प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दृढ़ और दूरदर्शी नेतृत्व में प्रगति-पथ पर अग्रसर भारत

भारतीय राजनीति को लंबे अरसे बाद मोदी के रूप में ऐसा नेतृत्व मिला है, जिसकी जनता में अद्भुत पकड़ है। वे ओपिनियन मेकर हैं। ट्रेंड सेटर हैं। उनकी मास अपील इतनी प्रभावी है कि उनके एक संदेश पर जनता संबंधित कार्य करने में जुट जाती है। चाहे वह मोदी के आग्रह पर गैस सब्सिडी छोड़ना हो या ‘जनता कर्फ्यू’ का पालन करना हो या ताली-थाली बजाना हो अथवा एक निश्‍चित समय पर दीपक प्रज्ज्वलित करना हो। मोदी जो आग्रह करते हैं, जनता वह करती है।

गत 17 सितंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का 73वां जन्मदिन था। इस अवसर पर देश व दुनिया के नेताओं एवं विभिन्‍न क्षेत्रों की हस्तियों ने उन्‍हें जन्‍मदिन की शुभकामनाएं प्रेषित कीं। जिस बड़ी संख्‍या में उन्‍हें शुभकामना संदेश मिले, वो उनकी व्यापक लोकप्रियता का ही प्रकटीकरण थे। वे वर्तमान में लगातार दूसरी बार प्रधानमंत्री एवं इससे पहले लगातार तीन बार मुख्‍यमंत्री रहने वाले एक सफल और अनुभवी राजनेता हैं। पिछले करीब नौ वर्ष से केंद्र की सत्ता में रहते हुए भी उनकी लोकप्रियता दिनों दिन बढ़ती ही जा रही है। उनके नेतृत्व और शासन के लिए ‘सत्ता विरोधी रुझान’ जैसी बातें बेमतलब ही साबित हुई हैं।

बीते कुछ वर्षों में विभिन्‍न प्रकार के वैश्विक सर्वेक्षण हुए हैं जो इंगित करते हैं कि मोदी की लोकप्रियता का ग्राफ उत्‍तरोत्‍तर बढ़ा है। हाल ही में अमेरिका के मॉर्निंग कंसल्ट के एक सर्वेक्षण के अनुसार, प्रधान मंत्री नरेंद्रमोदी ने 76 प्रतिशत रेटिंग के साथ वैश्विक नेताओं की अनुमोदन रेटिंग सूची में शीर्ष पर अपना स्थान बरकरार रखा है। अमेरिका स्थित कंसल्टेंसी फर्म के ‘ग्लोबल लीडर अप्रूवल रेटिंग ट्रैकर’ ने दावा किया कि 76 फीसदी लोग पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व को स्वीकार करते हैं।

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी सोशल मीडिया पर लिखा कि, “नवीनतम मॉर्निंग कंसल्ट सर्वेक्षण से पता चलता है कि पीएम नरेंद्र मोदी जी की लोकप्रियता वैश्विक नेताओं के बीच बेजोड़ बनी हुई है। यह न केवल विदेश नीति में मोदी की नीतियों की सफलता का प्रमाण है, बल्कि लाखों लोगों को गरीबी से बाहर निकालने में मोदी जी की निर्विवाद उपलब्धियों, उनके जीवन स्तर में सुधार के निस्वार्थ प्रयासों और लोगों के उनके प्रति अटूट विश्वास की वैश्विक मान्यता भी है।‘ बता दें कि इससे पहले की रेटिंग में भी मोदी शीर्ष पर रहे थे।

नरेंद्र मोदी के समर्थकों की बड़ी आबादी के बीच ही उनके विरोधियों की भी कमी नहीं है। लेकिन विरोधी खेमे के पास मोदी की लोकप्रियता के जादू का कोई जवाब नहीं है। 2014 में पहली बार प्रधानमंत्री बनने के बाद से मोदी ने देश में कुछ इस तरह का माहौल बनाया है कि आज राष्ट्रीय विचारों, भारतीय विरासत के गौरव जैसी चीजों को महत्वपूर्ण माना जाने लगा है।

