बलूचिस्तान

मोदी सरकार के कड़े रुख के आगे बेबस हुआ पाक, कहीं नहीं मिल रही शरण!

मोदी सरकार के सत्ता में आने के कुछ समय बाद से ही उसपर पाकिस्तान को लेकर नीतिहीनता का आरोप विपक्षियों द्वारा लगाया जाता रहा है। कुछेक कूटनीतिज्ञों द्वारा यह भी कहा जाता रहा है कि ये सरकार भी पिछली मनमोहन सरकार की ही तरह पाकिस्तान को लेकर भ्रमपूर्ण स्थिति में है और इसीलिए रूठने-मनाने की नीतिहीनता का शिकार है। लेकिन, पिछले दिनों प्रधानमंत्री मोदी द्वारा सर्वदलीय बैठक

मोदी के बयान के बाद फिर बोला बलूचिस्तान, ‘हम लेके रहेंगे आजादी!’

एक भारतीय के नाते खबरिया चैनल पर इस तरह की बहस सुनने का यह पहला अनुभव था। जिसमें पाकिस्तान पैनलिस्ट सफकात सईद को बलूचिस्तानी पैनलिस्ट तारिक फतह कहते हैं- ‘‘तुम अपने पूर्वजो को भूल सकते हो। मैं नही भूल सकता। इस नाते मैं हिन्दूस्तानी हूं। तुम पाकिस्तानी भी हिन्दूस्तानी हो। अफगानी भी हिन्दूस्तानी हैं। बलूचिस्तानी भी हिन्दूस्तानी है।’’

भारत से भला और कितनी बार मुँह की खाएगा पाकिस्तान?

देश के बंटवारा के बाद से ही पाकिस्तान कदम दर कदम भारत से मुंह की खाता रहा लेकिन वो इससे कोई सीख नहीं ले सका,  अथवा लेने की कोशिश नहीं किया। उसके इरादे भारत और खासकर कश्मीर को लेकर कभी भी नेक नहीं रहे। वो उसी कबिलाई मानसिकता में आज भी जी रहा है, जिसकों सदियों पहले सभ्य समाज द्वारा नाकार दिया गया था। अपनी अंदरूनी मामलों से निबटने के बजाय पाकिस्तान हमेशा कश्मीर का राग अलापता रहता है, और यहां अस्थिरता पैदा करने और अलगाव को हवा देने में लगा रहता है। जबकि उस के खुद के आंतरिक मामले इतने जटिल है जो निकट भविष्य में पाकिस्तान को कई टूकड़ों में विभाजित कर सकता है।