कांग्रेस

भाजपा के भय से वायनाड गए राहुल के पीछे पड़े वामपंथी

बीच लड़ाई में अगर सेनापति मैदान छोड़कर किनारा कर ले तो उस मुकाबले का परिणाम आप सहज सोच सकते हैं। बात यहाँ कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी की हो रही है, जिन्होंने चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस का गढ़ कही जाने वाले अमेठी की सीट के साथ ही एक ऐसी सीट से भी चुनाव लड़ने का मन बनाया है जहाँ उनके हार की सम्भावना नहीं के बराबर कही जा रही।

‘राहुल का वायनाड जाना बताता है कि स्मृति ईरानी ने चुनाव से पूर्व ही आधी लड़ाई जीत ली है’

अमेठी एक तरह से ऐसा माना जाता रहा है कि कोई आए, जीतेगी कांग्रेस ही, किन्तु इस मिथक को स्मृति ईरानी ने पिछले लोकसभा चुनाव में कड़ी टक्कर देकर तोड़ दिया। इसके बाद ऐसा शायद पहली बार देखने को मिला कि एक पराजित प्रत्याशी अपने हारे हुए संसदीय क्षेत्र के विकास के लिए न केवल चिंतित है

भारत के लिए व्यावहारिक और कारगर नहीं है न्यूनतम आय गारंटी योजना

दुनिया में ऐसी योजना की सफलता की बात कुछ अर्थशास्त्री कर रहे हैं, लेकिन ऐसे प्रयोग कुछ सीमित लोगों या छोटे देशों पर किये गये हैं, जिसके आधार पर भारत जैसे बड़े और विविधता से परिपूर्ण एवं बड़ी आबादी वाले देश में इसे सफलता पूर्वक लागू नहीं कराया जा सकता है। भारत में न्यूनतम आय गारंटी योजना को लागू करने के लिये 36 खरब रूपये की दरकार होगी

मिशन शक्ति: ‘देश अंतरिक्ष की महाशक्ति बन गया और विपक्ष मीनमेख निकालने में लगा है’

भारत ने अंतरिक्ष में मौजूद लो अर्थ सैटेलाइट यानी एलईओ को नष्‍ट कर दिया। ऐसा करने वाले देश अमेरिका, रूस और चीन थे और अब भारत भी इस विशेष समूह में शामिल हो गया है। निश्चित ही सभी देशवासियों के लिए बहुत गर्व का विषय है। इस उपलब्धि के साथ ही देश अमेरिका, रूस और चीन के बाद अंतरिक्ष की चौथी महाशक्ति बन गया है।

लोकसभा चुनाव : जनकल्याण के कार्य बनाम मोदी विरोध की नकारात्मक राजनीति

लोकसभा चुनाव की शुरुआत हो चुकी है, सभी राजनीतिक दल अपने–अपने ढ़ंग से अपनी पार्टी का प्रचार कर जनता का समर्थन पाने की कवायद में जुटे हुए हैं, किन्तु इस महान लोकतांत्रिक देश में मतदाता अब सभी राजनीतिक दलों के प्रत्याशियों को अपनी अपेक्षाओं की कसौटी पर कसने लगे हैं।

इंदिरा से राहुल तक कांग्रेस कितनी बार गरीबी मिटाएगी?

राहुल गांधी की सालाना बहत्तर हजार रुपये की योजना से इंदिरा गांधी और राजीव गांधी के बयान ताजा हुए हैं। करीब आधी शताब्दी पहले तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने ‘गरीबी हटाओ’ का नारा दिया था। इसके बाद प्रधानमंत्री के रूप में राजीव गांधी ने देश की व्यवस्था का उल्लेख किया था। उनका कहना था कि केंद्र से सौ पैसे भेजे जाते हैं, उसमें से केवल पन्द्रह पैसे ही जमीन तक पहुंचते हैं

अनगिनत बेगुनाहों के खून से सना है कांग्रेसी पंजा!

कहा जाता है कि देर से मिला न्‍याय अन्‍याय के बराबर होता हे। दुर्भाग्‍यवश हिंदुस्‍तान में यह कहावत अक्‍सर चरितार्थ होती रही है। सबसे बड़ी विडंबना यह रही कि जिन सरकारों पर दोषियों को सजा दिलवाने का दायित्‍व था, वे सरकारें ही दोषियों को बचाने की जी तोड़ कोशिश करती रहीं।

खेती-किसानी की बदहाली के लिए जिम्‍मेदार हैं कांग्रेसी सरकारें

किसानों को खुशहाल बनाने के लिए मोदी सरकार द्वारा कृषि क्षेत्र को अधिक संसाधनों के आवंटन, सिंचित रकबे में बढ़ोत्‍तरी, हर गांव तक बिजली पहुंचाने, मिट्टी का स्‍वास्‍थ्‍य सुधारने, खाद्य प्रसंस्‍कारण को बढ़ावा देने और उर्वरक सब्‍सिडी को तर्कसंगत बनाने जैसे ठोस जमीनी उपायों के बावजूद किसानों की स्‍थिति में अपेक्षित सुधार नहीं हो रहा है तो इसका कारण कांग्रेस द्वारा छोड़ी गई विरासत है। किसानों की बदहाली पर

राहुल के बाद प्रियंका की भी घिसे-पिटे मुद्दों की राजनीति

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने अपने भाषण, भाषा, शैली के चलते स्वयं को हल्का बना लिया है। उनकी बातों में अध्यक्ष पद की गरिमा का नितांत अभाव है। वह प्रधानमंत्री के लिए अमर्यादित व सड़क छाप नारे लगवाते हैं। राफेल सौदे पर उनके पास कोई तथ्य नहीं, फिर भी हंगामा करते रहते हैं। ऐसे में यह माना गया था कि प्रियंका गांधी वाड्रा का चुनाव प्रचार अलग ढंग का होगा। लेकिन वह भी पुराने और तथ्यविहीन मुद्दे ही उठा रही हैं।

प्रधानमंत्री का अपमान और आतंकियों को सम्मान, कांग्रेस की ये कौन-सी पॉलिटिक्स है?

राहुल गाँधी किसी आतंकी सरगना को ‘जी’ लगाकर संबोधित करने वाले पहले कांग्रेस नेता नहीं हैं, कांग्रेस के लोगों को इसकी पुरानी आदत है। कांग्रेस नेता और मध्य प्रदेश के दो बार के मुख्यमंत्री रहे दिग्विजय सिंह तो “ओसामा जी” और “हाफिज सईद साहब” का उच्चारण कर चुके हैं। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी को किसी