पीएमसी ग्राहकों को राहत देने की पहल

पीएमसी घोटाले के कारण बैंकिंग प्रणाली पर उठते सवालों के मद्देनज़र इस बात की जरूरत शिद्दत से महसूस की जा रही थी कि जल्द से जल्द पीएमसी के खाताधारकों की समस्याओं का समाधान किया जाये। माना जा रहा है कि सरकार द्वारा उठाये गये ताजा कदमों से कोऑपरेटिव बैंक मजबूत होंगे साथ ही साथ बैंकिंग प्रणाली पर भी जमाकर्ताओं का भरोसा मजबूत होगा और उनके हितों की रक्षा हो सकेगी।

दो दिसंबर को वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने लोकसभा में बताया कि पंजाब एंड महाराष्ट्र कोऑपरेटिव (पीएमसी) बैंक के 78 प्रतिशत खाताधारक अपना पैसा निकाल चुके हैं। धन निकासी की सीमा को भी बढ़ाकर 50 हजार रुपये कर दिया गया है। बीमारी, शादी एवं अन्य गंभीर स्थितियों में खाताधारक खाते से एक लाख रुपये भी निकाल सकते हैं। सरकार द्वारा राहत देने से बैंक के अधिकांश छोटे जमाकर्ताओं की समस्याओं का समाधान हो गया है। 

सांकेतिक चित्र

वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने सदन को यह भी बताया कि सरकार पीएमसी बैंक के प्रमोटरों की संपत्ति जब्त करने और उसे नीलाम कर जमाकर्ताओं को उनका पैसा लौटाने के लिये भी  अग्रतर कार्रवाई कर रही है। फिलहाल, प्रमोटरों की संपत्ति के मूल्यांकन का काम चल रहा है।

फॉरेंसिक ऑडिट रिपोर्ट के दिसंबर महीने में आने की संभावना

रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि पीएमसी बैंक पर फॉरेंसिक ऑडिट रिपोर्ट दिसंबर महीने के अंत में आने की उम्मीद है। अभी पीएमसी बैंक में फॉरेंसिक ऑडिट का काम चल चल रहा है। उम्मीद है कि इस रिपोर्ट के आने के बाद पीएमसी से जुड़ी सभी कमियाँ/खामियाँ सामने आ जायेंगी, जिससे पीएमसी से जुड़ी तमाम समस्याओं का समाधान किया जा सकेगा।   

कॉपरेटिव बैंक के नियमों में बदलाव का प्रस्ताव

रिजर्व बैंक ने कोऑपरेटिव बैंक के नियमों में बदलाव करने का प्रस्ताव रखा है, जिसके तहत 500 करोड़ रूपये व इससे अधिक की संपत्ति वाले सभी शहरी कॉपरेटिव बैंकों (यूसीबी) को सीआरआईएलसी रिपोर्टिंग फ्रेमवर्क के दायरे में लाया जायेगा। रिजर्व बैंक ने सूचीबद्ध वाणिज्यिक बैंकों, सभी भारतीय वित्तीय संस्थानों और कुछ गैर-बैंकिंग फाइनेंशियल कंपनियों (एनबीएफसी) का एक सेंट्रल रिपॉजिटरी ऑफ इन्फोर्मेशन ऑन लार्ज क्रेडिट्स (सीआरआईएलसी) का मसौदा भी तैयार किया है, ताकि ऑफसाइट सुपरविजन की प्रक्रिया को मजबूत किया जा सके। 

माना जा रहा है ऐसा करने से वित्तीय खामियों को समय रहते पहचान की जा सकेगी। प्राथमिक शहरी कोऑपरेटिव बैंकों द्वारा दिये गये बड़े कर्जों का डेटाबेस बनाने का भी प्रस्ताव है, ताकि 500 करोड़ रूपये या इससे अधिक के कर्जों की नजदीक से निगरानी की जा सके। 

शहरी कोऑपरेटिव बैंक को बनाया जायेगा मजबूत

रिजर्व बैंक के अनुसार यूसीबी के एक्सपोजर में जोखिम को कम करने के लिये और वित्तीय समावेशन की प्रक्रिया को बढ़ावा देने के लिये यूसीबी से जुड़े कुछ नियामकीय दिशानिर्देशों में भी संशोधन किया जायेगा। एकल और समूह कर्जधारकों के लिए एक्सपोजर मानक में भी बदलाव करने का प्रस्ताव है। 

निष्कर्ष  

पीएमसी घोटाले के कारण बैंकिंग प्रणाली पर उठते सवालों के मद्देनज़र इस बात की जरूरत शिद्दत से महसूस की जा रही थी कि जल्द से जल्द पीएमसी के खाताधारकों की समस्याओं का समाधान किया जाये। माना जा रहा है कि सरकार द्वारा उठाये गये ताजा कदमों से कोऑपरेटिव बैंक मजबूत होंगे साथ ही साथ बैंकिंग प्रणाली पर भी जमाकर्ताओं का भरोसा मजबूत होगा और उनके हितों की रक्षा हो सकेगी।

(लेखक भारतीय स्टेट बैंक के कॉरपोरेट केंद्र मुंबई के आर्थिक अनुसंधान विभाग में कार्यरत हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)