कांग्रेस

कर्नाटक चुनाव : विकास के मुद्दे पर बात करने से बच क्यों रही है कांग्रेस ?

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी हर महीने “मन की बात” के ज़रिये देश के लोगों से संवाद स्थापित करते हैं, इसमें वे देश-समाज से जुड़े विकासपरक विषयों पर बात करते हैं। अतः हर महीने देश की जनता में जिज्ञासा रहती है कि वे अबकी इस कार्यक्रम के जरिये किन योजनाओं और नीतियों पर बात करने वाले हैं। लेकिन, विपक्ष और खासकर कांग्रेस पार्टी को शायद हमेशा यह चिंता रहती है कि कैसे हर मुद्दे पर राजनीति की जाए

अपने राजनीतिक स्वार्थों के लिए लोकतान्त्रिक व्यवस्था को चोट पहुँचा रही कांग्रेस !

सात विपक्षी दलों द्वारा मुख्य न्यायधीश दीपक मिश्रा के खिलाफ़ दिए गए महाभियोग नोटिस को उपराष्ट्रपति ने यह कहते हुए ख़ारिज कर दिया कि मुख्य न्यायाधीश के ऊपर लगाए गए आरोप निराधार और कल्पना पर आधारित हैं। उपराष्ट्रपति की यह तल्ख़ टिप्पणी, यह बताने के लिए काफ़ी है कि कांग्रेस ने  किस तरह से अपने राजनीतिक स्वार्थों की पूर्ति के लिए महाभियोग जैसे अति-गंभीर विषय पर अगम्भीरता दिखाई है।

सलमान खुर्शीद से पल्ला झाड़ने वाली कांग्रेस अपने दंगों के इतिहास से पल्ला कैसे झाड़ेगी !

सलमान खुर्शीद के बयान से किनारा करने वाली कांग्रेस पार्टी क्‍या यह कहेगी कि हाशिमपुरा, मलियाना, मेरठ, मुजफ्फरनगर, मुरादाबाद, भागलपुर, अलीगढ़ जैसे हजारों दंगे कांग्रेस पार्टी के शासन काल में नहीं हुए थे? जो कांग्रेसी 2002 के गुजरात दंगों के लिए तत्‍कालीन मुख्‍यमंत्री नरेंद्र मोदी को मौत का सौदागर कहते रहे हैं, वही लोग कांग्रेस शासित राज्‍यों में हुए सांप्रदायिक दंगों के लिए किस आधार पर वहां के

महाभियोग प्रकरण : उपराष्ट्रपति का न्यायसंगत निर्णय, कांग्रेस की फिर हुई फजीहत !

मुख्य न्यायाधीश को हटाने की कांग्रेसी मुहिम का यही हश्र होना था। राज्यसभा के सभापति वैकैया नायडू ने इस संबन्ध में विपक्ष की नोटिस को खारिज कर दिया। उन्होंने इसके लिए पर्याप्त होमवर्क किया। देश के दिग्गज संविधान और विधि विशेषज्ञों से विचार विमर्श किया। इसके आधार पर विपक्ष की नोटिस के प्रत्येक बिंदु का परीक्षण किया।

न्यायपालिका का मखौल बना रहे विपक्षी दल !

आज से तीन वर्ष पहले हुई जज लोया की मौत को सुप्रीम कोर्ट ने ‘सामान्य’ करार दिया, साथ ही उनलोगों को लताड़ लगाई जो इसे सनसनीखेज बनाने की कोशिश कर रहे थे। सम्बंधित याचिकाओं के साजिशन या राजनीति से प्रेरित होने की बात भी कोर्ट ने कही है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले यह भी स्पष्ट किया कि अब इस मामले पर आगे कोई सुनवाई नहीं होगी।

गांधी के उपवास की महान परंपरा का कांग्रेसी उपहास !

महात्मा गांधी अहिंसा और डॉ. आंबेडकर संवैधानिक व्यवस्था के प्रबल हिमायती थे। दोनों महापुरुष अपने इस आग्रह से किसी प्रकार के समझौते  के लिए कभी  तैयार नहीं हुए। महात्मा गांधी के अहिंसक आंदोलन से देश की आजादी की लड़ाई को बल मिला, तो स्वतंत्र भारत को डॉ. आंबेडकर ने भारतीय संविधान के रूप में एक उत्तम शासन-तंत्र प्रदान किया।

ममता बनर्जी के तीसरे मोर्चे की कवायदों से बढ़ेगी कांग्रेस की परेशानी !

पिछले कुछ समय से देश की सियासत में एक नया चलन देखने को मिल रहा है कि जब भी लोकसभा चुनाव आसन्न होते हैं, देश की सभी छोटी-बड़ी पार्टियां सामूहिक एकता दर्शाने के लिए सामूहिक भोज का आयोजन करने लगती हैं। देश की राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में भी पिछले दिनों कांग्रेस पार्टी ने ऐसे ही एक भोज का आयोजन कर रस्मी तौर पर एक फोटोग्राफ जारी कर दिया। मानो गठबंधन की खानापूर्ति हो गई। क्या

39 भारतीयों की मौतों पर कांग्रेस की शर्मनाक राजनीति को लोगों ने दिखाया आइना !

इराक़ के मोसुल में जून, 2014 से लापता 39 भारतीयों के जिंदा न होने की जानकारी विदेश मंत्री सुषमा स्वराज द्वारा दिए जाने के बाद कांग्रेस ने जिस ओछी राजनीति का परिचय सदन के अंदर और सदन के बाहर दिया, वो शर्मनाक और निंदनीय है। इसके बाद कांग्रेस की जम कर फ़जीहत भी हुई है।

कर्नाटक से मेघालय तक हिन्दी का विरोध करते कांग्रेसी !

मेघालय के राज्यपाल गंगा प्रसाद ने बीते दिनों राज्य विधानसभा के बजट सत्र में अपना भाषण हिन्दी में देकर मानो कोई अपराध कर दिया है! वे जब अपना भाषण हिन्दी में पढ़ रहे थे, तब ही विरोध शुरू हो गया था। बिहार से संबंध रखने वाले गंगा प्रसाद के भाषण समाप्त करने के बाद कांग्रेस के ईस्ट शिलांग से विधायक एमाप्रीन लिंगदोहने विरोध में वाक आउट कर गए, जबकि एक अन्य सदस्य राज्यपाल के भाषण के दौरान

आत्ममुग्धता और अंधविरोध को समर्पित रहा कांग्रेस का अधिवेशन

कांग्रेस का महाधिवेशन पहली बार राहुल गांधी की सदारत में हुआ। उम्मीद थी कि पार्टी में नई सोच, नया उत्साह दिखाई देगा। लेकिन, ऐसा कुछ नहीं हुआ। ताजपोशी नयी थी। इसके अलावा कुछ भी नया नहीं था। वही पुरानी बात दोहराई गई जिसके मूल में नरेंद्र मोदी थे। मुकाबले की बात चली तो गठबन्धन पर पहुंच गए। इसके अलावा महाधिवेशन की कोई उपलब्धि नहीं रही। किसी विपक्षी पार्टी के महाधिवेशन में सत्ता पक्ष पर