भारतीय अर्थव्यवस्था को गति देते बैंक

बैंक को अर्थव्यवस्था की रीढ़ माना जाता है। इसके जरिये ही अर्थव्यवस्था को गतिशील और मजबूत बनाया जा सकता है। जाहिर है, कर्ज वितरण में तेजी आने, सीडी अनुपात के सकारात्मक रहने और बैंकों के वित्तीय प्रदर्शन में बेहतरी आने से अर्थव्यवस्था की मजबूती के ही संकेत मिल रहे हैं।

आज सभी देशों की एक दूसरे पर निर्भरता होने, यूक्रेन एवं रूस के बीच चल रहे युद्ध, कोरोना महामारी और वैश्विक स्तर पर भू-राजनैतिक संकट की स्थिति बनी होने के कारण ईंधन और कई उत्पादों की वैश्विक स्तर पर किल्लत हो गई है।  विकसित देशों में भी महंगाई चरम पर पहुँच गई है। बावजूद इसके भारतीय अर्थव्यवस्था मजबूत बनी हुई है, क्योंकि बैंकिंग तंत्र मजबूत हो रहे हैं। भारत ने विगत वर्षों में न सिर्फ कोरोना जैसी खतरनाक महामारी पर जल्द काबू पाने में सफलता पाई, बल्कि केंद्र सरकार, भारतीय रिजर्व बैंक और बैंक समयानुसार समीचीन कदम उठाकर अर्थव्यवस्था को फिर से पटरी पर लाने में सफल रहे।

कर्ज वितरण में तेज वृद्धि

सभी अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों (एएससीबी) के आंकड़ों के अनुसार 9 सितंबर को समाप्त हुए  पखवाड़े में कर्ज की वृद्धि दर 16.2 प्रतिशत रही, जबकि पिछले साल की समान अवधि में यह 6.7 प्रतिशत रही थी। वहीं, 21 अक्टूबर 2022 को समाप्त हुए पखवाड़े में कर्ज की वृद्धि दर 17.9 प्रतिशत रही, जो 9 सालों का उच्चतम स्तर है। इस अवधि में राशि में वितरित ऋण 129 लाख करोड़ रुपये के आंकड़े को पार कर गया।

ऋण वृद्धि; उद्योग, सेवा, व्यक्तिगत आदि महत्वपूर्ण क्षेत्रों में दर्ज की गई है। व्यक्तिगत और सेवा क्षेत्र में लगभग 20 प्रतिशत की ऋण वृद्धि दर्ज की गई है। उद्योग क्षेत्र में भी 12.6 प्रतिशत की मजबूत ऋण वृद्धि दर्ज की गई है, जबकि पिछले साल, समान अवधि में इस क्षेत्र में 1.7 प्रतिशत की मामूली ऋण वृद्धि दर्ज की गई थी।

सेवा क्षेत्र में वर्ष-दर-वर्ष के आधार पर 20 प्रतिशत की उच्चतम ऋण वृद्धि दर्ज की गई है, जिसमें गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी (एनबीएफसी) क्षेत्र में 30.6 प्रतिशत की ऋण वृद्धि दर्ज की गई है, जबकि कारोबारी क्षेत्र में 21.3 प्रतिशत की ऋण वृद्धि दर्ज की गई है।

उद्योग क्षेत्र में उच्च ऋण वृद्धि; सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योगों में 30 प्रतिशत की वर्ष दर वर्ष के आधार पर हुई ऋण वृद्धि की वजह से मुमकिन हुई है। इस अवधि में बड़े उद्योगों में सिर्फ 7.9 प्रतिशत की ऋण वृद्धि दर्ज की गई है।

ऋण वृद्धि लगभग सभी क्षेत्रों में हुई है। बुनियादी धातु, सीमेंट, कांच, निर्माण आदि क्षेत्रों में पिछले वर्ष की समान अवधि में नकारात्मक ऋण वृद्धि दर्ज की गई थी। आलोच्य अवधि में लकड़ी, लकड़ी के उत्पाद, पेट्रोलियम, कोयला, कोयला के उत्पाद, उर्वरक, रसायन, रसायन के उत्पाद, लौह, बुनियादी धातु, धातु के उत्पाद, इस्पात, दूरसंचार आदि अवसंरचना के लगभग सभी क्षेत्रों में दोहरे अंक में ऋण वृद्धि दर्ज की गई है।