अपने दोनों कार्यकाल में मोदी ने कुछ कड़े एवं बड़े फैसले लिए हैं, जिनकी वजह से उनकी छवि एक सख्‍त एवं दृढ़ प्रशासक की बन गई है लेकिन उन्‍होंने स्‍वयं अभिनेता अक्षय कुमार से साक्षात्‍कार में यह खुलासा किया था कि कैबिनेट की बैठकों में वे माहौल को हल्‍का-फुल्‍का बनाए रखने की पूरी कोशिश करते हैं। वे कभी चुटकुले सुनाते हैं, कभी आमोद-प्रमोद करते हैं ताकि माहौल खुशनुमा बना रहे। उनकी यही खासियत उन्‍हें एक बेहतर एवं सर्व-समावेशी नेतृत्‍वकर्ता बनाती है।

एक संघ प्रचारक के तौर पर अपना सार्वजनिक जीवन शुरू करके मोदी ने लंबे समय तक संघ का कार्य किया। वे प्रचारक रहे। परिव्राजक रहे। 1987 में जब से संघ ने उन्‍हें भाजपा में दायित्‍व सौंपा तब से उनके जीवन की दिशा ने नया रूख लिया। पार्टी के कई बड़े एवं महत्‍वपूर्ण पदों पर वे रहे। भ्रमण सदा से उनकी आदत में शामिल रहा है। कार्यकर्ता एवं पदाधिकारी होने के नाते उन्‍होंने देश भर का विराट भ्रमण किया है और देश की जनता के जीवन को, समस्‍याओं को बहुत करीब से देखा, जाना, समझा और अनुभूत किया है।

उनका यह दीर्घ अनुभव उनके राजनीतिक निर्णयों में झलकता है। उज्‍ज्‍वला योजना हो या गरीब कल्‍याण योजना, अन्‍नपूर्णा योजना हो या जन धन योजना- ये सारी योजनाएं समाज के निर्धन तबके की सीधी मदद के लिए शुरू की गईं हैं। इन योजनाओं के क्रियान्‍वयन में बरते गए लचीलेपन से स्‍पष्‍ट होता है कि मोदी स्‍वयं समाज के गरीब वर्ग के प्रति बहुत संवेदनशील दृष्टि एवं अपनत्‍व की भावना रखते हैं।

उज्‍ज्‍वला योजना के बारे में वे कई बार बोलते हैं कि उन्‍होंने गांवों में महिलाओं को चूल्‍हे के संघर्ष से जूझते देखा है। इसके धुएं से स्‍वास्‍थ्‍य पर पड़ने वाले दुष्‍प्रभाव ने उन्‍हें महिलाओं की दशा के प्रति बहुत द्रवित किया। यही कारण है कि वे निशुल्‍क गैस के सिलेंडर प्रदान करने वाली योजना लेकर आए। ऐसा नहीं है कि मोदी के मन में केवल गरीबों के प्रति ही सहानुभूति है, उनके मन में समाज के अन्‍य वर्गों के प्रति भी बराबर सद्भाव है।

मध्‍यम वर्गीय युवाओं के लिए उन्‍होंने स्किल इंडिया योजना शुरू की तो शहरी शिक्षित युवाओं के लिए स्‍टार्ट अप योजना के तहत निवेश का मौका लेकर आए। गरीबों-पिछड़ों को स्वरोजगार से जोड़ने के लिए मुद्रा योजना की शुरुआत उन्होंने की।

