राजनीतिक जमीन के साथ-साथ बोलने की तमीज भी खोती जा रही है कांग्रेस !

ताजा घटनाक्रम में मप्र के पूर्व मुख्‍यमंत्री दिग्‍विजय सिंह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रति आपत्तिजनक भाषा में एक ट्वीट किया। इसकी इबारत में प्रधानमंत्री के प्रति अत्‍यंत असंसदीय और अशोभनीय भाषा का प्रयोग किया गया था, जो कि एक लोकतांत्रिक देश के विपक्ष को कतई शोभा नहीं देता, लेकिन कांग्रेस ने दिखा दिया कि वह अंधविरोध में किस हद तक नीचे गिर सकती है। ऐसा लग रहा कि कांग्रेस अपनी राजनीतिक जमीन के साथ-साथ बोलने और सोचने-समझने की तमीज भी खोती जा रही है।

कांग्रेस उपाध्‍यक्ष राहुल गांधी ने महिला पत्रकार गौरी लंकेश हत्‍याकांड के मामले पर बयानबाजी करने में जिस प्रकार की जल्‍दबाजी दिखाई व बड़बोलापन प्रकट किया उससे उनकी राजनीतिक नासमझी पर एकबार फिर मुहर ही लगी है। उन्‍होंने इस मामले का पूरी तरह राजनीतिकरण करते हुए भाजपा व आरएसएस पर आधारहीन होकर आरोप लगाए। उन्‍होंने कहा कि भाजपा व आरएसएस के खिलाफ जो भी बोलता है, उस पर हमला किया जाता है। ऐसा कहते हुए राहुल का इशारा साफ तौर पर लंकेश की हत्‍या के पीछे भाजपा के हाथ होने पर था। हैरत है कि वे यह भूल गए कि जिस राज्‍य कर्नाटक में ये हत्‍या हुई, वहां कांग्रेस की ही सरकार है।

सांकेतिक चित्र

कांग्रेस नेता कपिल सिब्‍बल ने भी ट्वीट करके कहा कि गौरी की हत्‍या उन्‍होंने कराई जो विपरीत विचार रखते हैं। ऐसा कहते हुए कपिल का इशारा भी किस ओर है, यह समझा जा सकता है। यह निश्‍चित ही आश्‍चर्य की बात है कि जब गौरी की हत्‍या के आरोपियों और कारण का अभी तक खुलासा नहीं हो पाया है, ऐसे में कांग्रेस समेत अन्‍य विपक्षी दल किस आधार पर बीजेपी व संघ पर आरोप लगा रहे हैं। इससे केवल कांग्रेस की अतार्किक बुद्धि का ही पता चलता है।

कर्नाटक सरकार ने गौरी के हत्‍यारों का सुराग देने पर 10 लाख रुपए का इनाम तक घोषित कर दिया। स्‍थानीय पुलिस ने लोगों से अपील की कि इस हत्याकांड के बारे में कुछ भी पता है, तो बताएं। इसके लिए एक ईमेल आइडी व फोन नंबर भी जारी किया गया है। कर्नाटक के गृह मंत्री रामालिंगा रेड्डी ने दस लाख के इनाम की घोषणा की है। यानी इतना तो तय है कि अभी हत्‍यारों का कोई सुराग  नहीं मिल पाया है, बावजूद इसके कांग्रेसी नेता खुलेआम भाजपा पर निशाना साध रहे हैं।

यहां यह बात जानना जरूरी होगा कि गौरी की हत्‍या के पीछे प्रथम दृष्‍टया नक्‍सलियों का हाथ होने की संभावना प्रतीत हो रही है। गौरी के भाई इंद्रजीत ने स्‍वयं यह कहा है। इंद्रजीत ने एक टीवी चैनल से बोलते हुए कहा कि गौरी को नक्‍सली तत्‍व कुछ समय से धमकियां दे रहे थे, लेकिन इस बात की शिकायत पुलिस से तो दूर, परिवार में इसका जिक्र तक नहीं किया गया था। उन्‍हें खतों व ई-मेल के माध्‍यम से धमकियां प्राप्‍त हो रही थीं।

