भारत ने किया पीडीवी इंटरसेप्टर मिसाइल का सफल परीक्षण, बढ़ी भारतीय सेना की ताकत

मोदी सरकार द्वारा केंद्र की सत्ता में आने के पश्चात् भारत की सैन्य-शक्तियों को बढ़ाने की दिशा में गंभीरतापूर्वक कदम उठाए गए हैं, जिनके फलस्वरूप आज भारत हवा, पानी और ज़मीन तीनों मोर्चों पर पर अपनी तरफ आँख उठाने वाले को माकूल जवाब देने के लिए  तैयार नज़र आने लगा है। इसी क्रम में भारत ने रक्षा के क्षेत्र में बड़ी छलांग लगाते हुए एडवांस्ड एयर डिफेंस इंटरसेप्टर मिसाइल  के अंतर्गत पीडीवी का सफलतापूर्वक परीक्षण किया।

वैज्ञानिकों की मानें तो यह परीक्षण राजधानी दिल्ली को दो हजार किमी के रेंज में किसी भी मिसाइल के हमले से बचाने के प्रोजेक्ट का एक छोटा-सा हिस्सा है। यह दुश्मन की मिसाइल को ढूंढकर उन्हें आसमान में ही नष्ट करने में सक्षम है।  साथ ही, यह इंटरसेप्टर मिसाइल परमाणु हथियार ढोने में सक्षम पृथ्वी मिसाइल पर आधारित है। इसके अलावा मिसाइल रक्षा प्रणाली के सम्बन्ध में यह भी उल्लेखनीय होगा कि भारत और रूस के बीच एस-400 एयर डिफेंस सिस्टम डील पर आम सहमति भी बन चुकी है, जिसके पूरा होने के बाद भारत के पास किसी भी प्रकार के मिसाइल हमलों से निपटने के लिए पूरी तैयारी मौजूद होगी।

पीडीवी मिसाइल डीआरडीओ द्वारा विकसित किए जा रहे द्विस्तरीय बैलिस्टिक मिसाइल डिफेंस सिस्टम का अहम हिस्सा है, जो 80 से 120 किलोमीटर के अनुमानित दायरे में आने वाली मिसाइलों को ढूंढकर नष्ट कर सकती है। यह मिसाइल पूर्णतः स्वचलित प्रणाली से लैस है, जिसमें सेंसर, कम्प्यूटर और लांचर भी लगाये गए हैं। इस मिसाइल को डिफेंस रिसर्च डेवलपमेंट ऑर्गनाइजेशन ने डेवलप किया है और इसके साथ भारत अब इस तरह की मिसाइल प्रणाली रखने वाले अमेरिका, इजरायल और रूस जैसे चुनिन्दा देशों के समूह में शामिल चौथा देश बन गया है। इस मिसाइल के परीक्षण के साथ भारत ने द्विस्तरीय बैलिस्टिक मिसाइल रक्षा प्रणाली विकसित करने की दिशा में अपना कदम बढ़ा दिया है। 75 मीटर लंबी इस इंटरसेप्शन टेक्नोलॉजी की मिसाइल ने ट्रायल के दौरान जमीन से 97 किलोमीटर की ऊंचाई पर अवस्थित कृत्रिम लक्ष्य को ढेर कर दिया। 30 किमी से कम ऊंचाई के स्तर पर उड़ने वाली किसी भी मिसाइल को तबाह करने वाली इस इंटरसेप्टर मिसाइल को आईटीआर के अब्दुल कलाम द्वीप व्हीलर से प्रक्षेपित किया गया।

वैज्ञानिकों की मानें तो यह परीक्षण राजधानी दिल्ली को दो हजार किमी के रेंज में किसी भी मिसाइल के हमले से बचाने के प्रोजेक्ट का एक छोटा-सा हिस्सा है। यह दुश्मन की मिसाइल को ढूंढकर उन्हें आसमान में ही नष्ट करने में सक्षम है।  साथ ही, यह इंटरसेप्टर मिसाइल परमाणु हथियार ढोने में सक्षम पृथ्वी मिसाइल पर आधारित है। इसके अलावा मिसाइल रक्षा प्रणाली के सम्बन्ध में यह भी उल्लेखनीय होगा कि भारत और रूस के बीच एस-400 एयर डिफेंस सिस्टम डील पर आम सहमति भी बन चुकी है, जिसके पूरा होने के बाद भारत के पास किसी भी प्रकार के मिसाइल हमलों से निपटने के लिए पूरी तैयारी मौजूद होगी।

दरअसल चीन और पाकिस्तान जैसे संदिग्ध पड़ोसियों से घिरे होने के कारण भारत के लिए अपनी सैन्य-शक्तियों को मज़बूत करने की दिशा में बढ़ना समय की मांग बन गया है। यह दुर्भाग्य ही है कि कांग्रेस के शासनकाल में भारत की सैन्य आवश्यकताओं की काफी अधिक उपेक्षा की गयी, जिस कारण स्थिति यह हो गई थी कि हमारे सैनिक गोला-बारूद जैसी बुनियादी युद्धक सामग्रियों तक का अभाव महसूस करने लगे थे। मोदी सरकार ने सत्ता में आने के बाद न केवल इन सब सैन्य आवश्यकताओं की आपूर्ति के लिए कदम उठाए हैं, बल्कि सेना के तीनों अंगों को और सुदृढ़ करने की दिशा में भी लगातार बढ़ रही है। वायुसेना के लिए फ़्रांस से हुई राफ़ेल डील हो या थल सेना के तोपों की कमी को पूरा करने के लिए अमेरिका से होवित्ज़र तोपों की खरीद का सौदा हो, सैन्य-सशक्तिकरण की दिशा में इस तरह के अनेक क़दम मोदी सरकार ने उठाए हैं। सेना को सशक्त करने की दिशा में मोदी सरकार की ये सक्रियता सराहनीय है। क्योंकि, जिस देश के चीन और पाकिस्तान जैसे पड़ोसी हों, उसे अपनी सुरक्षा के प्रति इसी तरह से सचेत रहना चाहिए। हमारी सेना जितनी अधिक सशक्त होगी, उतनी ही निर्भयता के साथ हम प्रगति के मार्ग पर गतिमान रहेंगे।

(लेखक पत्रकारिता के छात्र हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)