कर्मचारी वर्ग को वे वेतनमान की सौगात देते हैं तो महिलाओं को प्रधानमंत्री आवास योजना में सब्सिडी के रास्‍ते खोलते हैं। बुर्जुगों के लिए वय वंदन योजना, पेंशन योजनाएं, किसानों के लिए पीएम किसान, मानधन योजना, श्रमयोगी योजनाएं लेकर आते हैं, तो स्‍कूली बच्‍चों से परीक्षा पर चर्चा नामक कार्यक्रम का नियमित आयोजन करके उनसे शैक्षणिक चर्चाएं करते हैं।

स्‍कूली बच्‍चे प्रधानमंत्री में एक शिक्षक का रूप देखते हैं और गर्व की अनुभूति से भर उठते हैं। विद्यार्थियों से संवाद ने मोदी को अभिभावकों व शिक्षकों के बीच भी लोकप्रिय कर दिया है। इसरो के समस्‍त अंतरिक्ष अभियानों में वे सदा व्यक्तिगत तौर पर रुचि लेते हैं। चंद्रयान 2 की विफलता में वे दुख बांटते हैं, तो चंद्रयान 3 की सफलता में वे खुशी के पल साझा करते हैं।

जहां तक देश की आंतरिक सुरक्षा की बात है, इस क्षेत्र में भी मोदी ने कभी समझौता नहीं किया। सर्जिकल स्‍ट्राइक और एयर स्‍ट्राइक इसके श्रेष्‍ठ उदाहरण हैं। एक समय था जब देश में कहीं भी, किसी भी पल किसी भी शहर में आतंकी हमले हो जाते थे। जनता के मन में बहुत असुरक्षा का भाव पैठ चुका था। मोदी के कार्यकाल में देश के भीतर एक भी ऐसा बड़ा आतंकी हमला ना होना यह दर्शाता है कि देश सही एवं सुरक्षित हाथों में है।

एक वैश्विक नेता के रूप में भी मोदी बहुत लोकप्रिय हैं एवं कूटनीतिक संबंधों की प्रगाढ़ता उन्‍हें एक कुशल ग्‍लोबल लीडर के रूप में स्‍थापित करती है। मोदी के बढ़ते कद से हैरान, परेशान विपक्ष उनके खिलाफ अनर्गल दुष्‍प्रचार करने का मौका नहीं चूकता। इसकी परिणिति दो बार पेश किए गए अविश्‍वास प्रस्‍ताव के रूप में सामने आई लेकिन दोनों ही बार विपक्ष का यह दांव उल्‍टा पड़ गया। अविश्‍वास प्रस्‍ताव मुंह के बल गिरा और विपक्ष की खासी छीछालेदर हो गई।

भारतीय राजनीति को लंबे अरसे बाद मोदी के रूप में ऐसा नेता मिला है जिसकी जनता में अद्भुत पकड़ है। वे ओपिनियन मेकर हैं। ट्रेंड सेटर हैं। उनकी मास अपील इतनी प्रभावी है कि उनके एक संदेश पर जनता संबंधित कार्य करने में जुट जाती है। चाहे वह मोदी के आग्रह पर गैस सब्सिडी छोड़ना हो, ‘जनता कर्फ्यू’ का पालन करना हो या ताली-थाली बजाना हो अथवा एक निश्‍चित समय पर दीपक प्रज्ज्वलित करना हो। मोदी जो आग्रह करते हैं, जनता वह करती है।

यही कारण है कि नोटबंदी एवं जीएसटी जैसे बड़े आर्थिक सुधारों के समय आरंभिक दिक्कतों के बावजूद देश की जनता ने इन निर्णयों को सहर्ष स्वीकार किया और परिणामतः आज देश से काले धन, फर्जी खातों, ट्रांजेक्‍शन का दायरा घटकर नगण्‍य हो गया है।

अपना पूरा जीवन देश व समाज की सेवा में समर्पित करने वाले नरेंद्र मोदी आज भी ऊर्जा से भरे हैं एवं अपने दूरदर्शी नेतृत्व से देश को उत्‍तेरात्‍तर विकास के पथ पर अग्रसर किए हुए हैं।

(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं। प्रस्तुत विचार उनके निजी हैं।)