बहुआयामी नीतियों से किसानों की आय दोगुनी करने की ओर बढ़ रही मोदी सरकार

सरकार का उद्देश्य किसानों की आय बढ़ाना है, जिसके लिये एमएसपी बढ़ाने, पेशेवर तरीके से पशुपालन करने, आधुनिक तकनीक से खेती-किसानी करने, जैविक तकनीक का अनुपालन करने, किसानों को एक निश्चित राशि सहायता के तौर पर उपलब्ध कराने, फसलों का बीमा करने, किसानों को मुआवजा देने की व्यवस्था करने आदि उपायों को मूर्त रूप देने की कोशिश सरकार कर रही है। उम्मीद है कि सरकार की कोशिशों का परिणाम जल्द सामने आने लगेंगे।

मोदी सरकार का मकसद किसानों की समस्या का निदान करना है, न कि लोकलुभावन योजनाओं  के माध्यम से उन्हें लुभाना। उदाहरण के तौर वर्ष 2008 में कृषि कर्ज माफी का नारा दिया गया था, लेकिन 5 से 6 लाख करोड़ रुपये के कर्ज में से केवल 72,000 करोड़ रुपये का कर्ज माफ करने की घोषणा की गई और केवल 52,500 करोड़ रुपये माफ किया गया, जिसका वास्तविक फायदा कुछ ही किसानों को मिल सका। अधिकांश फायदा वैसे अमीर किसानों को मिला, जिनका खेती-किसानी से कोई सरोकार नहीं था।

साफ है कृषि ऋण माफी से किसानों का भला नहीं हो सकता है। लिहाजा, कृषि कर्ज माफी के नकारात्मक परिणामों को दृष्टिगत करके सरकार कृषि कर्ज माफी जैसी योजनाओं को लागू करने से परहेज कर रही है। सरकार चाहती है कि किसानों की आय बढ़ाने के लिये ठोस पहल की जाये।

केंद्रीय कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह के अनुसार मोदी सरकार विगत 4 सालों से किसानों की आय बढ़ाने की कोशिश कर रही है। सरकार ऐसे विकल्पों पर विचार कर रही है, जिनसे न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) और बाजार मूल्य के बीच के अंतर को सीधे किसानों के बैंक खातों में भेजा जा सके। 

श्री सिंह के मुताबिक वर्ष 2014 से पहले कई फसलों के एमएसपी उनके उत्पादन पर आने वाली लागत से लगभग 10 से 15 प्रतिशत कम थे, लेकिन वित्तीय बोझ बढऩे के डर से इसे बढ़ाने की तरफ ध्यान नहीं दिया, जबकि मोदी सरकार ने एमएसपी में इजाफा करने के साथ-साथ उपज की खरीद बढ़ाने के लिये भी ठोस कदम उठाया है।

सांकेतिक चित्र

वर्ष 2014 से पहले नेफेड के जरिये केवल 7 लाख टन तिलहन और दलहन खरीदी गई थी। इतना ही नहीं नेफेड दिवालिया होने के कगार पर पहुँच गया था, लेकिन मोदी सरकार ने इसे पुनर्जीवित करके इतना मजबूत बना दिया कि अब यह मुनाफा कमा रहा है। राजग सरकार पिछले 4 सालों में किसानों से 95 लाख टन दलहन तथा तिलहन खरीद चुकी है। मिट्टी की उर्वरता बढ़ाने के लिये सरकार वर्ष 2014 से जैविक खेती को बढ़ावा देने की कोशिश कर रही है। कृषि वैज्ञानिक श्री स्वामीनाथन ने सतत एवं लाभदायक कृषि के लिये इसे जरूरी बताया है।     

मोदी सरकार ने बड़ी सिंचाई परियोजनाओं के लिये 40,000 करोड़ रुपये का कोष मुहैया कराया है, जिसकी वजह से कुछ परियोजनायेँ दिसंबर, 2019 तक पूरे हो जाएंगी। वर्तमान सरकार किसानों के कल्याण वाली योजनाओं के बारे में जागरूकता फैला रही है, ताकि किसान सरकारी योजनाओं का लाभ ले सकें। किसानों को आपदा से फौरी राहत मुहैया कराने के लिये सरकार ने मुआवजा राशि में इजाफा किया है। सरकार नई फसल बीमा योजना लेकर आई है, जिसमें कटाई के बाद और उससे पहले के नुकसान का समावेश किया गया है।

भारत में पशु आबादी दुनिया में पशुओं की कुल आबादी का 15% है। अगर भारत में पशुपालन पेशेवर तरीके से किया जाता है तो किसानों की आय में वृद्धि हो सकती है। साथ ही, कृषि से जुड़ी जोखिमें भी कम हो सकती हैं। किसानों को हर साल मानसून की अनिश्चितता से होने वाली परेशानियों से भी छुटकारा मिल सकता है।

पशुधन से आय बढ़ाने के लिये जरूरी है कि देसी नस्ल की गायों एवं भैंसों को पालने की प्रवृति को बढ़ावा दिया जाये, क्योंकि इनके दूध में ए-2 ज्यादा मात्रा में पाया जाता है, जो दूध को स्वस्थ और पौष्टिक बनाता है। दुनिया भर में ए-2 दूध की मांग में तेजी से इजाफा हो रहा है। दूध में ए-2 जीन भारत के किसानों के लिये अधिक आय अर्जित करने के अवसरों का सृजन करता है। उदाहरण के तौर पर भारतीय गिर नस्ल की गायें प्रति दिन 70 लीटर से अधिक दूध दे रही हैं।

लब्बोलुबाब यह है कि सरकार का उद्देश्य किसानों की आय बढ़ाना है, जिसके लिये एमएसपी बढ़ाने, पेशेवर तरीके से पशुपालन करने, आधुनिक तकनीक से खेती-किसानी करने, जैविक तकनीक का अनुपालन करने, किसानों को एक निश्चित राशि सहायता के तौर पर उपलब्ध कराने, फसलों का बीमा करने, किसानों को मुआवजा देने की व्यवस्था करने आदि उपायों को मूर्त रूप देने की कोशिश सरकार कर रही है। उम्मीद है कि सरकार की कोशिशों का परिणाम जल्द सामने आने लगेंगे।

(लेखक भारतीय स्टेट बैंक के कॉरपोरेट केंद्र मुंबई के आर्थिक अनुसन्धान विभाग में कार्यरत हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)