पश्चिम बंगाल

अगर वाकई में कहीं लोकतंत्र खतरे में है, तो वो है बंगाल में !

हर दिन देश का तथाकथित बुद्धिजीवी वर्ग मोदी सरकार पर बेबुनियाद आरोप लगाता है कि वर्तमान सरकार में  लोकतंत्र खतरे में आ चुका है, लेकिन यही बुद्धिजीवी वर्ग कांग्रेस द्वारा न्यायपालिका, चुनाव आयोग को निशाना बनाने  पर चुप्पी साध लेता है। इस बुद्धिजीवी वर्ग के बारे में तो जितना कहा जाए उतना कम है, लेकिन अगर वास्तव में कहीं लोकतंत्र खतरे में है, तो वो है बंगाल में।

क्या ममता के राज में भाजपा का कार्यकर्ता होना भी गुनाह हो गया है ?

पश्चिम बंगाल में इन दिनों राजनीतिक अराजकता चरम पर है। यह अराजकता इसलिए है, क्‍योंकि वहाँ बीते दिनों दो भाजपा कार्यकर्ताओं की दुर्दांत हत्‍या हुई, लेकिन आश्‍चर्य की बात है कि इन दोनों हत्‍याओं पर बुद्धिजीवियों का दिल नहीं पसीजा है। शायद इसकी वजह ये है कि ये दोनों कार्यकर्ता भाजपा के थे। पहली हत्‍या एक जून को पश्चिम बंगाल के पुरुलिया में हुई।

मोदी के बंगाल और झारखण्ड दौरे ने भाजपा की विकासवादी राजनीति को ही स्पष्ट किया है !

गत शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने झारखण्ड के लिए विकास की कई योजनाओं की आधारशिला रखी और देश-दुनिया को विकासवादी शासन तंत्र का परिचय दिया। झारखंड में उन्‍होंने 27 हज़ार करोड़ रुपए की परियोजनाओं को ऑनलाइन आरंभ किया, वहीं पश्चिम बंगाल में शांति निकेतन में विश्‍वभारती विश्‍वविद्यालय में दीक्षांत समारोह में भी शिरकत की। यहां बांग्‍लादेश

पंचायत चुनाव : हिंसा के सहारे कबतक अपनी राजनीतिक जमीन बचा पाएंगी, ममता !

पश्चिम बंगाल में सोमवार को संपन्न हुए पंचायत चुनाव में दर्जन भर लोग मारे गए और कम से कम पचास लोग घायल हो गए। हालांकि ममता बनर्जी ने कहा कि राज्य में छह से ज्यादा लोगों की मौत नहीं हुई है, लेकिन चुनाव पूर्व और चुनाव के दौरान की हिंसा को अगर देखा जाए तो पंचायत चुनाव के दौरान कम से कम अब तक 50 लोगों की मौत हो चुकी है, यह आंकड़े 2013 में हुए चुनाव से कहीं ज्यादा भयावह हैं।

भाजपा के प्रति ममता का ये अंधविरोध खुद उन्हें ही नुकसान पहुंचाएगा !

2014 में मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद से पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का भाजपा के प्रति विरोध लगातार बढ़ता जा रहा है। विशेष रूप से गत वर्ष हुई नवम्बर में हुई नोटबंदी के बाद से तो उनका भाजपा विरोध घृणा के स्तर तक पहुँचता नज़र आ रहा है। भाजपा के प्रति वे अपने विरोध को जिस-तिस प्रकार से जाहिर करती रहती हैं। अब उन्होंने घोषणा की है कि आगामी 9 अगस्त से वे ‘बीजेपी भारत छोड़ो’ नामक

ममता के संकीर्ण राजनीतिक हितों में फँसकर दंगों का प्रदेश बनने की ओर बढ़ता बंगाल !

बंगाल इन दिनों दो तरफा समस्याओं से घिरा हुआ है। एक तरफ गोरखा आन्दोलन में दार्जीलिंग डूबा हुआ है, तो वहीं दूसरी ओर उत्तरी परगना जिले के बादुरिया और बाशीरहाट सांप्रदायिक तनाव से जूझ रहे हैं। इन सबमें सबसे ज्यादा सवालों के घेरे में है ममता सरकार, जो इन उत्पातों को रोककर शांति कायम करने में विफल नज़र आ रही है। बंगाल में पहली बार ऐसा तनाव देखने को नही मिल रहा, बल्कि हाल के वर्षों में बंगाल में

ममता बनर्जी की तुष्टिकरण की राजनीति के कारण हिंसा की आग में जलता बंगाल

पश्चिम बंगाल में एकबार फिर सांप्रदायिक हिंसा की आग भड़क उठी है। सूबे के उत्तरी परगना जिले के बसिरहाट के बादुरिया में एक युवक द्वारा फेसबुक पर की गयी कथित आपत्तिजनक टिप्पणी को लेकर राज्य के कई हिस्सों में सांप्रदायिक तनाव और हिंसा ने जन्म ले लिया। साफ़ शब्दों में मामले को समझें तो ख़बरों के अनुसार, सौरव सरकार नाम के एक बारहवीं में पढ़ने वाले लड़के ने बीती दो जुलाई को अपनी फेसबुक वाल पर

ममता सरकार को लाल बत्ती से इतना लगाव क्यों है ?

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का भाजपा-विरोध तो जगजाहिर है, लेकिन अब वे सभी सीमाएं लांघते हुए केंद्र की भाजपा सरकार के सही फ़ैसलों का विरोध करती नज़र आ रही हैं। इसकी शुरुआत उन्होंने नोटबन्दी से की, बाद में वे नीति आयोग की बैठक में अनुपस्थित रहीं जहाँ हर राज्य के मुख्यमंत्री अपने-अपने राज्यों में विकास संबंधित मुद्दों पर विमर्श करने के लिए उपस्थित थे। इस बैठक से ममता बनर्जी के अलावा

देश की राजनीति बाद में करियेगा, पहले बंगाल संभालिये ममता मैडम!

आज बंगाल तथा बंगाल की मुख्यमंत्री दोनों चर्चा के केंद्र में हैं। बंगाल, रक्तरंजित राजनीति, साम्प्रदायिक हिंसा तथा शाही इमाम द्वारा जारी फतवे के लिए चर्चा में है, तो पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी अपने मोदी विरोध के हठ तथा भ्रष्ट नेताओं के बचाव के चलते लगातार सुर्ख़ियों में हैं। दरअसल, नोटबंदी का फैसला जैसे ही मोदी सरकार ने लिया तभी से ममता, मोदी सरकार पर पूरी तरह से बौखलाई हुई हैं।

बरकती के फतवे से सवालों के घेरे में ममता सरकार और वामपंथी बुद्धिजीवी

कोलकाता के एक मस्जिद के कथित शाही इमाम बरकती ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के खिलाफ फतवा जारी किया । बरकती ने बकायदा एक प्रेस कांफ्रेंस में अपमानजनक फतवा जारी किया जिसके पीछे बैनर पर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की बड़ी-सी तस्वीर लगी थी । बरकती ने हिंदी और अंग्रेजी में अपमानजनक फतवा जारी किया । यह मानना मेरे लिए मुमकिन नहीं है कि इस मसले की जानकारी पुलिस