सीडी काण्ड में सबसे ज्यादा सवाल खुद हार्दिक पटेल पर ही उठते हैं !

जानकारी निकलकर आ रही है कि वायरल वीडियो सोलह मई का है। मतलब यह कि तब से अभी तक हार्दिक इस मामले को दबाए रहे। चुनाव आते ही उनको इस वीडियो की याद आई। हार्दिक के दिए बयान से ही कई सवाल उठने लाजिमी हैं। पहला सवाल क्या हार्दिक को पता था कि उनका कोई सेक्स वीडियो बना है। अगर पता था, तो उन्होंने उस वक्त इसका खुलासा क्यों नहीं किया ? जाहिर है कि अगर किसी भी व्यक्ति को इसका अंदेशा होता है कि उसकी निजता में कोई दखल देकर इस प्रकार की गतिविधि करने की चेष्टा कर रहा है तो सबसे पहले वह उस पर कार्यवाही करता है, किन्तु यहाँ हार्दिक पटेल किस कारणवश मौन रहे, यह अपने आप में बड़ा सवाल है। कहीं ऐसा तो नहीं कि खुद के बुने जाल में हार्दिक खुद ही फँस रहे हैं ?

गुजरात में मतदान की तारीख जैसे–जैसे करीब आ रही, वैसे-वैसे रोज़ कुछ न कुछ नया सियासी भूचाल आ रहा है। चुनावी समर के मध्य पाटीदार आरक्षण आंदोलन के नेता हार्दिक पटेल का एक अन्तरंग वीडियो जैसे ही सामने आया गुजरात का सियासी पारा अपने परवान पर चढ़ गया। दरअसल, इस वीडियो में हार्दिक पटेल किसी होटल के कमरे में एक लड़की के साथ आपत्तिजनक स्थिति में दिख रहें हैं। गुजरात के चुनावी मौसम में यह वीडियो राजनीतिक माहौल में आग में घी डालने जैसा काम किया है। जैसे ही यह वीडियो सोशल मीडिया के जरिये वायरल हुआ इसको लेकर भारी हंगामा मच गया।

हालांकि यह स्पष्ट करना उचित होगा कि यह वीडियो गुजरात की चुनावी राजनीति को विशेष रूप से प्रभावित करेगी, ऐसा नहीं लगता और ना ही इसका कोई सरोकार सीधे तौर पर जनता से है। बहरहाल,यह ओछी राजनीति का एक उदाहरण भर है। यह वीडियो किस मकसद से और किसने वायरल किया है, यह अभी स्पष्ट नहीं हो पाया है। किन्तु विरोधी दल से लगाए सोशल मीडिया पर एक कबीले के लोग बिना किसी पुख्ता सुबूत के यह साबित करने में लग गये कि यह वीडियो बीजेपी ने वायरल किया है। जाहिर तौर पर इस वीडियो को चुनाव से ऐन पहले सार्वजनिक करना और किसी के निजता में दखल देना किसी रूप में जायज नहीं है।

वीडियो सामने आने के बाद आरोपों से घिरे हार्दिक पटेल ने भी इसको राजनीति से प्रेरित बताते हुए बिना किसी ठोस बुनियादी सुबूत के इसका ठीकरा बीजेपी के सिर मढ़ दिया। उनके आरोपों में सच्चाई कम राजनीतिक चतुराई स्पष्ट तौर पर देखी जा सकती है। अभी कुछ रोज़ पहले ही हार्दिक पटेल ने इस बात का अंदेशा जताया था कि उनको बदनाम करने के लिए बीजेपी कोई वीडियो वायरल कर सकती है।

हार्दिक का यह बयान और सेक्स सीडी का सामने आना कहीं न कहीं इस बात की तरह इशारा करता है कि यह वीडियो कांड पूर्व नियोजित एक योजना थी। हार्दिक के बयानों को समझे तो इसमें कई प्रकार के तथ्य सामने आतें है। जो खुद इस सीडी काण्ड की कहानी को बयाँ करने के लिए काफ़ी हैं और साफ़ तौर पर संकेत दे रहे हैं कि हार्दिक को इस सीडी काण्ड के बारे में पूरी जानकारी थी।

हार्दिक पटेल

जैसा कि जानकारी निकलकर आ रही है कि वायरल वीडियो सोलह मई का है, तब से अभी तक हार्दिक इस मामले को दबाए रहे। चुनाव आते ही उनको इस वीडियो की याद आई। हार्दिक के दिए बयान से ही कई सवाल उठने लाजिमी हैं। पहला सवाल क्या हार्दिक को पता था कि उनका कोई सेक्स वीडियो बना है। अगर पता था तो उन्होंने उस वक्त इसका खुलासा क्यों नहीं किया ? जाहिर है कि अगर किसी भी व्यक्ति को इसका अंदेशा होता है कि उसकी निजता में कोई दखल देकर इस प्रकार की गतिविधि करने की चेष्टा कर रहा है तो सबसे पहले वह उस पर कार्यवाही करता है, किन्तु यहाँ हार्दिक पटेल किस कारणवश मौन रहे, यह अपने आप में बड़ा सवाल है। कहीं ऐसा तो नहीं कि खुद के बुने जाल में हार्दिक फँस रहे ?

