एक लाख करोड़ अमेरिकी डॉलर के निर्यात की ओर अग्रसर भारत

जिस गति से वित्तीय वर्ष 2021-22 में भारत से वस्तुओं एवं सेवाओं के निर्यात बढ़ रहे हैं उससे अब यह माना जा रहा है कि वित्तीय वर्ष 2022-23 में भारत से वस्तुओं एवं सेवाओं का निर्यात 100,000 करोड़ अमेरिकी डॉलर के आंकड़े को पार कर सकता है, जो कि अपने आप में एक इतिहास रच देगा।

भारत से अप्रैल-दिसम्बर 2021 तक की अवधि में वस्तुओं एवं सेवाओं के हुए निर्यात के वास्तविक आंकड़ों को देखते हुए अब यह कहा जा सकता है कि वित्तीय वर्ष 2021-22 में भारत से वस्तुओं एवं सेवाओं का निर्यात 65,000 करोड़ अमेरिकी डॉलर के पार हो जाने की प्रबल सम्भावना है। जिस गति से वित्तीय वर्ष 2021-22 में भारत से वस्तुओं एवं सेवाओं के निर्यात बढ़ रहे हैं उससे अब यह माना जा रहा है कि वित्तीय वर्ष 2022-23 में भारत से वस्तुओं एवं सेवाओं का निर्यात 100,000 करोड़ अमेरिकी डॉलर के आंकड़े को पार कर सकता है, जो कि अपने आप में एक इतिहास रच देगा।

वित्तीय वर्ष 2021-22 की अप्रेल-दिसम्बर 2021 को समाप्त अवधि के दौरान भारत से 29,974 करोड़ अमेरिकी डॉलर की वस्तुओं का निर्यात किया जा चुका है एवं पूरे वित्तीय वर्ष के दौरान यह बढ़कर 40,000 करोड़ अमेरिकी डॉलर का हो जाने की प्रबल सम्भावना है। अप्रेल-दिसम्बर 2020 को समाप्त अवधि के दौरान भारत से 20,137 करोड़ अमेरिकी डॉलर की वस्तुओं का निर्यात हुआ था, अर्थात इस वर्ष वस्तुओं के निर्यात में 48.85 प्रतिशत की आकर्षक वृद्धि दर रही है।

इसी प्रकार वित्तीय वर्ष 2021-22 की अप्रेल-दिसम्बर 2021 को समाप्त अवधि के दौरान भारत से 17,900 करोड़ अमेरिकी डॉलर की सेवाओं का निर्यात किया जा चुका है एवं पूरे वित्तीय वर्ष के दौरान यह बढ़कर 25,000 करोड़ अमेरिकी डॉलर का हो जाने की प्रबल सम्भावना है।

भारत सहित पूरे विश्व में ओमीक्रोन संक्रमण के फैलने के बावजूद, दिसम्बर 2021 माह में वस्तुओं का निर्यात, 37 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज करते हुए, 3,729 करोड़ अमेरिकी डॉलर के रिकार्ड मासिक स्तर पर पहुंच गया है। दिसम्बर 2020 माह में देश से वस्तुओं का निर्यात 2,722 करोड़ अमेरिकी डॉलर का रहा था एवं दिसम्बर 2019 माह में 2,711 करोड़ अमेरिकी डॉलर का रहा था। दिसम्बर 2021 माह में इंजिनीरिंग वस्तुओं, पेट्रोलीयम उत्पाद, जेम्स एवं ज्वेलरी, केमिकल एवं यार्न के निर्यात में आकर्षक वृद्धि अर्जित की गई है।

इन समस्त क्षेत्रों में श्रम की मांग अधिक रहती है एवं इन क्षेत्रों में निर्यात की अधिक वृद्धि होना मतलब रोजगार के नए अवसरों का अधिक निर्माण होना भी है, जो कि हम सभी के लिए हर्ष का विषय होना चाहिए। दूसरे, कुछ राज्यों, विशेष रूप से उत्तर प्रदेश, की देश से निर्यात की जाने वाली वस्तुओं में हिस्सेदारी बहुत तेजी से बढ़ रही है। वित्तीय वर्ष 2021-22 में उत्तर प्रदेश से 2 लाख करोड़ रुपए का निर्यात (60 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि) होने की सम्भावना है जो वित्तीय वर्ष 2020-21 में 123,000 करोड़ रुपए का रहा था।

हालांकि कोरोना महामारी की तीसरी लहर ने विशेष रूप से विकसित देशों यथा अमेरिका, आस्ट्रेलिया, कनाडा, आदि एवं यूरोपीयन देशों तथा मध्य पूर्वीय देशों को बहुत अधिक प्रभावित किया है। इसके कारण समुद्री जहाजों की उपलब्धता पर विपरीत प्रभाव पड़ा है एवं वैश्विक स्तर पर वस्तुओं के आयात एवं निर्यात भी विपरीत रूप से प्रभावित हो रहे हैं। परंतु, अब उम्मीद की जा रही है कि विश्व के समस्त देश मिलकर इस समस्या का हल निकाल लेंगे क्योंकि अब धीमे धीमे कई देशों में लॉकडाउन के नियमों में ढील देना प्रारम्भ हो गया है क्योंकि इन देशों में अब तीसरी लहर का प्रभाव भी कम होता जा रहा है।

भारत द्वारा विश्व के अन्य मित्र देशों के साथ अब मुक्त व्यापार समझौते भी किए जा रहे हैं। इससे भारत से वस्तुओं एवं सेवाओं का निर्यात आगे आने वाले समय में और अधिक द्रुत गति से आगे बढ़ेगा। यूनाइटेड अरब अमीरात से मुक्त व्यापार समझौता अपने अंतिम चरण में है। आस्ट्रेलिया के साथ भी मुक्त व्यापार समझौते की प्रक्रिया तेजी से आगे बढ़ रही है और श्रम आधारित उद्योगों जैसे टेक्स्टायल उद्योग, फार्मा क्षेत्र, चमड़ा उद्योग, जूतों का निर्माण एवं कृषि उत्पादों के लिए आस्ट्रेलिया द्वारा बाजार खोलने के लिए चर्चाओं में विशेष जोर दिया जा रहा है।

हाल ही के समय में आस्ट्रेलिया से तो विदेशी व्यापार में 102 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज हुई है, इसी प्रकार दक्षिणी अफ्रीका से विदेशी व्यापार में भी 82 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज हुई है, यूनाइटेड अरब अमीरात से भी विदेशी व्यापार में 65 प्रतिशत की आकर्षक वृद्धि दर्ज हुई है।

इसी प्रकार के मुक्त व्यापार समझौते ब्रिटेन, कनाडा एवं इजराईल आदि देशों के साथ भी किए जाने के प्रयास किए जा रहे हैं। जिसके चलते, वित्तीय वर्ष 2022-23 में भारत से वस्तुओं एवं सेवाओं के एक लाख करोड़ अमेरिकी डॉलर के निर्यात के आंकड़े को प्राप्त करने में आसानी होगी। इस प्रकार, यह इतिहास अगले वर्ष अर्थात वर्ष 2022-23 में बनाया जा सकता है।

(लेखक बैंकिंग क्षेत्र से सेवानिवृत्त हैं। आर्थिक विषयों के जानकार हैं। प्रस्तुत विचार उनके निजी हैं।)