ऋण ब्याज दरों में बढ़ोतरी के बावजूद ऋण वितरण में वृद्धि होना इस तथ्य की पुष्टि करता है कि माँग और आपूर्ति दोनों में तेजी आ रही है।

सीडी अनुपात में वृद्धि

मार्च 2020 की तुलना में एएससीबी ने 7 अक्तूबर को समाप्त हुए पखवाड़े में बैंक जमा में 27.27 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की, जबकि इस अवधि में ऋण वृद्धि 25.2 प्रतिशत दर्ज की। वहीं, जमा-ऋण वृद्धि अनुपात या सीडी अनुपात 75 प्रतिशत के आसपास रहा। हालांकि, बड़े उद्योग और व्यक्तिगत ऋण की मांग में आई तेजी के कारण अप्रैल 2022 के बाद के महीनों में औसत वृद्धिशील सीडी अनुपात 117 प्रतिशत के आसपास के स्तर पर बनी हुई थी, जो अक्तूबर 2022 में बढ़कर 135 प्रतिशत हो गई।

यहाँ यह बताना जरुरी है कि नियामकीय जरूरतों को पूरा करने की मजबूरी की वजह से बैंक 100 रूपये की जमा राशि में सिर्फ 77.5 रूपये का ही इस्तेमाल ऋण देने के लिए कर पाता है, क्योंकि बैंक को 4.5 प्रतिशत नकदी आरक्षित अनुपात (सीआरआर) और 18 प्रतिशत वैधानिक तरलता अनुपात  (एसएलआर) के लिए हर 100 रूपये में से 22.50 रूपये आरक्षित रखनी पड़ती है, ताकि बैंक के डूबने या दिवालिया होने पर इस राशि का इस्तेमाल जमाकर्ताओं की देनदारी को चुकाने के लिए किया जा सके। इसके बाद भी बैंकों द्वारा उच्च स्तर के सीडी अनुपात को बनाये रखना इस बात का संकेत है कि बाजार में उधारी का उठाव बना हुआ है और आर्थिक गतिविधियों में मुसलसल तेजी आ रही है।

675 सूचीबद्ध कंपनियों के वित्तीय प्रदर्शन में सुधार

चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में 675 सूचीबद्ध कंपनियों के वित्तीय परिणामों में बेहतरी आई है। इन्होंने 28 प्रतिशत का टॉप लाइन वृद्धि दर्ज की है। टॉप–लाइन वृद्धि उच्च सकल बिक्री या राजस्व संग्रह या आय को संदर्भित करती है। टॉप–लाइन वृद्धि का यह अर्थ हुआ कि कंपनी ने कुल बिक्री या राजस्व या आय में उच्च वृद्धि दर्ज की है। इसे टॉप लाइन इसलिए कहा जाता है, क्योंकि इसे कंपनी के आय विवरण में सबसे शीर्ष पर प्रदर्शित किया जाता है।  जो कंपनी अपना राजस्व या आय या बिक्री बढ़ाती है, उसे टॉप लाइन वृद्धि दर हासिल करने वाली कंपनी कहा जाता है

सूचीबद्ध कंपनियों के वित्तीय प्रदर्शन में सुधार आने की वजह भी बैंक है। कोरोना महामारी की वजह से कोर्पोरेट्स, सूक्ष्म, लघु और मझौले उद्योगों के कामकाज ठप्प हो गए थे, लेकिन कोरोना महामारी का प्रभाव कम होते ही बैंकों ने उन्हें समय पर सहायता उपलब्ध करवाई, जिसके कारण वे अल्प समय में रिकवरी करने में कामयाब रहे।

सितंबर तिमाही में बैंकों का शानदार प्रदर्शन

चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही या सितंबर तिमाही में सभी बैंकों ने शुद्ध ब्याज मार्जिन (एनएमआई), शुद्ध लाभ और फँसे कर्ज (एनपीए) के पैमानों पर शानदार प्रदर्शन किया है। उदहारण के तौर पर भारतीय स्टेट बैंक ने चालू वित्त वर्ष की जुलाई से सितंबर तिमाही में एकल आधार पर 13,265 करोड़ रुपये की शुद्ध लाभ अर्जित की है, जो पिछले साल की समान अवधि से 74 प्रतिशत अधिक है। वहीं, दूसरी तिमाही में बैंक की कुल आय बढ़कर 88,734 करोड़ रुपये हो गई, जो 1 साल पहले की समान अवधि में 77,689.09 करोड़ रुपये थी।

