्ता की कमान संभालते ही योगी सरकार ने न सिर्फ दंगे और दंगाइयों पर नकेल कसने में कामयाब रही बल्कि व्यक्तिगत और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वाले अराजक तत्वों को भी कुचल डाला। 

सरकार ने सार्वजनिक क्षति की भरपायी के लिए ‘यूपी रिकवरी ऑफ़ डैमेज टू पब्लिक एंड प्राइवेट प्रापर्टी’ कानून को आकार दिया। इसका सकारात्मक नतीजा यह हुआ कि अराजक तत्व दुबक गए जिससे राज्य में निवेश की गति तेज हुई और सुक्ष्म, लघु और मझोले उद्योग जमीन पर उतरने प्रारंभ हो गए। उत्तर प्रदेश सरकार ने अवसंरचनाओं को मजबूती देने के लिए बिजनेस रिफार्म एक्शन प्लान पर अमल किया जिससे निवेशकों को आकर्षित करने में मदद मिली। 

सरकार ने 21 नई नीतियों के बरक्स निवेश मित्र पोर्टल बनाकर उस पर 227 सेवाएं शामिल कर उद्यमियों को निवेश के लिए आकर्षित किया। इस पहल से तीन लाख करोड़ रुपए के निवेश को जमीनी आकार देने में मदद मिली। सरकार की ‘एक जिला एक उत्पाद’ की नीति से स्थानीय स्तर पर रोजगार को बढ़ावा मिला और निर्यात में तेजी आयी। 

याद होगा सरकार ने 2018 में प्रदेश की राजधानी लखनऊ में इन्वेस्टर्स समिट का आयोजन किया। इस आयोजन में सरकार और औद्योगिक घरानों के बीच कई समझौते हुए जिससे तकरीबन 1.25 लाख करोड़ लागत की औद्योगिक परियोजनाओं को जमीन पर उतारा गया। तब इन्वेस्टर्स समिट में 4.28 लाख करोड़ रुपए के एमओयू पर हस्ताक्षर हुए। रेखांकित करने वाला तथ्य यह कि इस आयोजन में प्रधानमंत्री के साथ-साथ देश के जाने-माने उद्योगपतियों और विदेशी कारोबारियों ने शिरकत की। 

इसके अलावा सरकार ने उत्तर प्रदेश को महाराष्ट्र और गुजरात की तर्ज पर विकसित करने के लिए दो ग्राउंड बेकिंग सेरेमनी का आयोजन किया। इस पहल से 60 हजार करोड़ रुपए की लागत की 81 परियोजनाएं और 65 हजार करोड़ रुपए की 291 परियोजनाओं को जमीनी आकार दिया गया। सरकार के आंकड़ों के मुताबिक कोरोना काल यानी 2020 से मार्च 2021 के बीच उत्तर प्रदेश में 4861 करोड़ रुपए का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश हुआ है। कुल निवेश 75000 करोड़ रुपए से अधिक है। 

उत्तर प्रदेश सरकार ने निवेश बढ़ाने और ‘इज ऑफ़ डूइंग’ बिजनेस को सुधारने में उल्लेखनीय प्रगति की है। आज उत्तर प्रदेश ‘इज ऑफ़ डूइंग’ बिजनेस मामले में महाराष्ट्र के बाद देश में दूसरे स्थान पर है। सुक्ष्म, लघु और मझोले उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने कारोबारियों को प्रोत्साहित किया है। जनवरी 2020 तक 16,691.18 करोड़ रुपए लागत की 1,26,321 सुक्ष्म, लघु और मझोले (एमएसएमई) और भारी औद्योगिक इकाईयां स्थापित हो चुकी हैं। 

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अर्थव्यवस्था के मामले में 2017 में पांचवे नंबर पर रहने वाला उत्तर प्रदेश अब तमिलनाडु, कर्नाटक और गुजरात को पीछे छोड़ देश की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था का तमगा हासिल कर चुका है। उत्तर प्रदेश सरकार राज्य की अर्थव्यवस्था को मजबूती देने के लिए लगातार नए-नए विकल्प आजमाती देखी गयी। मसलन सरकार ने डिफेंस एक्सपो कार्यक्रम का आयोजन कर देश-विदेश की रक्षा कंपनियों को आकर्षित कर अपनी अर्थव्यवस्था की मजबूती के साथ रोजगार का सृजन किया। 

