अलगाववादी

अनुच्छेद-370 हटने के बाद बदलाव की राह पर बढ़ रहा जम्मू-कश्मीर

बदलाव यह भी हुआ है कि अब जम्मू-कश्मीर के सरकारी कार्यालयों पर तिरंगा लहराने लगा है। भारतीय पर्वों को भी उल्लास के साथ खुलकर मनाया जाने लगा है।

अनुच्छेद-370 हटने के बाद तेजी से बदल रहा जम्मू-कश्मीर, आतंकी घटनाओं में आई कमी

अनुच्छेद-370 हटने के बाद जो अनेक सकारात्मक संकेत हमें देखने को मिल रहे हैं, यही जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के विकास को सुनिश्चित करेंगे।

पीओके पर यह कौन-सी भाषा बोल रहे हैं, फारूक अब्दुल्ला !

फारूक अब्दुल्ला की जुबान अब बार-बार फिसलने लगी है। फारूक अब्दुल्ला लगता है जानबूझकर सुनियोजित ढंग से उलटबयानी करते हैं। फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि जो हिस्सा पाकिस्तान के पास है, वो पाकिस्तान का ही कश्मीर है। भारत ने कश्मीर को धोखा दिया है। कुछ माह पहले फारुक अब्दुल्ला ने पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) पर भारत के दावे को लेकर कहा, “क्या यह तुम्हारे बाप का है?” उन्होंने  आगे

अलगाववादियों पर हो रही कार्रवाई का घाटी में क्या होगा असर ?

इस साल की शुरुआत में पाकिस्तान से फंडिंग का खुलासा होने के बाद देश में अशांति फ़ैलाने से लेकर कई संगीन अपराधों के लिए अब अलगाववादी नेताओं के कई करीबियों को हिरासत में लिया गया है। देश की सुरक्षा के लिहाज से यह एक बेहद जरूरी कदम था। ईडी ने आतंकी फंडिंग केस में शब्बीर शाह के एक करीबी कथित हवाला डीलर असलम वानी को श्रीनगर से गिरफ्तार किया। साथ ही शब्बीर शाह को भी

सेना और जांच एजेंसियों के जरिये कश्मीर में आतंकवाद पर सरकार ने बोला दोतरफा हमला !

यूँ तो एक लम्बे समय से केंद्र सरकार ने सेना को कश्मीरी आतंकियों से निपटने के लिए खुली छूट दे रखी है, मगर अब जिस स्तर पर सेना कार्रवाई कर रही उसके अलग ही संकेत हैं। कश्मीर में हिंसा फैलाने वाले आतंकियों के साथ-साथ उनको शह देने वाले अलगाववादियों पर भी सरकार एकदम सख्त रुख अपनाए हुए है। स्पष्ट है कि सरकार अब कश्मीर के सभी अराजक तत्वों से एकदम सख्ती से निपटने का मन बना

वे कौन-से नमाज़ी थे कि उनके सीने में हत्यारी मानसिकता धधक रही थी !

गत दिनों जम्मू-कश्मीर की राजधानी श्रीनगर के नौहट्टा स्थित जामिया मस्जिद से नमाज़ अदा करके निकली उन्मादी भीड़ ने मस्जिद के बाहर सुरक्षा इंतजामों के लिए मौजूद डीएसपी अयूब पंडित की निर्ममतापूर्वक पीट-पीटकर हत्या कर दी। उनपर भीड़ के इस हमले के सम्बन्ध में कई तरह की बातें सामने आ रही है।

स्टिंग ऑपरेशन में सामने आया कश्मीर के अलगाववादी नेताओं का देशविरोधी चेहरा

यूँ तो देश में अक्सर ही कश्मीरी अलगाववादियों के पाक से संबंधों को लेकर चर्चा होती ही रहती है, लेकिन अभी हाल ही में आए इंडिया टुडे के एक स्टिंग ने इस सम्बन्ध में स्थिति को विशेष रूप से चर्चा में ला दिया है। कई बार ऐसा हुआ है कि अलगाववादियों की गतिविधियों से उनका देश विरोधी रवैया सामने आया है, मगर अब इस स्टिंग ने पूरी स्थिति को एकदम ससाक्ष्य रूप से स्पष्ट कर दिया है।

यदि पत्थरबाज कश्मीर की आज़ादी के लिए लड़ रहे तो आप भी पत्थर उठा लीजिये, अब्दुल्ला साहब !

अब्दुल्ला ने कश्मीरी पत्थरबाजों को सही बताते हुए कहा कि वे अपने मुल्क की आज़ादी के लिए लड़ रहे हैं, इसमें कुछ भी गलत नहीं है। अब्दुल्ला से पूछा जाना चाहिए कि यदि इन कश्मीरी युवाओं का शिक्षा और रोजगार की संभावनाओं को छोड़ पत्थर उठाकर अपने ही देश के जवानों से लड़ना उनको जायज लग रहा, तो वे खुद और उनके बेटे उमर अब्दुल्ला पढ़-लिखकर राजनीति में क्यों हैं; क्यों नहीं पत्थर उठाकर कश्मीर की तथाकथित आज़ादी के नेक काम में लग जाते हैं ?

आतंकियों के मददगारों पर सेना प्रमुख के कठोर रुख से बौखलाए क्यों हैं विपक्षी दल ?

भारतीय थल सेनाध्यक्ष विपिन रावत का ताजा बयान सेना पर पत्थर बरसाने वालों के लिए कड़े सन्देश और चेतावनी की तरह नज़र आ रहा। लेकिन, राष्ट्रीय हित में जारी इस चेतावनी को भी कांग्रेस व कुछ अन्य विपक्षी दलों ने राजनीतिक चश्मे से देखने में कोई गुरेज़ नहीं किया, जो देश के लिए बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। साथ ही, यह इन विपक्षी दलों के राष्ट्र-हित के तमाम दावों की भी पोल खोल रहा है। गौरतलब है कि सभी

घाटी में कश्मीरी पंडितों की वापसी के लिए बनने लगा माहौल

सन १९९० में कश्मीरी पंडितो को कट्ट्रपंथियों के दबाव में मजबूरन अपना घर छोड़कर घाटी को अलविदा कहना पड़ा था, मगर आज २७ साल बाद उन्हें पुन अपने घर वापसी का रास्ता मिल गया है। २० जनवरी २०१७ को जम्मू कश्मीर विधान सभा में सभी दलों की सर्वसहमति के पश्चात् घाटी के पंडितो को विस्थापित करने का प्रस्ताव पारित कर दिया गया है। गौरतलब है कि इस प्रस्ताव के पारित होने के ठीक २७ वर्ष