पिछली तिमाही में स्टेट बैंक की शुद्ध ब्याज आय 13 प्रतिशत बढ़कर 35,183 करोड़ रुपये हो गई, जबकि 1 साल पहले यह 31,184 करोड़ रुपये थी। चालू वित्त वर्ष की सितंबर तिमाही में स्टेट बैंक का एनपीए भी घटकर 3.52 प्रतिशत रह गया, जबकि 1 साल पहले समान अवधि में यह 4.90 प्रतिशत था। शुद्ध एनपीए का अनुपात भी घटकर कुल अग्रिम का 0.80 प्रतिशत रह गया, जो पिछले साल की समान अवधि में 1.52 प्रतिशत था।

बैंक ऑफ बड़ौदा (बॉब) का शुद्ध लाभ चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में 59 प्रतिशत बढ़कर 3,313 करोड़ रुपये हो गया, जबकि पिछले वर्ष की समान तिमाही में बैंक को 2,088 करोड़ रुपये का शुद्ध मुनाफा हुआ था। बॉब की कुल आय वित्त वर्ष 2022-23 की दूसरी तिमाही में बढ़कर 23,080.03 करोड़ रुपये हो गई, जबकि पिछले वर्ष यह 20,270.74 करोड़ रुपये थी। इसकी शुद्ध ब्याज आय भी 34.5 प्रतिशत बढ़कर 10,714 करोड़ रुपये हो गई।

बॉब का एनपीए सितंबर 2022 के अंत में घटकर सकल अग्रिम का 5.31 प्रतिशत रह गया, जबकि पिछले साल की समान अवधि में यह 8.11 प्रतिशत था। बॉब का शुद्ध एनपीए भी 2.83 प्रतिशत घटकर 1.16 प्रतिशत रह गया। समीक्षाधीन तिमाही में बॉब का शुद्ध ब्याज मार्जिन बढ़कर 3.33 प्रतिशत और पूंजी पर्याप्तता अनुपात 15.55 प्रतिशत से घटकर 15.25 प्रतिशत रह गया।

पंजाब एंड सिंध बैंक (पीएसबी) का शुद्ध लाभ चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में 27 प्रतिशत बढ़कर 278 करोड़ रुपये हो गया, जबकि पिछले साल की समान अवधि में शुद्ध लाभ 218 करोड़ रुपये रहा था। पीएसबी की दूसरी तिमाही में कुल आय भी बढ़कर 2,120.17 करोड़ रुपये हो गई, जबकि पिछले 1 साल की समान अवधि में यह 1,974.78 करोड़ रुपये रही थी।

वित्त वर्ष 2022-23 की दूसरी तिमाही में पीएसबी का एनपीए घटकर सकल अग्रिम के 9.67 प्रतिशत पर आ गया। पिछले साल यह अनुपात 14.54 प्रतिशत रहा था। पीएसबी बैंक का शुद्ध एनपीए  घटकर 2.24 प्रतिशत हो गया, जबकि पिछले साल की सामान तिमाही में यह 3.81 प्रतिशत था।

बैंक को अर्थव्यवस्था की रीढ़ माना जाता है। इसके जरिये ही अर्थव्यवस्था को गतिशील और मजबूत बनाया जा सकता है। जाहिर है, कर्ज वितरण में तेजी आने, सीडी अनुपात के सकारात्मक रहने और बैंकों के वित्तीय प्रदर्शन में बेहतरी आने से अर्थव्यवस्था की मजबूती के ही संकेत मिल रहे हैं।

(लेखक भारतीय स्टेट बैंक के कॉरपोरेट केंद्र मुंबई के आर्थिक अनुसंधान विभाग में कार्यरत हैं। आर्थिक मामलों के जानकार हैं। प्रस्तुत विचार उनके निजी हैं।)