आस्था ही नहीं, विकास का भी सन्देश देने वाली है गंगा यात्रा

नमामि गंगे के तहत प्रदेश सरकार ने गंगा यात्र प्रारम्भ की है। गंगा किनारे के सत्ताईस जनपद, इक्कीस नगर निकाय, एक हजार अड़तीस ग्राम पंचायतों से यह यात्रा निकलेगी। सरकार विकास और आस्था दोनों के प्रति कटिबद्ध है। गंगा यात्रा आस्था की प्रतीक है। इस आस्था को ध्यान में रखते हुए इसे यहां के किसानों एवं नौजवानों की आजीविका के साथ जोड़ा जाएगा। गंगा जी के किनारे गंगा मैदान, गंगा पार्क, गंगा नर्सरी, जिम आदि बनेंगे। गंगा जी को निर्मल बनाए जाने व लोगों में गंगा जी के प्रति जागरूकता उत्पन्न करने के लिए बिजनौर व बलिया से गंगा यात्रा का प्रारम्भ किया गया है, इकतीस जनवरी को कानपुर में यात्रा सम्पन्न होगी।

गंगा दुनिया की सबसे पवित्र नदी है। इस तथ्य को वैज्ञानिकों ने भी स्वीकार किया है जबकि हमारे ऋषियों ने आदि काल से ही यह शोध कर लिया था। लेकिन  परतंत्रता के लंबे कालखंड और बाद में आने वाली सरकारों ने इसकी महिमा को नहीं समझा। नरेंद्र मोदी ने पहली बार सरकार बनाने के बाद नमामि गंगे परियोजना शुरू की थी।

उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ की सरकार ने यहां इस परियोजना पर प्रभावी क्रियान्वयन सुनिश्चित किया। इसके अनुकूल परिणाम हुए। गंगा यात्रा इसी भावना को आगे बढ़ा रही है। योगी आदित्यनाथ मुजफ्फरनगर में पतित पावन यात्रा में सम्मिलित हुए। उन्होंने कहा कि गंगा जी हमारी आस्था, विश्वास और अर्थव्यवस्था का प्रतीक रही हैं। भारत की संस्कृति, आस्था एवं अर्थव्यवस्था में गंगा जी के योगदान के प्रति हम अभारी हैं।

नमामि गंगे के तहत प्रदेश सरकार ने गंगा यात्र प्रारम्भ की है। गंगा किनारे के सत्ताईस जनपद, इक्कीस नगर निकाय, एक हजार अड़तीस ग्राम पंचायतों से यह यात्रा निकलेगी। सरकार विकास और आस्था दोनों के प्रति कटिबद्ध है। गंगा यात्रा आस्था की प्रतीक है। इस आस्था को ध्यान में रखते हुए इसे यहां के किसानों एवं नौजवानों की आजीविका के साथ जोड़ा जाएगा। गंगा जी के किनारे गंगा मैदान, गंगा पार्क, गंगा नर्सरी, जिम आदि बनेंगे। गंगा जी को निर्मल बनाए जाने व लोगों में गंगा जी के प्रति जागरूकता उत्पन्न करने के लिए बिजनौर व बलिया से गंगा यात्रा का प्रारम्भ किया गया है, इकतीस जनवरी को कानपुर में यात्रा सम्पन्न होगी।

योगी ने मुजफ्फरनगर में गंगा जी की  मंत्रोच्चार के साथ पूजा अर्चना की। यह गंगा को निर्मल और स्वच्छ बनाने अभियान है। पांच दिवसीय गंगा बिजनौर व बलिया से प्रारंभ हुई। उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने बलिया से गंगा यात्रा का शुभारंभ किया।  उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत व आठ केंद्रीय मंत्री भी विभिन्न स्थानों पर यात्रा में शामिल होंगे। बिजनौर से उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ व उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने यात्रा का शुभारंभ किया।

यह यात्राएं प्रदेश के सत्तासी विधान सभा क्षेत्रों छब्बीस लोकसभा क्षेत्रों से गुजरेंगीं। दोनों यात्राएं सड़क मार्ग से एक हजार दो सौ अड़तीस और नाँव से एक सौ पचास किमी की दूरी तय करेंगी।

गंगा का कुल बहाव दो हजार पांच सौ पच्चीस  किलोमीटर है। इसमें एक हजार एक सौ चालीस किमी लंबा क्षेत्र उत्तर प्रदेश में है। बलिया से कानपुर तक छह सौ सत्तावन और बिजनौर से कानपुर तक पांच सौ इक्यासी किमी की यात्रा सड़क मार्ग से होगी। एक सौ पचास किमी यात्रा जल मार्ग से होगी। राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने बलिया में गंगा पूजन व आरती के बाद यात्रा को रवाना किया। उन्होंने कहा कि गंगा किनारे बसने वाले लोग भाग्यशाली हैं। गुजरात में मात्र एक नदी है। यहां नदियां ही नदियां हैं। मानव जीवन बचाने के लिए इन नदियों को प्रदूषित होने से बचाना पड़ेगा।

भारतीय परंपरा में नदियां, जीव-जंतु भी हमारे परिवार का हिस्सा माने गए हैं। इनके संरक्षण की जिम्मेदारी हमारी है। हमारे चिंतन में वसुधा भी कुटुंब है। सबको बचाने से ही हमारा जीवन बचेगा।

बलिया और बिजनौर से चलने वाली दोनों गंगा यात्राएं कानपुर में मिलेंगीं। इस अवसर पर  प्रधानमंत्री मोदी भी रहेंगे। इस यात्रा का उद्देश्य गंगा किनारे गांवों को विकसित करना है। गंगा तटों के साथ अर्थ गंगा के रूप में एक आधुनिक व प्रदूषण मुक्त इलाका स्थापित करना है। तैतालिस प्रतिशत आबादी गंगा किनारे बसती है।

गंगा किनारे गांवों में जीरो बजट खेती व ऑर्गेनिक खेती को प्रोत्साहित किया जाएगा। गंगा उद्यान, गंगा खेल मैदान, गंगा चबूतरा आदि का निर्माण होगा। शहर का मल, कारखानों का गंदा पानी गंगा में नहीं जाने दिया जाएगा। साढ़े तीन लाख करोड़ खर्च करके हर घर तक पाइप से शुद्ध पानी पहुंचाए जाने की योजना है। गंगा यात्रा के अंतर्गत अनेक सांस्कृतिक व जागरूकता के कार्यक्रम भी सम्मिलित किये गए हैं। कुल मिलाकर यह गंगा यात्रा, गंगा जी को अविरल व निर्मल बनाने के साथ-साथ आधुनिक समय के अनुरूप उनके तटीय क्षेत्र के विकास का सन्देश देने वाली भी है।

(लेखक हिन्दू पीजी कॉलेज एसोसिएट प्रोफेसर हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)