जब आज से दो महीने पहले कोविड-19 का प्रसार शुरू हुआ पूरे देश में तो ममता दीदी इस तरह का दिखावा कर रही थीं कि बंगाल में कोरोना फ़ैल ही नहीं सकता है। लेकिन जब कोरोना के मामले सामने आने लगे तो उन्होंने कहना शुरू कर दिया कि केंद्र ने हमें खराब टेस्टिंग किट्स दिए हैं, हमारे पास दवा नहीं है, सुविधाएं नहीं हैं आदि इत्यादि। जाहिर है, मोदी विरोध की अपनी राजनीति के चक्कर में ममता ने बंगाल को संकट में डालने का ही काम किया है।
ममता बनर्जी का यह पुराना तरीका है कि जब कोई बड़ी समस्या सुलझाने में आप नाकाम होने लगो तो उसके लिए केंद्र और नरेन्द्र मोदी को बदनाम करना शुरू कर दो। कोरोना का संकट जब दस्तक दे रहा था तो उन्होंने केंद्र द्वारा दी गई चेतावनी को हल्के में लिया, और ऐसा भी कहा कि दिल्ली में हुई हिंसा से ध्यान हटाने के लिए केंद्र सरकार लोगों में दहशत फैलाना चाहती है।
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जब आज से दो महीने पहले कोविड-19 का प्रसार शुरू हुआ पूरे देश में तो ममता दीदी इस तरह का दिखावा कर रही थीं कि बंगाल में कोरोना फ़ैल ही नहीं सकता है। लेकिन जब कोरोना के मामले सामने आने लगे तो उन्होंने कहना शुरू कर दिया कि केंद्र ने हमें खराब टेस्टिंग किट्स दिए हैं, हमारे पास दवा नहीं है, सुविधाएं नहीं हैं आदि इत्यादि।
और जब खबर मिली कि प्रदेश में कोरोना मरीजों की संख्यां छुपाई जा रही है तो उसको लेकर सियासत होने लगी। केंद्र से जब जांच टीम भेजने की बात आई तो ममता उसपर भी सियासत करने लगीं। देश में और भी तो गैर बीजेपी सरकारें हैं, जहाँ संतोषजनक काम हो रहा है, लेकिन आप अपने कर्त्तव्य का त्याग करके इसके लिए केंद्र के सर अगर ठीकरा फोड़ेंगी तो इससे सबसे पहले राज्य की जनता का ही नुकसान होगा।
आप सबको याद होगा कि मार्च के महीने में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने खुद ममता बनर्जी को फ़ोन कर उनके प्रयासों की सराहना की थी और उन्हें कड़ाई से नियमों का पालन कराने और ज्यादा टेस्ट करवाने की सलाह दी थी, लेकिन ममता ने इस आपदा को पार्टी पॉलिटिक्स का विषय बनाकर रख दिया है।
कोविड-19 से मुकाबला करने के दौरान यह बात निकल कर आयी है कि ममता दीदी की प्रशासन और नौकरशाही पर लगाम लगातार कमजोर पड़ती जा रही है, जिस वजह से बंगाल में हालत खराब हुए हैं।
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यह ऐसा वक़्त था कि राजनीति को कुछ समय के लिए परे रखकर ममता दीदी लोगों के बचाव पर ध्यान देतीं लेकिन बंगाल में ऐसा होता नहीं दिख रहा है। उनके दिल में सेवा कम और सियासत करने की लालसा ज्यादा है। कोलकाता के राशन की दुकानों पर सामान नहीं मिल रहा है, डॉक्टर्स और दवाई की किल्लत है।
2021 में किसी भी समय पश्चिम बंगाल में चुनाव हो सकता है इसके मद्देनज़र सब कुछ यहाँ सियासत की नज़र से देखा जा रहा है। जबकि यह ऐसा मौका था कि अपनी कार्यकुशलता के जरिये लोगों को बचाते और इस आपदा से निकालते हुए ममता अपनी राजनीतिक छवि को भी सुधार सकती थीं। लेकिन वे खुद तो कुछ कर नहीं रही, उसपर केंद्र द्वारा शुरू किये जा रहे हर पहल में भी उन्हें राजनीति ही नज़र आती है।
कोविड-19 से लड़ाई में यूपी आदि कई बड़े राज्यों ने अच्छा काम किया है, लेकिन बंगाल जैसे बड़े राज्य की स्थिति यह है कि उसके मुख्यमंत्री अपने कामों की वजह से कम और बयानबाजियों की वजह से ज्यादा चर्चा में रही हैं। वस्तुतः इस वैश्विक महामारी के समय राजनीति नहीं, सेवा की भावना रखकर काम करने की ज़रुरत है, तभी हम देश और समाज को इस आपदा से बचा सकते हैं।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)