मुलायम के पदचिन्हों पर चलते हुए अखिलेश दे रहे राजनीति में अपराधीकरण को बढ़ावा

व्यक्ति या संस्था का मूल चरित्र नहीं बदलता। सपा के साथ भी यही है। सपा के मुखिया अखिलेश यादव जनता के बीच चाहे जो दावा कर लें, मौका मिलते ही वह पहले की तरह माफिया एवं अपराधियों की रहनुमाई, दंगाइयों और आतंकियों की पैरोकारी करने से बाज नहीं आते। इसी क्रम में अखिलेश यादव चुन-चुन कर अपराधियों और दंगाइयों को टिकट दे रहे हैं।

मुलायम सिंह यादव का अपराधियों से प्रेम जगज़ाहिर रहा है। उन्होंने प्रदेश में शातिर माफिया अतीक अहमद, मुख्तार अंसारी, विजय मिश्रा, डीपी यादव, मदन भैया, अन्ना शुक्ला, रिजवान ज़हीर सहित कई शातिर अपराधियों को समाजवादी पार्टी (सपा) के टिकट पर माननीय बनाया।

अब मुलायम के पुत्र अखिलेश यादव ने भी अपने पिता के पदचिन्हों पर चलते हुए एक हत्यारे की बेटी को सपा के टिकट पर चुनाव मैदान में उतार कर राजनीति में अपराधीकरण को बढ़ावा दिया है।

साभार : Republic World

व्यक्ति या संस्था का मूल चरित्र नहीं बदलता। सपा के साथ भी यही है। सपा के मुखिया अखिलेश यादव जनता के बीच चाहे जो दावा कर लें, मौका मिलते ही वह पहले की तरह माफिया एवं अपराधियों की रहनुमाई, दंगाइयों और आतंकियों की पैरोकारी करने से बाज नहीं आते। इसी क्रम में अखिलेश यादव चुन-चुन कर अपराधियों और दंगाइयों को टिकट दे रहे हैं।

कैराना में हिंदुओं के पलायन के ज़िम्मेदार नाहिद हसन (जेल में बंद) को उन्होंने टिकट दिया है। यहीं नहीं उन्होंने मुलायम सिंह के मित्र और पार्टी के संस्थापक सनक सिंह यादव के हत्यारे अशोक दीक्षित की बेटी रूपाली अशोक दीक्षित को आगरा के फतेहाबाद से टिकट दे दिया है।

माफिया और शातिर अपराधी अशोक दीक्षित ने सनक सिंह यादव के साथ उनके गनर श्रीनिवास यादव की भी हत्या वर्ष 1989 में की थी। उस केस के गवाह शंकर यादव की हत्या भी एक साल के अंदर वर्ष 1990 में कर दी गई। अशोक दीक्षित की माफियागीरी का विरोध करने वाले प्रवक्ता सुमन यादव की भी दिन-दहाड़े हत्या अशोक दीक्षित ने 12 अक्टूबर 2007 में की थी।

सुमन यादव हत्याकांड में अशोक दीक्षित को आजन्म कारावास की सजा मिली है और वह करीब 15 वर्षों से जेल में बंद है। ऐसे हत्यारे की बेटी को सपा मुखिया अखिलेश यादव ने टिकट देकर राजनीति के अपराधीकरण को ही बढ़ावा दिया है।

साभार : DNA India

अखिलेश यादव के पिता मुलायम सिंह यादव भी यही करते रहे हैं। मुलायम सिंह ने उत्तर भारत के वीरप्पन कहे जाने वाले डाकू ददुआ के भाई बालकुमार को एमपी उनके पुत्र वीर सिंह और भतीजे राम सिंह को एमएलए बनाया था। ये लोग माननीय उस समय बने, जब ददुवा 32 साल से फरार था। उस पर यूपी और मध्य प्रदेश सरकार से सात लाख का इनाम घोषित था।

अखिलेश यादव तो पिता से भी चार कदम आगे बढ़ गये हैं। उन्होंने मुख्यमंत्री बनते ही आतंकवादियों के 15 मुक़दमे वापस लिए थे। जिस पर उच्च न्यायालय इलाहाबाद द्वारा कठोर टिप्पणी करते हुए मुकदमा वापसी पर रोक लगायी गयी थी। इसी के बाद रामपुर सीआरपीएफ हमले में दो पाकिस्तानी आतंकी इमरान शहजाद, मोहम्मद फारूक सहित लश्कर के इंडिया कमांडर सबा उद्दीन और सुहेल अंसारी को फांसी की सजा और बाबा खान को आजन्म कारावास की सजा दी गई।

यूपी कचहरी ब्लास्ट में आतंकियों को आजन्म कारावास की सजा मिली। इसके बाद भी अखिलेश यादव अब विधानसभा चुनाव में चुन-चुन कर अपराधियों और दंगाइयों को टिकट दे रहे हैं। कैराना में हिंदुओं के पलायन के ज़िम्मेदार नाहिद हसन (जेल में बंद) और एक हत्यारे की बेटी को अखिलेश द्वारा दिया गया टिकट इसका प्रमाण है। अखिलेश यादव पहले की तरह माफिया एवं अपराधियों की रहनुमाई कर रहे हैं, यूपी की जनता इसके लिए उन्हें सबक सिखाएगी।

(लेखक भारतीय जनता पार्टी के राज्यसभा सदस्य और उत्तर प्रदेश के पूर्व डीजीपी हैं। प्रस्तुत विचार उनके निजी हैं।)