अर्थव्यवस्था को गति देने की पहल

स्टार्टअप कारोबार विस्तार के लिये बाजार से पैसे जुटाते हैं और बदले में शेयर जारी करते हैं। आमतौर पर शेयर वास्तविक कीमत से अधिक पर जारी की जाती है। अतिरिक्त कीमत को आय मानकर सरकार उसपर जो टैक्स लगाती है, उसे एंजेल कहा जाता है। सरकार ने स्टार्टअप इकाइयों की समस्याओं के समाधान के लिए एक विशेष विभाग के गठन का प्रस्ताव रखा है, ताकि स्टार्टअप के कारोबार में तेजी आ सके।

तेईस अगस्त की शाम को प्रेस कान्फ्रेंस में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अर्थव्यवस्था को गति देने के लिये अनेक उपायों जैसे, बैंकों में नकदी बढ़ाने, सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम कंपनियों के लिये वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) की रिफंड प्रक्रिया को आसान बनाने, मंदी का सामना कर रहे वाहन क्षेत्र को राहत देने, स्टार्टअप कंपनियों को ऐंजल टैक्स से छूट देने आदि की घोषणा की। इस क्रम में विविध उत्पादों की माँग बढ़ाने एवं निवेश में वृद्धि को सुनिश्चित करने के लिये विदेशी और घरेलू पोर्टफोलियो निवेशकों एवं छोटी व लंबी अवधि के कैपिटल गेन्स टैक्स पर लगाये गये अधिभार को भी वापिस लिया गया।  

सुस्ती के दौर से गुजरते वाहन क्षेत्र को राहत देने के लिये वित्त मंत्री ने बीएस-4 गाडियों के उपयोग की समय-सीमा को बढ़ा दिया। अब 31 मार्च, 2020 तक पंजीकृत बीएस-4 गाडियाँ जैसे, पेट्रोल वाली 15 सालों तक और डीजल वाली 10 सालों तक चलेंगी। पहले इलेक्ट्रिक या ई-वाहन को सड़क पर उतारने वाली योजना को मूर्त रूप देने के लिये सरकार ने बीएस-4 गाडियों को तय समय-सीमा के अंदर बंद करने की घोषणा की थी, जिसके कारण बीएस-4 गाड़ियों की बिक्री में कमी आना शुरू हुआ और थोड़े ही समय के अंदर वाहन क्षेत्र मंदी के चपेट में आ गया।   

वित्त मंत्री की घोषणाओं के अनुसार गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियाँ (एनबीएफसी) आधार के जरिये केवाईसी की औपचारिकता पूरी करके ऋण दे सकेंगे। आईएलएफएस और दीवान हाउसिंग जैसे एनबीएफसी के डूबने के बाद एनबीएफसी द्वारा ऋण देने के तौर-तरीकों पर आंशिक पाबंदी लगाई गई थी। 

नये प्रावधानों के अनुसार कॉर्पोरेट सामाजिक दायित्व (सीएसआर) का अनुपालन नहीं करने पर कारोबारियों पर आपराधिक मुकदमा नहीं चलाया जायेगा। इसके बदले उनपर केवल दीवानी मुकदमा चलाया जा सकेगा। मालूम हो कि संशोधित सीएसआर कानून 2013 के अनुसार मुनाफा कमाने वाली कंपनियों को अपने 3 साल के शुद्ध मुनाफे का 2 प्रतिशत प्रत्येक साल सीएसआर गतिविधियों पर खर्च करना होता  है।       

वित्त मंत्री के अनुसार अब बैंक दरों में कटौती का फायदा ग्राहकों को देने में देरी नहीं करेंगे।  ब्याज दर को रेपो दर से जोड़ने का भी प्रस्ताव है। ऐसा करने से रेपो दर में कटौती करने पर ऋण ब्याज दर में भी कटौती की जायेगी। बैंक बाहरी मानक दरों से जुड़ी ऋण योजनायेँ भी शुरू करेंगे, जिनसे आवास, वाहन और अन्य खुदरा ऋणों की ब्याज दर कम होगी साथ ही साथ कारोबारियों की कार्यशील पूँजी भी सस्ती होगी। 

मौजूदा समय में सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) क्षेत्र का सरकारी कंपनियों पर लगभग 60 हजार करोड़ रुपये बकाया है, जिसका जल्द से जल्द पारदर्शी तरीके से भुगतान करने का प्रस्ताव रखा गया है। सरकार के इस कदम से एमएसएमई क्षेत्र को कुछ राहत जरूर मिलेगी। 

