उत्तर प्रदेश

योगी राज में उत्तर प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था में हो रहे क्रांतिकारी सुधार

उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शिक्षा का फंड बढ़ाया है। लेकिन फंड के साथ ईमानदारी से कार्य करने की इच्छाशक्ति होनी चाहिए। अन्यथा फंड भी भ्रष्टाचार  की भेंट चढ़ जाता है। पिछली सरकारों में ऐसा ही होता था। मगर, वर्तमान सरकार में फंड का पारदर्शी उपयोग होता दिख रहा है।

नीति आयोग की बैठक में योगी के सार्थक प्रस्ताव

नीति  आयोग के माध्यम से राज्यों के बीच विकास की स्वस्थ प्रतिद्वंदिता प्रारंभ करने की कल्पना की गई थी। योगी ने इसे चरितार्थ किया। उन्हीं की तरह अनेक मुख्यमंत्री भी इस दिशा में बेहतर कार्य करने में सफल रहे। वहीं जिनको विकास की अपेक्षा वोटबैंक की सियासत ज्यादा पसंद थी, वह उसी में उलझे रहे।

प्रयागराज : कुम्भ से प्रवाहित हुई विकास की धारा

कुंभ का ऐतिहासिक महत्व विश्व प्रसिद्ध है। इस प्रकार का आयोजन अन्यत्र कहीं भी नहीं होता है। यह उचित है कि प्रत्येक सरकारें अपने स्तर पर इसके निर्बाध आयोजन का प्रयास करती रही हैं। लेकिन योगी आदित्यनाथ की सरकार ने इसे यहीं तक  सीमित नहीं रखा। उसने अपने को भावनात्मक रूप से भी कुम्भ से जोड़ा है। यह अंतर तैयारियों में भी दिखाई दिया।

पूरब से पश्चिम तक भाजपा का बुलंद मंसूबा

विपक्षी महागठबंधन की कवायदों के बीच भारतीय जनता पार्टी ने भी अपना मंसूबा बुलंद कर लिया है। यह बात भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह की पहले कलकत्ता की जनसभा और फिर मेरठ में प्रदेश कार्यसमिति की बैठक के समापन भाषण से जाहिर हुई। पश्चिम बंगाल में भाजपा, कांग्रेस और वामपंथी पार्टियों को पछाड़ कर दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बन चुकी है। मतलब यहाँ पार्टी जमीनी स्तर पर मुख्य विपक्षी पार्टी की हैसियत में आ गई है। अमित शाह ने इसी अंदाज में ममता बनर्जी  सरकार पर हमले

‘सपा के पांच साल में यूपी में जितना निवेश हुआ था, उससे अधिक योगी के एक साल में ही हो गया’

उत्तर प्रदेश के इतिहास में औद्योगिक विकास का अभूतपूर्व अध्याय जुड़ा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लखनऊ में 60 हजार करोड़ से ज्यादा के उद्योगों की नींव रखी जिससे लाखों की तादाद में रोजगार पैदा होंगे। नरेंद्र मोदी ने माना कि योगी आदित्यनाथ ने व्यवस्था को बदलने में सफलता की है। इसके चलते ही यह कार्य संभव हो सका।

आज़म खान ने किया डॉ अंबेडकर का अपमान, खामोश हुए दलित चिंतक!

उत्तरप्रदेश सरकार के मंत्री और मुस्लिम नेता आजम खान ने साबित कर दिया है कि उन्हें मर्यादा में रहना जरा भी नहीं आता। इस बार उन्होंने अपनी बदजुबान से डॉ. भीमराव अम्बेडकर का अपमान किया है। संभवत: यह उनके शिक्षण और प्रशिक्षण का दोष है कि उन्होंने एक बार फिर अपनी दूषित मानसिकता को जाहिर कर दिया।

दरकती ही जा रही है उत्तर प्रदेश में कांग्रेस की राजनीतिक जमीन

वैसे तो कांग्रेस आज भी कहने को राष्ट्रीय पार्टी ही है लेकिन सबसे अधिक लोकसभा और विधान सभा की सीटों वाले प्रदेश में उसकी स्थिति कैसी है, यह किसी से छिपा नहीं है। अगर राजनैतिक लोकप्रियता और स्वीकार्यता के ग्राफ को समझना है तो उसके लिए यह देखना बेहद जरूरी है कि बिहार, बंगाल, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, और महाराष्ट्र जैसे बड़े प्रदेशों में पार्टी का चुनावी प्रदर्शन कैसा रहा है। कांग्रेस पार्टी की लोकप्रियता का आलम यह है पिछले लोकसभा चुनाव में और उसके बाद के सभी विधानसभा चुनावों में, किसी भी राज्य में कांग्रेस की स्थिति दयनीय से अलग नहीं रही है।