जाहिर है कि यह वीडियो बेहद निजी है और किसी के भी निजी जीवन में ताकझांक करना किसी रूप में सहीं नहीं है। किन्तु, अगर कोई आपके निजी जीवन में ताकझांक आपकी जानकरी में कर रहा है, इसपर चुप बैठना भी संशय पैदा करता है। यह शुद्ध तौर पर राजनीतिक नफ़े-नुकसान के मद्देनजर वायरल किया गया छायाचित्र है। खैर, इस सीडी काण्ड को नारी सम्मान से जोड़कर हार्दिक ने यह साबित किया है कि वह किसी भी स्तर की राजनीति करने से परहेज़ नहीं करने वाले।

हार्दिक को यह स्पष्ट करना चाहिए कि उन्हें जब पता था कि उनका  वीडियो किसी ने बनाया है, तो उस पर अभी तक कार्यवाही करने की बजाय ख़ामोशी की चादर क्यों ओढ़े हुए थे। जहां तक बात बीजेपी द्वारा वीडियो वायरल करने की है, इसके कोई ठोस कारण नज़र नहीं आते। गुजरात में बीजेपी मजबूत स्थिति में है। हाल में जो चुनावी सर्वे सामने आयें है, उसमें बीजेपी को भारी बढत मिलती दिख रही है। इस तरह गुजरात में बीजेपी का विजय रथ रोकना मुश्किल है, जिससे हार्दिक पटेल और कांग्रेस समेत उनके साथी हताशा के दौर से गुजर रहे हैं।

हार्दिक पटेल भले ही खुद को बड़ा नेता मान बैठे हों, पर सच्चाई यह है कि आज भी उनके पास कोई सियासी जमीन नहीं है, जिसपर वह बैटिंग कर सकें। यह बात न्यूज़ चैनलों द्वारा किये गये ओपिनियन पोल में स्पष्ट हो चुकी है कि गुजरात के राजनीतिक मैदान पर हार्दिक अभी बारहवें नम्बर के खिलाड़ी हैं अर्थात उनकी क्षमता इतनी भी नहीं कि किसी की जीत या हार सुनिश्चित कर सकें। ऐसे में, हार्दिक के साथ बीजेपी इस तरह के कोई दोयम दर्जे का काम करेगी, यह आरोप बेदम से लगते हैं।

यह बात पहले ही सर्वविदित है कि विभिन्न प्रकार के दिखावे के बाद हार्दिक कांग्रेस से ही हाथ मिलायेंगे। आरक्षण के मुद्दे पर कांग्रेस से सवाल–जवाब के जरिये पाटीदारों को खुश करने का हार्दिक का एक सियासी नाटक जल्द खत्म होने की संभावना है। गुजरात विधानसभा चुनाव जैसे-जैसे मतदान की तारीखों की तरफ बढ़ रहा है। वैसे–वैसे दिलचस्प राजनीति देखने को मिल रही है। लेकिन, हमारे राजनेताओं को इस बात का जरूर ख्याल रखना चाहिए कि कम से कम राजनीतिक शुचिता का न्यूनतम स्तर बरक़रार रहे।

बहरहाल, यह वीडियो काण्ड गुजरात की सियासत में कोई बड़ा उलटफेर लायेगा, ऐसा नहीं लगता। किन्तु, इसने हार्दिक पटेल के राजनीतिक करियर शुरू होने से पहले ही बड़ा झटका दिया है। हार्दिक का यह कहना कि चुनाव में लाभ के लिए बीजेपी ने इस वीडियो को वायरल करवाया है यह उनका प्योर राजनीतिक स्टंट मालूम पड़ता है। इस वीडियो को लेकर उनकी पूर्व भविष्यवाणी के मद्देनजर शक के घेरे में सबसे पहले वे खुद आते हैं। जो कुछ भी सच हो, साक्ष्य सहित हार्दिक को वस्तुस्थिति स्पष्ट करनी चाहिए।

(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)