कर्ज

अप्रैल 2023 में उच्चतम स्तर पर पहुँचा जीएसटी संग्रह, आर्थिक विकास दर को मिलेगी गति

नए वित्तीय वर्ष के प्रथम माह में ही वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) संग्रहण 187,035 करोड़ रुपए का रहा है और इस तरह यह एक नए रिकार्ड स्तर पर पहुंच गया है।

भारतीय अर्थव्यवस्था को गति देते बैंक

कर्ज वितरण में तेजी आने, सीडी अनुपात के सकारात्मक रहने और बैंकों के वित्तीय प्रदर्शन में बेहतरी आने से अर्थव्यवस्था की मजबूती के ही संकेत मिल रहे हैं।

कर्ज दरों में और कमी आने के आसार

मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने सर्वसम्मति से 5 दिसंबर की मौद्रिक समीक्षा में रेपो और रिवर्स रेपो दर में कोई बदलाव नहीं करने का फैसला किया था। पिछली मौद्रिक समीक्षा में रेपो दर में 0.25 प्रतिशत कटौती की गई थी, जिससे रेपो दर कम होकर 5.15 प्रतिशत हो गया। पाँच दिसंबर की मौद्रिक समीक्षा में नीतिगत दर में कटौती नहीं करने का मुख्य कारण खुदरा महँगाई में

उधारी दर निर्धारण की नयी व्यवस्था से कर्ज सस्ता करने में जुटा आरबीआई

नई व्यवस्था के तहत बैंक उधारी दर का निर्धारण खुद से नहीं कर सकेंगे। अब रिजर्व बैंक द्वारा नीतिगत दर में किये जा रहे बदलाव के अनुसार बैंकों की उधारी दर में कमी या बढ़ोतरी होगी। जब रिजर्व बैंक द्वारा नीतिगत में कटौती की जायेगी तो स्वतः ही उधारी दर में भी कमी आ जायेगी और जब नीतिगत दर में बढ़ोतरी की जायेगी तो उधारी दर में बढ़ोतरी हो जायेगी।

मोदी सरकार ले आई कड़ा क़ानून, अब बैंकों का कर्ज डकारने वालों की खैर नहीं!

संसद का मानसूत्र सत्र कई मायनों में बेहद अहम रहा है। इस सत्र में कई ऐसे विधेयक पास हुए हैं, जो सालों से लंबित थे। इसी कड़ी में मोदी सरकार ने बैंकों की एनपीए के खिलाफ एक महत्वपूर्ण और सार्थक कानून पास किया है। इस विधेयक को सरकार ने लंबी चर्चा के उपरांत आखिरकार पास करा लिया। ‘द इंफोर्समेंट ऑफ़ सिक्यूरिटी इंटरेस्ट एंड रिकवरी ऑफ़ डेबिट्स लॉस एंड मिसलेनियस प्रोविजन्स’ नामक यह विधेयक अगस्त के दूसरे हफ्ते में संसद के दोनों सदनों द्वारा पास हो गया।