जन औषधि योजना : आम लोगों को सस्ती दवाएं उपलब्ध करवाने की दिशा में क्रांतिकारी पहल

जन औषधि योजना ने देश के गरीब वर्गों को विशेष राहत पहुंचायी है। जेनेरिक दवाएं, ब्रांडेड दवाओं की तुलना में कम मूल्य पर उपलब्ध हैं साथ ही जिस प्रकार ब्रांडेड दवाइयां काम करती है उसी तरह जेनेरिक दवाइयां भी काम करती है और इसके उपयोग से किसी प्रकार के साइड इफेक्ट का कोई खतरा नहीं है।

मोदी सरकार द्वारा जनता के लिए प्रारंभ की जाने वाली कई महत्वपूर्ण योजनाओं में से एक है- जन औषधि योजना। इस योजना का शुभारंभ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 1 जुलाई 2015 को किया गया था। जन औषधि योजना का मुख्य उद्देश्य सरकार द्वारा उच्च गुणवत्ता वाली जेनरिक दवाइयां और बाजार से कम कीमत में लोगों को उपलब्ध करवाना है।

इसके तहत सरकार ने “जन औषधि केंद्र” बनाए हैं, जहां लोगों को आसानी से जेनरिक  दवाइयां उपलब्ध हो सकें। इस योजना के तहत देश के हर ब्लॉक में कम से कम एक जन औषधि केन्द्र खोलने का लक्ष्य रखा गया है।

पूरे देश में प्रत्येक वर्ष 7 मार्च को जन औषधि दिवस तथा इस योजना को बढ़ावा देने और लोगों में जेनेरिक दवाओं को लोकप्रिय बनाने के लिए 1 से 7 मार्च तक जन औषधि सप्ताह मनाया जाता है। पिछले दिनों इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए जन औषधि केंद्र के मालिकों के साथ-साथ इस योजना से लाभान्वित हुए लाभार्थियों से भी बातचीत की। केंद्र सरकार देशवासियों को गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवा देने के लिए प्रतिबद्ध है।

इसके साथ ही जन औषधि दिवस के अवसर पर एक कार्यक्रम विज्ञान भवन, नई दिल्ली में आयोजित किया गया जिसमें केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री और अन्य कई मंत्री शामिल हुए। इस कार्यक्रम में जो बात मुख्य रूप से उभर कर हमारे सामने प्रस्तुत हुई वह यह है कि जेनेरिक दवाइयों के उपयोग को और अधिक प्रोत्साहन देने और जागरूकता फैलाने की आवश्यकता है।

इस योजना से लाखों लोग लाभान्वित हो चुके हैं। जहां भारत जैसे विशाल जनसंख्या वाले देश में लोग बीमारी और उस पर होने वाले दवाइयों के खर्च से काफी परेशान थे, वहीं जेनेरिक दवाइयां उन करोड़ों लोगों के लिए वरदान साबित हुईं  क्योंकि ब्रांडेड मेडिसिन बहुत ही महंगी हैं, जिसके खर्च का वहन करने से आम इंसान की आर्थिक स्थिति चरमरा जाती थी और कई बार तो लोगों को अपने खेत, यहां तक कि घर को भी गिरवी रखना पड़ता था।

परन्तु केन्द्र सरकार की इस योजना ने देश के गरीब वर्गों को राहत पहुंचायी है। जेनेरिक दवाएं, ब्रांडेड दवाओं की तुलना में कम मूल्य पर उपलब्ध हैं साथ ही जिस प्रकार ब्रांडेड दवाइयां काम करती है उसी तरह जेनेरिक दवाइयां भी काम करती है और इसके उपयोग से किसी प्रकार के साइड इफेक्ट का कोई खतरा नहीं है।

सभी जेनेरिक दवाइयां बाजार में मौजूद हैं, जिन्हें आम नागरिक बाजार से 60 से 70 फीसदी कम कीमत पर आसानी से प्राप्त कर सकता है। जेनेरिक दवाओं से दवाओं पर आदमी का खर्च काफी कम हो जाता है। देशभर में नागरिकों को घातक बिमारियों के इलाज के लिए जेनेरिक दवा मुहैया कराना भी इस जन औषधि केंद्र के तहत किया जाता है।

निःसंदेह, जन औषधि अभियान को प्रभावशाली बनाने के लिए मोदी सरकार ने हर संभव प्रयास किए है जो आसान नहीं था इतनी बड़ी आबादी वाले देश में इसे लोगों तक पहुंचाना जिसका मूल उदेश्य जनता को जेनरिक दवाइयों के प्रति जागरूक कर उनके आर्थिक बोझ को कम कर देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाना है।

दूसरी ओर, इस योजना को सफल बनाने में प्रधानमंत्री मोदी के डिजिटल इंडिया का बड़ा योगदान रहा। जिसने लोगों को जेनेरिक दवाइयों के बारे में जानकारी देने से लेकर जन औषधि केंद्र तक उनकी पहुंच को सहज व सुगम बनाया।

इस योजना को जन-जन तक पहुंचाने के लिए तकनीक का सहारा लिया गया है। इसके तहत एक Jan Aushadhi Sugam App तैयार किया गया है जिससे कोई भी व्यक्ति घर बैठे अपने नजदीकी स्टोर का पता लगा सकते है और दवाइयों की जानकारी भी प्राप्त कर सकता है। प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र के लिए एक हेल्पलाइन नंबर भी दिया गया है जिससे आप इस योजना से संबंधित किसी भी जानकारी को बिल्कुल मुफ्त में प्राप्त कर सकते हैं।

इसके अलावा, इस योजना के तहत पहले सरकार के नियमानुसार जन औषधि केंद्र सिर्फ सरकार की चुनिंदा संस्थाओं तक ही सीमित थे, परन्तु केन्द्र सरकार इसे बढ़ावा देने के उद्देश्य से ऐसा नियम लाई है कि अब डॉक्टर, व्यवसायी, फार्मास्टिक, हॉस्पिटल, एनजीओ आदि कोई भी जन औषधि स्टोर खोल सकता है। समय के साथ इसमें काफी बदलाव लाएं गए हैं ताकि ज्यादा से ज्यादा लोगों तक इसकी पहुंच संभव हो सके।

इस योजना को प्रभावी बनाने के लिए जन औषधि स्टोर खोलने वाले को सरकार काफी प्रोत्साहित करती है। इसके तहत स्टोर खोलने वाले व्यक्ति को सरकार 16 प्रतिशत तक कमीशन तथा बिक्री पर इंसेंटिव देती है। इसके साथ ही 2 लाख रूपये तक की वित्तीय सहायता भी दी जाती है। इस परियोजना के लिए ऑनलाइन आवेदन की सुविधा भी दी गई है। इस तरह प्रधानमंत्री जन औषधि योजना आम नागरिकों के जीवन में बदलाव लाने वाला बड़ा कदम साबित हुई है।

(लेखिका डीआरडीओ में कार्यरत रह चुकी हैं। वर्तमान में स्वतंत्र लेखन एवं अनुवाद में सक्रिय हैं। प्रस्तुत विचार उनके निजी हैं।)