इसमें तेजी लाने के लिये कैबिनेट सचिवालय द्वारा भुगतान प्रक्रिया की निगरानी की जायेगी। सरकार ने विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) और घरेलू निवेशकों के लिए दीर्घावधि और लघु अवधि के पूँजीगत लाभ पर बढ़े हुए अधिभार को भी वापिस ले लिया है, जिससे सरकारी खजाने पर 1,400 करोड़ रुपये का बोझ बढ़ने का अनुमान है। वित्त मंत्री ने स्टार्टअप इकाइयों के लिए ऐंजल टैक्स के प्रावधान को भी वापिस ले लिया है। इससे उनकी फंडिंग की समस्या खत्म हो जायेगी यानी स्टार्टअप जब अपने शेयर को बाजार मूल्य से अधिक कीमत पर बेचेंगे तो उसपर टैक्स नहीं लगेगा। 

स्टार्टअप कारोबार विस्तार के लिये बाजार से पैसे जुटाते हैं और बदले में शेयर जारी करते हैं। आमतौर पर शेयर वास्तविक कीमत से अधिक पर जारी की जाती है। अतिरिक्त कीमत को आय मानकर सरकार उसपर जो टैक्स लगाती है, उसे एंजेल कहा जाता है। सरकार ने स्टार्टअप इकाइयों की समस्याओं के समाधान के लिए एक विशेष विभाग के गठन का प्रस्ताव रखा है, ताकि स्टार्टअप के कारोबार में तेजी आ सके।    

सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को आवास, वाहन, खुदरा आदि ऋण सस्ती करने में परेशानी नहीं हो के लिए सरकार उन्हें 70,000 करोड़ रुपये मुहैया करायेगी। नये नियमों के अनुसार सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक ऋण चुकता होने के 15 दिनों के भीतर ऋण से जुड़े दस्तावेज ग्राहकों को लौटा देंगे। सरकार के इस निर्णय से गृह ऋण के ग्राहकों एवं वैसे खुदरा ऋण वाले ग्राहकों को फायदा होगा, जिनकी चल या अचल संपत्ति बैंक में बंधक के तौर पर रखी है। 

नये प्रावधानों के अनुसार बैंकों द्वारा स्वीकृत किये जा रहे ऋणों की ऑनलाइन ट्रैकिंग अब की जा सकेगी। इस सुविधा से जरूरतमंदों को बैंकों से कर्ज लेना आसान हो जायेगा। पूरी प्रक्रिया पारदर्शी होने से विवाद के कम मामले सामने आयेंगे। वित्त मंत्री ने आवास वित्त कंपनियों के लिए, राष्ट्रीय आवास बैंक के माध्यम से अतिरिक्त 20,000 करोड़ रुपये की नकदी समर्थन देने की घोषणा की है। इस घोषणा से इन कंपनियों के लिए कुल नकदी समर्थन बढ़कर 30,000 करोड़ रुपये हो जायेगा, जिससे वे सस्ती दर पर आवास ऋण उपलब्ध करा सकेंगे।  

आगामी 5 सालों में विकास की गति को तेज करने एवं ज्यादा से ज्यादा संख्या में रोजगार सृजित करने के लिये सरकार ने बुनियादी ढांचा परियोजनाओं की सूची का मसौदा तैयार करने के लिए एक अंतर-मंत्रालयी कार्यबल का गठन किया है। माना जा रहा है कि इससे बुनियादी ढाँचे में 100 लाख करोड़ रुपये की वृद्धि सुनिश्चित की जा सकेगी। इस आलोक में  नया कारोबार शुरू करने, कारोबार की क्षमता बढ़ाने, बुनियादी ढाँचे को मजबूत करने आदि के लिये इक्विटी और ऋण की जरूरत होगी, जिसकी आपूर्ति सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक करेंगे। 

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) को निर्देश दिया है कि वह उन विदेशी कंपनियों पर नजर रखे, जो भारत की न्याय सीमा क्षेत्र में काम करते हुए भारतीय उपभोक्ताओं के हितों की अनदेखी करते हैं। इससे भारतीय उपभोक्ताओं को राहत मिलेगी, क्योंकि बीते सालों में विदेशी कंपनियों द्वारा उपभोक्ताओं को धोखा देने के मामले देखे जाते रहे हैं। इसमें दो राय नहीं है कि भारत अभी भी विश्व की तेज गति से आगे बढ़ने वाली अर्थव्यवस्थाओं में से एक है, जो थोड़ी-बहुत सुस्ती दिख रही है, उम्मीद है कि सरकार के ताज़ा क़दमों से उसपर लगाम लगाने में कामयाबी मिलेगी।

(लेखक भारतीय स्टेट बैंक के कॉरपोरेट केंद्र मुंबई के आर्थिक अनुसंधान विभाग में कार्यरत हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)