जनधन योजना से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मिली संजीवनी

ग्रामीण भारत की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में जनधन खाते महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। इससे सरकार की वित्तीय समावेशन की संकल्पना भी साकार हो रही है। 30 करोड़ खाते खुलने से सरकार के लिए लाभार्थी के खाते में सब्सिडी डालना आसान हुआ है। खाते के द्वारा लेनदेन करने से ग्रामीणों के पैसों की चोरी होने या खोने का डर भी कम हुआ है। साथ ही खातों के नियमित संचालन के आधार पर बैंक खाताधारकों को कर्ज दे रहे हैं।

विमुद्रीकरण के बाद से जनधन खातों में तेज वृद्धि देखी गई। अब तक 30 करोड़ से अधिक खाते खोले जा चुके हैं। 10 राज्य, जहाँ 23 करोड़, प्रतिशत में 75% खाते खोले गये, में उत्तर प्रदेश 4.7 करोड़ खातों के साथ पहले स्थान पर, 3.2 करोड़ खाते खोलकर बिहार दूसरे स्थान और 2.9 करोड़ खातों के साथ पश्चिम बंगाल तीसरे स्थान पर है।

ग्रामीण और शहरी सीपीआई मुद्रास्फीति पर प्रधानमंत्री जनधन योजना (पीएमजेडीवाई) के तहत खोले गये खातों के प्रभाव का विश्लेषण करने से पता चलता है कि जिन राज्यों में ज्यादा संख्या में जनधन खाते खोले गये, वहाँ महँगाई निचले स्तर पर है। साथ ही, वहाँ शराब और तम्बाकू उत्पाद जैसे मादक पदार्थों के उपभोग में भी उल्लेखनीय कमी आई है। इसे अक्टूबर, 17 के बाद से पान, तंबाकू और मादक पदार्थों की मुद्रास्फीति में आई गिरावट के माध्यम से भी समझा जा सकता है। ऐसा होने का मूल कारण जनधन खाता, आधार और मोबाइल के माध्यम से लेनदेन में वृद्धि का होना है। इसकी वजह से सरकार से मिलने वाली विविध अनुदानों के बेजा इस्तेमाल में भी कमी आई है और इससे पान, तंबाकू और मादक पदार्थों पर किये जा रहे खर्च में उल्लेखनीय कमी देखी जा रही है।

 विश्लेषण से यह भी पता चलता है कि बदले परिवेश में जनधन खाते अधिक खोलने वाले राज्यों मसलन, बिहार, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र, राजस्थान आदि में घरेलू चिकित्सा व्यय में वृद्धि देखी गई है। देखा जाये तो अक्टूबर, 2016 के बाद से ग्रामीण जीवन शैली में बदलाव आने के कारण इन क्षेत्रों में चिकित्सा सेवाओं की मांग बढ़ी है।

औद्योगिक विकास

अगस्त, 2017 में औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) में वृद्धि 9 महीने के उच्चतम स्तर 4.3% पर थी, जबकि जुलाई, 17 में संशोधित वृद्धि दर 0.9% थी। अगस्त, 16 में यह वृद्धि दर 4.0% थी। विनिर्माण क्षेत्र में 3.1%, खनन में 9.4% और बिजली उत्पादन में 8.3% की वृद्धि दर्ज की गई। वस्तुओं के उपयोग के आधार पर किये गये वर्गीकरण के अनुसार, मध्यवर्ती वस्तुओं   (-0.2%) को छोड़कर अन्य सभी वस्तुओं में इस अवधि में सकारात्मक वृद्धि देखी है। प्राथमिक वस्तुओं में 7.1%, पूँजीगत वस्तुओं में 5.4% और इंफ्रास्ट्रक्चर या निर्माण सामग्री में 2.5% की वृद्धि दर्ज की गई। साथ ही, कंप्यूटर, इलेक्ट्रॉनिक और ऑप्टिकल उत्पादों में 24.9% की सकारात्मक वृद्धि हुई।  

ग्रामीण भारत की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में जनधन खाते महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। इससे सरकार की वित्तीय समावेशन की संकल्पना भी साकार हो रही है। 30 करोड़ खाते खुलने से सरकार के लिए लाभार्थी के खाते में सब्सिडी डालना आसान हुआ है। खाते के द्वारा लेनदेन करने से ग्रामीणों के पैसों की चोरी होने या खोने का डर भी कम हुआ है। जनधन खाते के नियमित संचालन से बैंक खाताधारकों को कर्ज दे रहे हैं। उनकी पात्रता खातों में किये जा रहे लेनदेन के आधार पर निर्धारित की जाती है। इससे ग्रामीण महाजनों के जाल से बाहर निकलने में समर्थ हो रहे हैं। ग्रामीणों के पास रुपे कार्ड होने से उनके लिये डिजिटल बैंकिंग करना आसान हो गया है। वे धीरे-धीरे पॉइंट ऑफ सेल, इंटरनेट बैंकिंग और ऑनलाइन बैंकिंग करने में कुशल हो रहे हैं।

ऑनलाइन खरीददारी करने से बिचौलिये की भूमिका कम हुई है। मनपसंद उत्पादों को खरीददारी करना ग्रामीणों के लिये आसान हो गया है। खरीदे गये समान के घर पहुँच जाने से बाजार आने-जाने का खर्च भी ग्रामीणों का बच रहा है। इधर, आईआईपी के 9 महीने के उच्चतम स्तर पर पहुँचना बताता है कि औद्योगिक विकास में तेजी आई है। औद्योगिक क्षेत्र में विकास होने से रोजगार सृजन में तेजी, विविध उत्पादों की माँग में वृद्धि, विकास दर में बढ़ोतरी आदि होने की संभावना बढ़ गई है। कहा जा सकता है कि अर्थव्यवस्था तेजी से सुधार की दिशा में अग्रसर है।

(लेखक भारतीय स्टेट बैंक के कॉरपोरेट केंद्र, मुंबई के आर्थिक अनुसंधान विभाग में मुख्य प्रबंधक हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)