आज भी प्रासंगिक है डॉ. मुखर्जी की भारतीयता के प्रति सोच

नेशनलिस्ट ऑनलाइन डेस्क 

5 जुलाई 2016 को डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी और नेहरू मेमोरियल पुस्तकालय एवं संग्रहालय के संयुक्त तत्वाधान में ‘डा. श्यामा प्रसाद 13557934_1204682929552702_8835325314134156702_n
मुखर्जीः मेरे सपनों का भारत’ विषय पर व्याख्यान का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के तौर पर एकात्म मानव दर्शन अनुसंधान एवं विकास अधिष्ठान के अध्यक्ष डा. महेश चंद्र शर्मा, भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव एवं राज्य सभा सदस्य भुपेन्द्र यादव रहे एवं अध्यक्षता प्रख्यात इतिहासकार प्रो. लोकेश च्रंद्रा ने किया। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव एवं राज्य सभा सदस्य भुपेन्द्र यादव ने डॉ. मुखर्जी और उनके बलिदान पर प्रकाश डालते हुए कहा कि वर्तमान दौर में डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी के आर्दश और भारतीयता के प्रति उनकी सोच पहले से ज्यादा प्रासंगिक है। उन्होने कहा कि जिस प्रकार भारतीय राजनीति जाति के भंवर जाल में फंसती जा रही है, ऐसे मर्ज का इलाज केवल डॉ. मुखर्जी के विचार और उनका दर्शन है।

कार्यक्रम में बतौर मुख्य वक्ता एकात्म मानव दर्शन अनुसंधान एवं विकास अधिष्ठान के अध्यक्ष डॉ. महेश चंद्र  शर्मा ने भारतीय जनसंघ की स्थापना पर  विस्तार से चर्चा की। उन्होने भारतीय राजनीति में संघ की भूमिका पर भी प्रकाश डाला तथा पटेल के उस दौरान के विचारों को साझा किया जब सरदार पटेल चाहते थे कि संघ का विलय कांग्रेस में हो जाए। इसके अलावे डॉ. शर्मा ने जनसंघ से जुड़े अन्य महत्वपूर्ण और अनछुए पहलुओं पर चर्चा की। श्यामा प्रसाद मुखर्जी शोध अधिष्ठान के निदेशक डॉ. अनिर्बान गांगुली  ने डॉ. मुखर्जी के शैक्षणिक और राजनीतिक योगदान पर विस्तार से चर्चा की। कार्यक्रम के अंत में सभा की अध्यक्षता कर रहे प्रख्यात इतिहासकार प्रोफेसर लोकेश चंद्र ने डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी से जुडे़ अपने व्यक्तिगत अनुभव साझा किए।

कार्यक्रम में डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी शोध अधिष्ठान के संस्थापक सदस्य टी.एन चतुर्वेदी, पूर्व आइएएस अधिकारी प्रमोद प्रकाश श्रीवास्तव सहित विभिन्न संस्थानों से जुड़े लोग उपस्थित थे।