कर्नाटक : ‘122 से 78 सीटों पर पहुँचने के लिए कांग्रेस को खूब-खूब जश्न मुबारक !’

जिस पार्टी का मुख्यमंत्री हार जाए, मंत्री हार जाएं, फिर भी पार्टी जश्न मनाए, तो वो वाकई में ‘मुबारकबाद’ की ही हक़दार है। जेडीएस के तो ज्यादातर उम्मीदवारों की जमानत ही जब्त हो गई, मगर फिर भी उसका मुख्यमंत्री राज्य को मिल रहा, ऐसे में जश्न की मुबारकबाद तो जेडीएस को भी दी ही जानी चाहिए।

कर्नाटक चुनाव के नतीजे आने के बाद गत दिनों भाजपा अध्यक्ष अमित शाह मीडिया के सामने आए और खुलकर अपनी बात देश के सामने रखी। एक घंटे से ज्यादा चली उनकी इस प्रेसवार्ता में भाजपा ने कांग्रेस के दोहरे चरित्र पर सवाल उठाया और पूछा कि क्या वाकई कांग्रेस पार्टी को बहुमत मिल गया है ? क्या कांग्रेस को जनता ने सत्ता से बाहर नहीं कर दिया ? चुनाव पूर्व एकदूसरे के खिलाफ खम ठोंकने वाले कांग्रेस और जेडीएस अगर बाद में गलबहियां करके घूमें तो इसे जनता के साथ छल नहीं तो और क्या माना जाए ? वास्तव में भाजपा के ये सवाल बेदम नहीं है।

दरअसल कांग्रेस को यह भ्रम हो रहा है  कि उसको जीत हासिल हुई है, ऐसे में उसे कर्नाटक की सड़कों पर विजय-यात्रा ज़रूर निकालनी चाहिए, फिर जनता कांग्रेस को उसकी जीत का मतलब अच्छे-से समझा देगी। जेडीएस के विधायकों को भी अपने निर्वाचन क्षेत्र में जाना चाहिए तो मालूम होगा कि उन्हें चुनने वाली जनता उनके कांग्रेस से जा मिलने पर कितनी खुश है।

भाजपा की बात करें तो जब किसी के पास बहुमत न हो, तो क्या सबसे बड़ी पार्टी सरकार बनाने का दावा पेश न करे ?  इसमें गलत क्या हुआ, अनुचित क्या हुआ ? जो इसपर सवाल उठाया जा रहा है। जब भाजपा चुनाव के बाद 104 सीटों के साथ नंबर एक पार्टी बनी है, तो उसका सरकार बनाने के लिए दावा पेश करना गलत कैसे हो गया। उसने दावा पेश किया, फिर बहुमत सिद्ध होते नहीं दिखा तो मुख्यमंत्री ने इस्तीफा दे दिया। इसमें कुछ गलत नहीं है।   

कर्नाटक में कांग्रेस 122 से 78 सीटों पर सिमट गई, लेकिन वह जश्न मना रही है; ऐसा जश्न कांग्रेस को बहुत-बहुत मुबारक! आज भले ही कांग्रेस खुश है, लेकिन कर्नाटक की जनता जश्न नहीं मना रही है, उसके जनादेश के साथ छल हुआ है। जिस पार्टी का मुख्यमंत्री हार जाए, मंत्री हार जाएं, फिर भी पार्टी जश्न मनाए, तो वो वाकई में ‘मुबारकबाद’ की ही हक़दार है। जेडीएस के तो ज्यादातर उम्मीदवारों की जमानत ही जब्त हो गई, मगर फिर भी उसका मुख्यमंत्री राज्य को मिल रहा, ऐसे में जश्न की मुबारकबाद तो जेडीएस को भी दी ही जानी चाहिए।

देखा जाए तो कर्नाटक में जीत हासिल करने के लिए कांग्रेस ने सारी हदें पार कर दी। झंडे का मुद्दा उठाया, हिन्दुओं को बांटने की राजनीति की, दलितों को भड़काया। हजारों की तादाद में फेक आईडी बनवाई, फर्जी मतदान सूची बनवाई गई, ऐसे तमाम हथकण्डे कांग्रेस ने अपनाए, मगर फिर भी जनता ने उसे सत्ता से बाहर का रास्ता दिखा दिया। इस चुनाव में धन और सत्ता का जितना दुरूपयोग कांग्रेस ने किया, शायद किसी भी पार्टी ने नहीं किया।  

भाजपा द्वारा सरकार बनाने की कोशिश को लोकतंत्र के लिए खतरा बताने वाली कांग्रेस को भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने अपनी प्रेसवार्ता में याद दिलाया कि “केवल इंदिरा गांधी के समय 50 से ज्यादा बार धारा 356 का इस्तेमाल कर सरकारें गिरा दी गयी थीं।” भाजपाध्यक्ष ने कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को कांग्रेस का इतिहास पढ़ लेना चाहिए। बहरहाल, कर्नाटक में कांग्रेस-जेडीएस की सरकार बनने के बाद कितने समय तक टिक पाएगी, ये कहना कठिन है; मगर ये सरकार जितने दिन भी चलेगी, वो कर्नाटक की जनता के जनादेश के साथ छल ही होगा।

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)