जीडीपी में निरंतर वृद्धि दिखाती है कि भारतीय अर्थव्यवस्था रफ़्तार पकड़ रही है !

निर्माण क्षेत्र में तीसरी तिमाही में 6.8% की दर से बढ़ोतरी हुई, जबकि पहली तिमाही में इसमें 5.2% की दर से वृद्धि हुई थी। वित्त वर्ष, 18 में सेवा क्षेत्र में वृद्धि दर 8.3% रही, जो वित्त वर्ष, 17 के 7.5% से बेहतर है, जिसका कारण व्यापार, होटल, परिवहन, संचार और सेवा क्षेत्र में 8.3%, वित्त, रियल एस्टेट और व्यावसायिक सेवा में 7.2% आदि की दर से वृद्धि होना है।

सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के ताजा आंकड़े अर्थव्यवस्था को लेकर आश्वस्त करते हैं। केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक अक्तूबर से दिसंबर, 17 की तिमाही में जीडीपी वृद्धि दर बढ़ कर 7.2 प्रतिशत पहुंच गई, जो वित्त वर्ष, 17 की दूसरी तिमाही में 6.5% थी। यह वृद्धि पिछली 5 तिमाहियों में सबसे अधिक है। यही नहीं, ताजा आंकड़ों के साथ भारत ने जीडीपी की वृद्धि दर के मामले में चीन को भी पीछे छोड़ दिया है।

उम्मीद के मुताबिक वित्त वर्ष, 18 की तीसरी तिमाही में जोड़ी गई सकल कीमत 6.7% रही, जो दूसरी तिमाही में 6.2% थी। इसका कारण विनिर्माण क्षेत्र में 8.1% दर की वृद्धि और व्यापार, होटल, परिवहन, संचार आदि उप क्षेत्रों में 9.0% दर की वृद्धि का होना है। विगत दो तिमाहियों में जीवीए में वृद्धि कम जीवीए डिफ्लेटर के कारण हुई थी, लेकिन वित्त वर्ष, 18 की तीसरी तिमाही में जीडीपी और जीवीए डिफ्लेटर दोनों में बढ़ोतरी हुई है, जो अर्थव्यवस्था में सुधार का संकेत है।  

सांकेतिक चित्र

केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (सीएसओ) ने वित्त वर्ष, 18 के लिये अनुमान लगाया है कि जीवीए विकास दर 6.4% रहेगा, जो वित्त वर्ष, 17 में 7.1% था। वित्त वर्ष, 18 के लिये वास्तविक जीडीपी में वृद्धि दर का अनुमान 6.6% लगाया गया था, जबकि वित्त वर्ष, 17 में यह 7.1% था। सीएसओ ने वित्त वर्ष, 17 के लिये 46 आधार अंक (औसत) बढ़ोतरी के साथ जीवीए में 7.1% वृद्धि दर का संशोधित अनुमान लगाया है। दिलचस्प बात यह है कि वित्त वर्ष, 17 की तीसरी तिमाही में जीवीए में बढ़ोतरी हुई, जबकि जीडीपी में गिरावट दर्ज की गई। वित्त वर्ष, 18 की तीसरी तिमाही में जीडीपी में बढ़ोतरी का यह भी एक महत्वपूर्ण कारण हो सकता है।

वित्त वर्ष, 18 के लिए भी कृषि क्षेत्र में 3% की दर से वृद्धि होने का अनुमान है। उद्योग क्षेत्र में वित्त वर्ष, 18 की तीसरी तिमाही में 6.8% की दर से वृद्धि हुई, जो दूसरी तिमाही में 5.9% की दर से वृद्धि हुई थी, जिसका कारण विनिर्माण जीवीए में 8.1% की दर से वृद्धि होना है। कॉर्पोरेट जीवीए में भी 11.3% की दर से वृद्धि हुई है।   

वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही के दौरान खनन और उत्खनन क्षेत्र में (0.1%) की दर से नकारात्मक वृद्धि होने का मूल कारण आधार वर्ष में बदलाव है। निर्माण क्षेत्र में तीसरी तिमाही में 6.8% की दर से बढ़ोतरी हुई, जबकि पहली तिमाही में इसमें 5.2% की दर से वृद्धि हुई थी। वित्त वर्ष, 18 में सेवा क्षेत्र में वृद्धि दर 8.3% रही, जो वित्त वर्ष, 17 के 7.5% से बेहतर है, जिसका कारण व्यापार, होटल, परिवहन, संचार और सेवा क्षेत्र में 8.3%, वित्त, रियल एस्टेट और व्यावसायिक सेवा में 7.2% आदि की दर से वृद्धि होना है।

व्यय के संदर्भ में जीएफसीएफ में वित्त वर्ष, 18 की तीसरी तिमाही में 12.0% की वर्ष-दर-वर्ष वृद्धि दर्ज की गई, जबकि पिछली तिमाही में इसमें 6.9% की दर से वृद्धि दर्ज की गई थी। मौजूदा कीमतों पर जीएफसीएफ में 9.7% की दर से वृद्धि होने की उम्मीद है, जबकि स्थिर मूल्य पर इसमें 7.6% की दर से वृद्धि होने की संभावना है। पूँजीगत क्षेत्र में गिरावट के कारण समग्र निवेश में कमी आने की बात कहना पूरी तरह से सही नहीं हो सकता है। पिछले साल के आंकड़े बताते हैं कि वित्त वर्ष, 17 के दौरान जीएफसीएफ में निजी गैर-वित्तीय कार्पोरेट क्षेत्र का हिस्सा बढ़कर 42.2% हो गया, जबकि वित्त वर्ष, 15 में यह 35.9% और वित्त वर्ष, 16 में 41.1% रहा। कुल मिलाकर जीडीपी में यह वृद्धि संकेत देती है कि सरकार की पहलों से भारतीय अर्थव्यवस्था अब रफ़्तार पकड़ने लगी है।

(लेखक भारतीय स्टेट बैंक के कॉरपोरेट केंद्र मुंबई के आर्थिक अनुसन्धान विभाग में कार्यरत हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)