कांग्रेस के ‘फोन लोन’ से गरीबों के लिए कल्याणकारी मोदी के पोस्ट पेमेंट बैंक तक

देश के सभी डेढ़ लाख डाकघर इस वर्ष के अंत तक पोस्ट पेमेंट बैंक की इस प्रणाली से जुड़ जाएंगे। सत्रह  करोड़ खातों को लिंक अप करने की अनुमति के साथ यह अपनी बैंकिंग शुरू करेगा। इससे ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को बड़े पैमाने पर फायदा होगा।

आजादी के सात दशक बाद भी देश के करोड़ो लोग बैंकिंग सुविधा से दूर थे। एक बड़ी आबादी ने बैक को भीतर से देखा तक नहीं था। नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री बनते ही इस ओर ध्यान दिया और जनधन योजना के माध्यम से कुछ ही समय में तीस करोड़ से ज्यादा लोग खातेदार बन गए। इंडिया पोस्ट पेमेंट बैक  इसका अगला चरण है।

मोदी  सरकार ने गरीबों को मुख्यधारा में लाने के लिए सैकड़ों योजनाएं लागू की हैं। एक सितंबर को इस सूची में एक अन्य योजना जुड़ गई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नई दिल्ली में इंडिया पोस्ट पेमेंट बैंक  का उद्घाटन किया। देश के अनेक प्रमुख शहरों में एक साथ यह कार्य किया गया।

साभार : The News Minute

बैंक और पेमेंट का मसला था, तो बिना कहे विजय माल्या और नीरव मोदी का भी प्रसंग आ गया। राहुल गांधी ने नोटबन्दी का कारण बिल्कुल पहेली बुझाने के अंदाज में दिया था। उनका कहना था कि नरेंद्र मोदी ने देश के लोगों का धन जमा कराया। ये धन लेकर नीरव मोदी विदेश भाग गया। नरेंद्र मोदी ने इसका जवाब इस अवसर पर दिया।

कांग्रेस की कुनीतियाँ और नोटबंदी के फायदे

विजय माल्या, नीरव मोदी जैसे सैकड़ों लोगों ने कांग्रेस की नीतियों का ही लाभ उठाया था। मोदी ने कांग्रेस पर हमला बोलते हुए कहा कि आजादी के बाद से लेकर साल दो हजार आठ तक देश के बैंकों ने अठारह लाख करोड़ रुपये की राशि ही लोन के तौर पर दी थी।  लेकिन दो हजार आठ के बाद  छह वर्षों में ये राशि बढ़कर बावन लाख करोड़ रुपये हो गई। इसका यह अर्थ हुआ कि जितना लोन बैंकों ने आजादी के बाद दिया था, उसका दोगुना लोन पिछली कांग्रेस सरकारों ने अपने छह साल में बांट दिया।

मोदी ने कहा कि उस समय नामदारों ने फोन पर बैंकिंग और फोन पर कर्ज दिलवाने शुरू कर दिए थे। जिस भी बड़े उद्योगपति को लोन चाहिए होता था, वो नामदारों से बैंक को फोन करवा देता था। बैंक वाले फिर उस व्यक्ति या उसकी कंपनी को तत्काल करोड़ों रुपये का कर्ज दे देते थे। कांग्रेस शासन में फोन बैंकिंग ने देश को बहुत नुकसान पहुंचाया था जबकि मोदी सरकार की नोटबन्दी से अनेक लाभ हुए हैं।

सांकेतिक चित्र

नोटबंदी के बाद से चौबीस प्रतिशत आयकरदाता बढ़े। कार्ड से लेन देन पैंसठ प्रतिशत बढ़ा। बैंकों का जमा तीन लाख करोड़ रुपये बढ़ा। सोलह हजार करोड़ रुपये बैंक में वापस ही नही आये तथा चार लाख से ज्यादा बैंक लेनदेन संदिग्ध हैं। इनकी जांच हो रही है। इसके अलावा तीन लाख से ऊपर के सभी जमा धन की जांच चल रही है। डिजिटल भुगतान में छप्पन प्रतिशत की वृद्धि हुई है। आईडीएस में पैसठ हजार करोड़ रुपये आये। तिहत्तर करोड़ से ज़्यादा बैंक खाते आधार कार्ड से लिंक हुए। 

अठारह लाख से ज़्यादा खाते जांच के दायरे में हैं। साढ़े पांच लाख ऐसे लोग चिन्हित किये गए,  जिनके जमा उनकी ज्ञात आय के स्रोतों से अधिक है। तीन  लाख बोर्ड ऑफ डायरेक्टर अयोग्य घोषित किये गए। इतनी ही फर्जी कम्पनी पकड़ी गई। साढ़े बयालीस हजार करोड़ की अघोषित सम्पत्ति का पता चला। नोटबन्दी के बाद से अब  तक दो लाख  करोड़ का काला धन जप्त किया जा चुका है और लगभग पांच लाख करोड़ की जांच हो रही है।

इंडिया पोस्ट पेमेंट बैंक

पुनः बात इंडिया पोस्ट पेमेंट बैंक की करें तो देश के सभी डेढ़ लाख डाकघर इस वर्ष के अंत तक इस प्रणाली से जुड़ जाएंगे। सत्रह  करोड़ खातों को लिंक अप करने की अनुमति के साथ यह अपनी बैंकिंग शुरू करेगा। इससे ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को बड़े पैमाने पर फायदा होगा।

इसके सेविंग अकाउंट में ग्राहक एक लाख रुपये तक की सेविंग कर सकता है। सेविंग अकाउंट खोलने पर ज्यादा ब्याज मिलेगा। खाते में न्यूनतम धनराशि से कम रखने पर कोई कटौती नहीं होगी। इस भुगतान बैंक में भारत सरकार की सौ प्रतिशत हिस्सेदारी है। निश्चित ही यह योजना गांव और गरीबों के लिए उपयोगी साबित होगी। नरेंद्र मोदी ने अपनी सरकार को गरीबों के लिए समर्पित बताया था। सरकार उसी दिशा में कदम बढ़ा रही है।

(लेखक हिन्दू पीजी कॉलेज में एसोसिएट प्रोफेसर हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)