किसान आन्दोलन

गणतंत्र दिवस के दिन संविधान की धज्जियाँ उड़ाने वाले किसान नहीं हो सकते!

गणतंत्र-दिवस के दिन संविधान की धज्जियाँ उड़ाने वाले किसान कैसे हो सकते हैं! सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुँचाने वाले कतई किसान नहीं!

‘सब्जी-दूध की बर्बादी करने वाले ये लोग और कुछ भी हों, मगर किसान नहीं हो सकते’

किसानों की समस्याओं से इंकार नहीं किया जा सकता। ऐसा भी नहीं कि ये सभी समस्याएं पिछले तीन चार वर्ष में पैदा हुई हैं और इसके पहले किसान बहुत खुशहाल थे। आज कांग्रेस पार्टी स्वामीनाथन आयोग के लिए बेचैन है, जबकि इसकी रिपोर्ट कांग्रेस के शासन काल में आई थी। रिपोर्ट आने के बाद सात वर्ष तक यूपीए की सरकार थी, तब उसने रिपोर्ट की सिफारिशों पर कोई भी

इन तथ्यों से साफ हो जाता है कि राजनीति की उपज है मध्य प्रदेश का किसान आंदोलन !

यह एक हद तक सही है कि देश में किसानों की माली हालत ठीक नहीं है, लेकिन पिछले दिनों जिस तरह अचानक देश के कई हिस्‍सों में किसानों का आंदोलन उठ खड़ा हुआ, उससे 2015 में बिहार विधानसभा चुनाव से पहले सक्रिय हुए पुरस्कार वापसी गिरोह की याद ताजा हो उठी। बाद में किसानों को आंदोलन के लिए भड़काने, सड़कों पर दूध बहाने से लेकर सब्‍जी फेंकने तक में कांग्रेसी नेताओं की संलिप्‍तता के ऑडियो-वीडियो