कांग्रेस शासित कर्नाटक में हुई हत्या के लिए किस मुँह से भाजपा पर इल्जाम लगा रहे, राहुल गांधी!

गौरी लंकेश हत्याकांड मामले में कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने एक बार भी अपनी प्रदेश सरकार का नाम नही लिया। अपनी आदत के अनुरूप सीधे नरेंद्र मोदी तक पहुंच गए। कहा कि मोदी और संघ की विचारधारा असहमति रखने वालों की आवाज दबा रही है। कुचल रही है। यह भी कि मोदी इस घटना पर कुछ बोलते क्यो नहीं। कौन बताए कि मोदी इस समय चीन व म्यामार की यात्रा पर थे। राहुल गांधी को यह क्यों नहीं दिख रहा कि कर्नाटक में भाजपा की नहीं, उनकी कांग्रेस की ही सरकार है। इसलिए इस मामले में उनकी अवस्था सवाल पूछने की नहीं, जवाब देने की है।

कर्नाटक में कांग्रेस  की सरकार है। यहां कानून व्यवस्था बनाये रखना प्रदेश सरकार की जिम्मेदारी है। कर्नाटक की राजधानी बंगलुरु में महिला पत्रकार गौरी लंकेश की हत्या होना निस्संदेह दुखद और निंदनीय है। प्रदेश सरकार को चाहिए कि वह यथाशीघ्र दोषियो को गिरफ्तार करके उन्हें कठोर सजा दिलवाए। यह प्रदेश सरकार की जिम्मेदारी है कि वह सच्चाई को सामने लाये। प्रदेश के पुलिस प्रमुख ने कहा कि अभी वह घटना की मूल वजह नही बता सकते। इसका खुलासा जांच के बाद ही हो सकता है।

लेकिन कांग्रेस उपाध्यक्ष अपनी लाइन पर आ गए। एक बार भी उन्होने अपनी प्रदेश सरकार का नाम नही लिया। बीच मे भी कहीं नहीं रुके। अपनी आदत के अनुरूप सीधे नरेंद्र मोदी तक पहुंच गए। वही पुरानी लाइन दोहरा दी। कहा कि मोदी और संघ की विचारधारा असहमति रखने वालों की आवाज दबा रही है। कुचल रही है। इसी के साथ राहुल शायद पहले वाला वाक्य दोहरा गए कि मोदी जी इस घटना पर कुछ बोलते क्यो नहीं। कौन बताए कि मोदी इस समय चीन व म्यामार की यात्रा पर थे।

राहुल गाँधी (सांकेतिक चित्र)

राहुल ने जब बयान जारी किया, उस समय मोदी म्यामार के नेताओ से वार्ता कर रहे थे। राहुल गांधी को यह क्यों नहीं दिख रहा कि कर्नाटक में भाजपा की नहीं, उनकी कांग्रेस की ही सरकार है। इसलिए इस मामले में उनकी अवस्था सवाल पूछने की नहीं, जवाब देने की है। अगर उन्हें सवाल पूछने का इतना ही शौक है, तो कर्नाटक की अपनी कांग्रेस सरकार से पूछें कि उसकी क़ानून व्यवस्था इतनी बदहाल क्यों हो रही ?

खैर, राहुल की ही तरह उनके जैसे विचार रखने वाले तथाकथित सेक्युलर और वामी विद्वान भी सक्रिय हो गए हैं। इनमें से किसी ने कर्नाटक सरकार का भूल से भी नाम नही लिया। मतलब कर्नाटक में कुछ ठीक हो तो वह प्रदेश सरकार का हुआ। गलत हुआ तो उसे नरेंद्र मोदी के हिस्से में डाल दिया।

केरल की राजनीतिक हिंसा पर मौन धारण करने वालों की गौरी लंकेश हत्याकांड पर आक्रामकता देखते बन रही है। भारतीय जनमानस हिंसा का कभी समर्थक नही रहा। यदि कोई व्यक्ति कानून हाँथ में लेता है, तो उसके खिलाफ कार्यवाई होनी चाहिए। लेकिन, विचारधारा विशेष के बुद्धिजीवियों द्वारा ऐसी वारदातों के लिए सीधे मोदी पर हमला करना राजनीतिक रंग देने के अलावा कुछ नही है। इसे लोग समझने लगे हैं।

सांकेतिक चित्र

इसमे सन्देह नही कि देश मे बुद्धिजीवियों का एक ऐसा वर्ग है, जो नरेंद्र मोदी के प्रति कुंठा से ग्रसित रहा है। जब वह गुजरात के मुख्यमंत्री थे, उसी समय से ये लोग उन पर हमले बोलते रहे हैं। इनमें एनजीओ चलाने वाले लोग भी शामिल थे। पिछले लोकसभा चुनाव में मोदी को मतदाताओं ने भारी बहुमत से प्रधानमंत्री बनाया था।

इससे विरोधियों की कुंठा उबाल पर पहुंच गई थी, जो आज भी मौके की तलाश में रहती है। ये बताना चाहते हैं कि देश में जो भी समस्या है, वो बस तीन वर्ष में उत्पन्न हुई है। पहले देश मे बढ़ी खुशहाली थी। तनाव या हिंसा की कोई धटना नही होती थी। इस अभियान में वह लोग भी शामिल बताए जाते है, जिनके  एनजीओ को संदिग्ध गतिविधियों और नियमानुसार हिसाब न देने के कारण प्रतिबंधित किया गया था।

ये कुछ भी कहते रहें, मगर तथ्य यही है कि पश्चिम बंगाल और केरल की हिंसक घटनाओं को झुठलाया नही जा सकता। हिंदुत्व के खिलाफ भी वामी और सेक्युलर ब्रिगेड की असहिष्णुता को उचित नही कहा जा सकता। ये हिंदुत्व की विचारधारा में कमियाँ निकालने में ही ऊर्जा लगाते हैं। फिर भी इनको अपनी बात कहने का अधिकार है। मगर, गौरी लंकेश हत्याकाण्ड की जांच पूरी होने से पहले किसी पर भी ऊँगली उठाना गलत है। जो लोग ऐसा कर रहे उन्हें संविधान और व्यवस्था में शायद विश्वास नहीं है।

(लेखक हिन्दू पीजी कॉलेज में एसोसिएट प्रोफेसर हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)