पलायन \

देश याद रखेगा कि संकटकाल में जब सरकार श्रमिकों के साथ खड़ी थी, विपक्ष संकीर्ण सियासत में लगा था

जब पूरा देश कोरोना संकट से उपजी चिंताओं एवं चुनौतियों में घिरा था तब कुछ राज्य सरकारें अपनी राजनीति में व्यस्त थीं, उन्हें न तो भूखे पेट सो रहे श्रमिकों की चिंता थी न ही बिना दूध के रोते बच्चों को। इन राज्यों को पैदल चल रहे श्रमिकों के पैरों के छाले नहीं दिखे लेकिन

‘कोरोना से लड़ाई में योगी सरकार की कार्यकुशलता एक आदर्श मॉडल प्रस्तुत कर रही है’

योगी आदित्यनाथ इन श्रमिकों के वर्तमान पर ही ध्यान नहीं दे रहे हैं, बल्कि उनके लिए भविष्य की भी व्यवस्था सुनिश्चित की जा रही है। क्वारंटीन सेन्टर में प्रवासी श्रमिकों की स्किल मैपिंग की जा रही है जिससे होम क्वारंटीन पूरा करने के पश्चात उनके रोजगार की व्यवस्था की जा सके

क्यों दिल्ली से मुंबई तक पलायन के नामपर जुटी भीड़ के पीछे साज़िश प्रतीत होती है?

पहले दिल्ली, अब मुंबई, फिर सूरत, उसके बाद ठाणे, इन सभी जगहों पर लगभग एक जैसे पैटर्न, एक जैसे प्रयोग; एक जैसी बातें, एक जैसी तस्वीरें देखने को मिली हैं। सवाल यह भी कि क्या भूख, बेरोजगारी या लाचारी का हौव्वा खड़ा कर रातों-रात ऐसी भीड़ एकत्रित की जा सकती है? स्वाभाविक है कि इतनी बड़ी भीड़ के पीछे कुछ संगठनों और चेहरों की भूमिका की संभावनाओं को निराधार और निर्मूल नहीं सिद्ध किया जा सकता

दिल्ली से मजदूरों के पलायन के लिए जिम्मेदार है केजरीवाल सरकार

कोरोना वायरस से हमारी सुरक्षा के मद्देनजर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 24 मार्च को 21 दिन के लॉकडाउन की घोषणा की थी। कोविड-19 संक्रमण के कारण तेज़ी से फैल रहा है। इस संक्रमण को रोकने का सबसे कारगर उपाय यही है कि लोग एक दूसरे के सम्पर्क में ना आएं। भारत सरकार इस महामारी से निपटने के लिए हर प्रभावी कदम उठा रही है।

गुजरात : क्यों लग रहा कि ‘ठाकोर सेना’ की हिंसा को कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व का समर्थन प्राप्त है?

कांग्रेस पार्टी दो दशक से अधिक समय से गुजरात की सत्ता से बाहर है। जाहिर  है, वहां की जनता का उसपर से विश्वास उठ चुका है। गुजरातवासियों को वर्तमान में विकास के मुद्दे को लेकर कांग्रेस से रत्ती भर भी उम्मीद नहीं है। अब यही बात कांग्रेस को हजम हो नहीं रही है और सत्ता के प्रति अपनी लालसा के कारण अब कांग्रेस गुजरात जैसे समृद्ध राज्य में अशांति फैलाकर अपनी