दिल्ली

‘2014 के चुनाव के समय उभरी आप 2019 के चुनाव में पूर्ण पतन की कगार पर है’

जिस कांग्रेस को केजरीवाल कोसते नहीं थकते थे, आज गठबंधन के लिए उसकी खुशामद करने में लगे हैं। इससे उनके अवसरवादी और दोमुंहे चरित्र का भी पता चलता है।

‘आप’ सरकार के दो साल : नहीं पूरे हुए वादे, ठप्प पड़ा दिल्ली का विकास

दिल्ली में आम आदमी पार्टी को सत्ता में आए दो वर्ष हो चुके हैं। इन दो वर्षों के कार्यकाल के दौरान दिल्ली की राजनीति में कई उतार-चढ़ाव देखने को मिले हैं। दो साल के कार्यकाल के आधार पर यदि केजरीवाल सरकार का मूल्यांकन करें तो बेहद निराश करने वाली स्थिति नज़र आती है। यह बात तो जगजाहिर है कि केजरीवाल के अभी तक के कार्यकाल का अधिकाधिक समय केंद्र सरकार और दिल्ली के पूर्व

दो सालों के शासन में पूरी तरह से नाकाम रही है केजरीवाल सरकार, बिगड़ी दिल्ली की हालत

विकास के नारे के साथ एक दिल्ली के मुख्यमंत्री बनाने वाले केजरीवाल की आप सरकार को दो साल का समय पूरा हो चुका है। दिल्ली के मतदाताओं को स्वच्छ राजनीति, लुभावने वादों और विकास का सब्जबाग दिखाकर केजरीवाल सत्ता तक तो पहुंच गए, लेकिन उनके कार्यकाल में विकास के नाम पर एक पत्ता भी नहीं हिला है। दो साल का समय बीता तो सिर्फ दिल्ली के उपराज्यपाल नजीब जंग और केंद्र

दिल्ली भाजपा को और मजबूती देंगे मनोज तिवारी

बीजेपी के राष्ट्रीय नेतृत्व ने अपने दिल्ली संगठन में एक बड़ा बदलाव करते हुए भोजपुरी फिल्मों के अभिनेता, मशहूर गायक और उत्तरी दिल्ली के सांसद मनोज तिवारी को पार्टी का प्रदेशाध्यक्ष नियुक्त कर दिया है। मनोज को मौजूदा पार्टी अध्यक्ष सतीश उपाध्याय की जगह यह जिम्मेदारी सौंपी गई है। मनोज तिवारी सिर्फ पूर्वांचल के लोगों में ही लोकप्रिय नहीं हैं, चूंकि वे फिल्मी दुनिया से जुड़े हुए हैं, इसीलिए हर क्षेत्र के

अब तो दिल्ली के तुगलक का दरबार छोड़ दीजिये मैत्रेयी पुष्पा जी!

हिंदी दिवस पर दिल्ली सरकार के अतर्गत आने वाली हिंदी अकादमी एकबार फिर विवादों में है। विवाद की वजह सम्मान-वापसी से जुड़ा है। घबराइये मत, यह सम्मान वापसी अवार्ड वापसी वाले उस असहिष्णुता इवेंट जैसा नहीं है। इसबार आम आदमी पार्टी सरकार के अंतर्गत आने वाली दिल्ली हिंदी अकादमी ने हिंदी दिवस पर तीन साहित्यकारों

देश की आज़ादी में दिल्ली के गांवों का भी रहा है महत्वपूर्ण योगदान!

देश की आजादी के आंदोलन में दिल्ली के गांवों की भागीदारी का सिरा सन् 1857 में हुए पहले स्वतंत्रता संग्राम तक जाता है जब चंद्रावल, अलीपुर सहित राजधानी के अनेक अधिक गांवों के निवासियों ने विदेशी शासन के खिलाफ विद्रोह का बिगुल बजा दिया था। अंग्रेजों ने इस पहले भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दमन और दिल्ली पर दोबारा कब्जा करने के बाद इसमें हिस्सा लेने वाले क्रांतिकारियों को बहुत ही कठोरता से कुचला।

दिल्ली का इतिहास: पांडवों की राजधानी से लेकर भारत की राजधानी तक

देश की राजधानी दिल्ली का इतिहास का सिरा भारतीय महाकाव्य महाभारत के समय…

ईमानदार राजनीति की निकली हवा, दिल्ली सरकार के पदों की बंदरबाँट करने में डूबे केजरीवाल!

अन्ना हजारे के जनलोकपाल आंदोलन का सहारा लेकर अरविन्द केजरीवाल व उनकी टीम ने मौका देख धीरे-से पूरे आंदोलन को एक-तरफ़ कर अपना नया राजनीतिक एजेंडा आम आदमी पार्टी के रूप में देश में लांच किया।

किस हिन्दू राजा का बसाया नगर है दिल्ली, जानिए क्या है इतिहास ?

दिल्ली शहर का इतिहास महाभारत के जितना ही पुराना है। इस शहर को इंद्रप्रस्थ के नाम से जाना जाता था, जहां कभी पांडव रहे थे। समय के साथ-साथ इंद्रप्रस्थ के आसपास आठ शहर लाल कोट, दीनपनाह, किला राय पिथौरा, फिरोजाबाद, जहांपनाह, तुगलकाबाद और शाहजहांनाबाद बसते रहे। ऐतिहासिक दृष्टि से दिल्ली का इतिहास हिंदू तोमर राजा अनंगपाल के इस क्षेत्र पर अधिकार करने से शुरू होता है। उसने गुड़गांव जिले में अरावली की पहाडि़यों पर सूरजकुंड के समीप अपनी राजधानी अनंगपुर बनायी।

कोर्ट के फैसले के बाद अब रार छोड़ें और दिल्ली में कुछ काम भी करें केजरीवाल

दिल्ली हाईकोर्ट ने केजरीवाल सरकार की अपील पर जो फैसला सुनाया है, वह उसके लिए झटका भी है और बचाव का रास्ता भी। हाईकोर्ट ने साफ कर दिया है कि दिल्ली के असल प्रशासक दिल्ली के उपराज्यपाल ही है। जिस 69वें संविधान संशोधन अधिनियम के तहत दिल्ली में विधानसभा है और सरकार बनी है, उसके मुताबिक दिल्ली का उपराज्यपाल ही दिल्ली का असल प्रशासक है और वह केंद्रीय गृहमंत्रालय के अधीन प्रशासन चलाता है। रही बात विधानसभा की तो उसकी वह हैसियत नहीं है, जो हैसियत संघ के दूसरे राज्यों की है।