इसी तरह सूखाग्रस्त इलाके बुंदेलखंड में रक्षा औद्योगिक गलियारा की नींव रख न सिर्फ इस इलाके को दुनिया के नक्शे पर ला दिया है बल्कि इसके जरिए मेक इन इंडिया अभियान को आगे बढ़ाया। उत्तर प्रदेश सरकार पिछड़े बुंदेलखंड के विकास के लिए बुंदेलखंड एक्सप्रेस वे का निर्माण करा रही है। उधर, केंद्र सरकार ने केन-बेतवा परियोजना को हरी झंडी दिखाकर बुंदेलखंड की तस्वीर बदलने का रोडमैप खींच दिया है। 

गौर करें तो उत्तर प्रदेश में क्षेत्रीय असंतुलन अन्य राज्यों की अपेक्षा बहुत अधिक है। इस असंतुल को पाटने का सबसे बुनियादी जरुरत एक्सप्रेसवे का इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार करना होता है। सरकार इस दिशा में पहल करते हुए पूर्वांचल एक्सप्रेस वे जो कि राजधानी लखनऊ से गाजीपुर तक जुड़ा हुआ है, को जनता के लिए समर्पित कर दिया है।

किसी भी राज्य के विकास के लिए कनेक्टिविटी सबसे जरुरी संसाधन होता है। कनेक्टिविटी बढ़ने से राज्य के विकास को गति मिलती है। इसे ध्यान में रखते हुए उत्तर प्रदेश सरकार इंटरनेशनल एयरपोर्ट की संख्या में वृद्धि कर रही है। योगी सरकार ने उत्तर प्रदेश में तकरीबन एक दर्जन से अधिक हवाई अड्डों को आकार दिया है। 

दर्जनों शहरों में मेट्रो रेल परियोजनाओं का खाका खींचा है। राज्य के बड़े शहर मसलन लखनऊ, नोएडा, कानपुर, गाजियाबाद में बढ़ती भीड़ को देखते हुए मेट्रो सेवा का विस्तार किया है। उत्तर प्रदेश की सरकार जन आरोग्य योजना के तहत तकरीबन 6.47 करोड़़ लोगों को 5 लाख रुपए का बीमा कवर और मुख्यमंत्री जन आरोग्य योजना में 42.19 लाख लोगों को 5 लाख रुपए का बीमा कवर दिया है। कोरोना से निपटने के लिए मुफत वैक्सीनेशन कार्य में सफलता का कीर्तिमान रचा है।

आत्मनिर्भर भारत योजना में 1320696 इकाईयों को 43541 करोड़ रुपए का ऋण और 12949 मीट्रिक टन व प्रधानमंत्री गरीब अन्न योजना में 59 लाख मीट्रिक टन खाद्यान्न का वितरण किया है। सरकार ने सभी को आवास से संतृप्त करने के लिए 40 लाख से अधिक प्रधानमंत्री आवास निर्मित किया है। 

2.61 करोड़ शौचालयों का निर्माण होने से 10 करोड़ से अधिक लोग लाभान्वित हुए हैं। शिक्षा में सुधार के लिए 1.35 लाख सरकारी स्कूलों का कायाकल्प हुआ है। चूंकि उत्तर प्रदेश एक कृषि प्रधान राज्य है ऐसे में कृषि और किसान सरकार की शीर्ष प्राथमिकता में हैं। देखा भी गया कि 2017 में सत्ता का कमान थामते ही योगी सरकार ने कैबिनेट की पहली बैठक में ही लघु एवं सीमांत किसानों के एक लाख रुपए तक का फसली ऋण माफ कर दिया। इससे कर्ज में डूबे लाखों किसानों को राहत मिली और 2.15 करोड़ किसान लाभान्वित हुए।

योगी सरकार किसानों की आय 2022 तक दोगुना करने और किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य दिलाने के लिए कई योजनाओं पर काम कर रही है। इसे ध्यान में रखते हुए सरकार ने गन्ना किसानों का 1.45 लाख करोड़ रुपए का भुगतान कर उनके चेहरे पर खुशियां बिखेरी है। 

सरकार ने तीन तलाक पीड़ित महिलाओं को सरकारी मदद के दायरे में लाने के साथ-साथ हाशिए पर पड़े लोगों को कोरोना संकट में अनाज उपलब्ध कराया। दूसरी ओर केंद्र की मोदी और योगी सरकार ने रामनगरी अयोध्या में दीपोत्सव, तीर्थराज प्रयागराज में कुंभ का सफल आयोजन और वाराणसी में काशी विश्वनाथ काॅरिडोर का लोकापर्ण जैसे कार्यों को पूर्ण कर भारतीय जनमानस की सांस्कृति चेतना को मजबूत किया है। सच कहें तो उत्तर प्रदेश में भाजपा की प्रचंड जीत विकास और सुशासन की ही जीत है।

(लेखक वरिष्ठ टिप्पणीकार हैं। प्रस्तुत विचार उनके निजी हैं।)