अब जबकि गौरी के भाई ने स्‍वयं नक्‍सलियों के होने की आशंका जताई है, ऐसे में वास्‍तविक हत्‍यारों का पता चलने से पहले ही सतही बयानबाजी से कांग्रेस आखिर क्‍या साबित करना चाहती है, ये समझ से परे है। यदि हम सोशल मीडिया के प्‍लेटफार्म को ही उठाकर देखें तो पाएंगे कि कांग्रेस सहित सारे वामदल इस एक मामले को भाजपा से जोड़कर देख रहे हैं व लगातार भाजपा पर आरोपों की बौछार करते नहीं थक रहे।

दिग्विजय सिंह

खैर, अभी यह मामला संभला ही था कि रही सही कसर दिग्विजय सिंह ने पूरी कर दी। ताजा घटनाक्रम में मप्र के पूर्व मुख्‍यमंत्री दिग्‍विजय सिंह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रति आपत्तिजनक भाषा में एक ट्वीट किया। इसकी इबारत में प्रधानमंत्री के प्रति अत्‍यंत असंसदीय और अशोभनीय भाषा का प्रयोग किया गया था, जो कि एक लोकतांत्रिक देश के विपक्ष को कतई शोभा नहीं देता, लेकिन कांग्रेस ने दिखा दिया कि वह अंधविरोध में किस हद तक नीचे गिर सकती है।

दिग्विजय सिंह ने पीएम मोदी को लेकर एक आपत्तिजनक फोटो भी डाली। ट्वीट करते ही यह वायरल हो गया और उसके बाद उन्होंने यह ट्वीट हटा दिया। जब बात बढ़ी तो दिग्विजय सिंह ने तुरंत एक प्रेस वार्ता आयोजित कर कर इस मामले में सफाई दी है। हालांकि उस सफाई का कोई विशेष महत्व नहीं है।

दिग्विजय सिंह ने पीएम की तस्वीर के साथ उनके समर्थकों का जिक्र करते हुए आपत्तिजनक भाषा का उपयोग किया था। ट्वीट को देखकर लोग भड़क गए दिग्विजय उनके निशाने पर आ गए। इसके बाद छीछालेदर होने पर उन्होंने इसे हटा दिया। सवाल है कि यदि कांग्रेस के महासचिव और वरिष्‍ठ नेता ऐसी सतही हरकतें करेंगे तो इस दल के छोटे कार्यकर्ताओं के सामने किस प्रकार का आदर्श स्‍थापित होगा। हालांकि कांग्रेस ने इसका खंडन भी किया है। कांग्रेस के संचार विभाग प्रमुख रणदीप सिंह सुरेजवाला ने कहा कि इस मसले पर पार्टी की ओर से कोई टिप्‍पणी की आवश्‍यक्‍ता नहीं है। जहां तक दिग्‍विजय सिंह की बात है, वे अपनी सफाई दे चुके हैं।

दरअसल पूर्ण बहुमत से केंद्र में आई भाजपा के प्रति कांग्रेस की दुर्भावना और ईर्ष्‍या समय के साथ बढ़ती ही जा रही है। समय-समय पर भाजपा के खिलाफ जहर उगलने की आदी हो चुकी कांग्रेस अब अपनी व्‍यापक असफलताएं देखकर सिर धुनने लगी है और इसके चलते जब-तब अनर्गल बोलों का तुषारापात करने लगी है। कांग्रेस के नेता अब भाजपा की आलोचना नहीं करते, वे अब भाषा, मर्यादा, नैतिकता की सीमाएं लांघकर बेहद सतही, आपत्तिजनक और उथली बयानबाजी पर उतर आए हैं, जो कि निश्चित ही उनकी बौखलाहट को प्रकट करता है।

लोकसभा चुनाव में हुई करारी हार के बाद से कांग्रेस लगातार हाशिये पर है और देश भर में हुए विभिन्‍न विधानसभा व निकाय चुनावों में बुरी तरह हारने के बाद खोता जनाधार देख कांग्रेस के पैरों तले जमीन खिसक रही है। यह पार्टी अब अप्रासंगिक और अप्रचलित होती जा रही है। इसके नेता अब आए दिन सुर्खियां बटोरने के लिए सतही बयानबाजी के हथकंडे आजमाने पर आमादा हो गए हैं। भाजपा पर सतही टिप्‍पणी करके कांग्रेस स्‍वयं की ही मुश्किलें बढ़ा रही है।

(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)