अयोध्या दीपोत्सव : फिजी तक गूँजा मंगल भवन अमंगल हारी

यहां दूर दूर से आये रामभक्तों के लिए श्री राम शोभा यात्रा और राम चरित मानस की चौपाइयां कोई नई नहीं थीं। इनको देखते सुनते ही लोग बड़े हुए हैं। लेकिन सुखद आश्चर्य तब हुआ जब फिजी की मंत्री वीणा भटनागर श्री राम शोभायात्रा में न केवल सम्मिलित हुईं, बल्कि वह परंपरागत रूप से कलश उठा कर पैदल भी चलीं। उस समय वह एक सामान्य रामभक्त के रूप में ही थीं।

इसबार अयोध्या के दीपोत्सव में फिजी की डिप्टी स्पीकर व सरकार में मंत्री वीणा भटनागर मुख्य अतिथि थी। केवल इतने पर ही विचार करें तो बात सामान्य लगती है। अनेक प्रमुख समारोहों में विदेशी मेहमानों को बुलाया जाता है। लेकिन अयोध्या दीपोत्सव में मुख्य अतिथि के रूप में विदेशी मेहमान की भागीदारी भावनात्मक रूप से भी विशिष्ट थी। यह भावना फिजी की मंत्री वीणा और यहां उपस्थित जनसमुदाय दोनों पर समान रूप से लागू हुई।

यहां दूर दूर से आये रामभक्तों के लिए श्री राम शोभा यात्रा और राम चरित मानस की चौपाइयां कोई नई नहीं थीं। इनको देखते सुनते ही लोग बड़े हुए हैं। लेकिन सुखद आश्चर्य तब हुआ जब फिजी की मंत्री वीणा भटनागर श्री राम शोभायात्रा में न केवल सम्मिलित हुईं, बल्कि वह परंपरागत रूप से कलश उठा कर पैदल भी चलीं। उस समय वह एक सामान्य रामभक्त के रूप में ही थीं।

यह सब उनके लिए भी भावनात्मक रूप से सुंदर पल था। करीब दो शताब्दी पहले उनके पूर्वज यहीं कहीं से फिजी गए थे। उनके पास सम्पत्ति के रूप में केवल राम चरित मानस ही थी। फिजी गए तो वहीं के होकर रह गए। बहुत कुछ उनके जीवन मे बदला होगा। लेकिन जो एक बात नहीं बदली ,वह थी रामभक्ति। उनकी अगली पीढ़ियों ने भी इस धरोहर को संभाल कर रखा। आज तक इस धरोहर को धूमिल नही  होने दिया। ये सभी लोग आज भी मानस का पाठ करते है। रामायण की चौपाई आज भी यहां गूंजती है। वीणा भटनागर ने श्री राम शोभायात्रा के बाद मंच से मानस की चौपाइयों का गायन किया।

मंगल भवन अमंगल हारी।

हरहु नाथ मम संकट भारी।।

वीणा भटनागर पूरे भक्ति भाव से चौपाइयों का गायन कर रही थीं। उसी भक्तिमय उत्साह व आंनद में वहां उपस्थित लोग इन चौपाइयों को दोहरा रहे थे। लगा ही नहीं कि कोई विदेशी मेहमान श्रीराम का गुणगान कर रहा है। यह भारतीय संस्कृति की व्यापकता है। इस दृश्य का फिजी में भी सजीव प्रसारण किया गया। सात समुद्र पार भी लोगों ने इस संस्कृति को सैकड़ों वर्षों से सहेज कर रखा है।

यह बात यहाँ रामलीला के विदेशी कलाकारों ने भी प्रमाणित की। रामलीला का मंचन इनके लिए सामान्य अभिनय नहीं है, बल्कि यह उनके लिए श्रीराम की भक्ति का माध्यम है। उनका यह भाव रामलीला के मंचन से भी प्रकट होता है।

वीणा भटनागर ने कहा कि श्रद्धा भक्ति का भाव वहां के लोगों के रोम-रोम में बसा है। भारत और फिजी के रिश्ते निरन्तर मजबूत हो रहे हैं। सांस्कृतिक, सामाजिक व आर्थिक समृद्धि की दिशा में दोनों देश परस्पर मिल-जुलकर कार्य कर रहे हैं। वहां पर भारतीय संस्कृति व हिन्दी का संरक्षण व संवर्धन किया जा रहा है। फिजी के विद्यार्थियों को भारत सरकार की तरफ से छात्रवृत्ति प्रदान की जाती है, जिससे उन्हें अध्ययन में मदद मिलती है। भारत की चिकित्सा सुविधाओं का लाभ भी फिजीवासियों को मिलता है।

दीपोत्सव पर वीणा भटनागर सहित पूरी अयोध्या नगरी श्री राम का गुणगान करती रही। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इसी दृश्य की कल्पना की थी। इसी के अनुरूप उन्होंने प्रशासन को निर्देश दिए। स्थानीय लोगों का सहयोग लिया गया। अयोध्या उत्सव के लिए तैयार थी। वीणा भटनागर ने ही रामकथा पर आधारित भव्य शोभा यात्रा का शुभारंभ किया था। इसका क्रम अति रोचक व सुंदर था।

झांकियों के माध्यम से महाराज दसरथ व उनकी महारानियों द्वारा किये गए पुत्रेष्टि यज्ञ का दृश्य था। प्रभु राम का अवतार होता है, अयोध्या में मंगलगान होते हैं। बालरूप में प्रभु की लीला होती है, वह गुरुकुल में विद्या प्राप्त करते हैं, ऋषियो की राक्षसों से रक्षा करने वन में जाते हैं, धनुष यज्ञ और सीता जी से उनका विवाह होता है, अयोध्या में राज्याभिषेक से पहले वह चौदह वर्ष के लिए  वन पर जाते हैं, वनवास के दृश्य भी शोभा यात्रा में सम्मिलित थे। सीता जी का हरण, रावण वध और फिर प्रभु की अयोध्या वापसी होती है। यहां दीपोत्सव होता है। प्रभु का भव्य दरबार का दृश्य भी मोहक रहा। इस शोभा यात्रा के दर्शन हेतु भारी भीड़ उमड़ी था। श्रीराम के जयकारों से अयोध्या गूंजती रही।

(लेखक हिन्दू पीजी कॉलेज में एसोसिएट प्रोफेसर हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)