अभिव्यक्ति

समस्या असहिष्णुता की नहीं, अभिव्यक्ति के अतिरेक की है !

सीबीआई के छापे मालिक के घर पर किसी अन्य कारण से पड़े, लेकिन उसे अभिव्यक्ति के हनन का मामला बना कर एनडीटीवी के ख्यात प्रस्तोता ने अपना एकांगी पक्ष रखा तो सोशल माध्यमों पर दूसरा पक्ष रखने वालों की बाढ़-सी आ गयी। ऐसी बहसों में गलत क्या है, जब मीडिया का दावा ही सच को उजागर करने का है?