मोदी सरकार

मोदी सरकार ला रही क़ानून, बैंकों का पैसा लूटकर भागने वालों की आएगी शामत !

नीरव मोदी, मेहुल चौकसी विजय माल्या आदि आर्थिक अपराधियों पर नकेल कसने के लिये कैबिनेट ने “भगोड़ा आर्थिक अपराध बिल 2018” को मंजूरी दी है। प्रस्तावित विधेयक में आर्थिक अपराध को अंजाम देकर विदेश भागने वालों को अदालत द्वारा उन्हें दोषी साबित किये जाने से पहले उनकी संपत्तियों को जब्त करने का प्रावधान है। हालाँकि, इसे अमलीजामा पहनाने के लिये संबंधित देश के सहयोग की जरूरत होगी। इस

बेघरों को घर मुहैया कराने में जुटी मोदी सरकार !

दुनिया के सबसे उपजाऊ मैदानों, सदानीरा नदियों और मेहनतकश आबादी के बावजूद आज देश के करोड़ों लोगों को रोटी, कपड़ा और मकान जैसी मूलभूत जरूरतों के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है तो इसकी वजह भ्रष्‍टाचार ही है। इसी को देखते हुए हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि भारत से बाद आजाद होने वाले देश विकास के मामले में हमसे कई कदम आगे निकल गए हैं।

कारोबारी सुगमता को और बढ़ाने की कोशिशों में जुटी मोदी सरकार !

केंद्र सरकार ने देश में निवेश को प्रोत्साहन देने और कारोबारी सुगमता को बढ़ाने के लिए तरह तरह के सुधार किये हैं, जिसे तकनीकी भाषा में ईज ऑफ डूइंग बिजनेस कहते हैं। सरकार के प्रयासों के परिणामस्वरूप पिछले वर्ष ईज ऑफ डूइंग बिजनेस रैंकिंग में भारत ने रिकॉर्ड 30 पायदान सुधार कर 100वां स्थान हासिल किया था। इस साल भारत 50वें स्थान को पाना चाहता है, लेकिन इसमें सुधार करने के लिये लगभग ढाई

नए भारत के निर्माण का मार्ग प्रशस्त करने वाला बजट

आर्थिक समीक्षा आने के पश्चात् यह अंदाज़ा हो गया था कि वित्त मंत्री अरूण जेटली राजनीतिक लाभ-हानि से परे दूरगामी हितों पर आधारित एक विकासोन्मुखी बज़ट प्रस्तुत करेंगे, जिसमें गाँव, कृषि और रोजगार पर ज्यादा फोकस रहेगा। हुआ भी ऐसा ही, वित्त मंत्री अरूण जेटली ने 2018-19 के आम बजट में ग्रामीण विकास, ग्रामीण रोजगार और स्वास्थ्य को लेकर कई अहम योजनाओं की घोषणाएं की जो आगामी वर्षों में किसान और ग्रामीण जनता के जीवन में सकरात्मक बदलाव ला सकती हैं।

बजट 2018 : देश के सर्वांगीण विकास को समर्पित मोदी सरकार का साहसिक बजट !

मोदी सरकार ने वर्ष 2018 का वार्षिक और अपने कार्यकाल का अंतिम पूर्णकालीन बजट गत 1 फरवी को सदन में पेश किया। इस बजट में यूँ तो सबसे अधिक महत्व् ‘कृषि’ व् ‘स्वास्थ्य’ से जुड़े विषयों को दिया गया है, लेकिन अन्य क्षेत्रों की भी इसमें अनदेखी नहीं की गयी है। चुनाव से पूर्व सरकारों द्वारा प्रायः लोकलुभावन बजट पेश किया जाता है, लेकिन यह बजट मोदी सरकार ने लोकलुभावन घोषणाओं की बजाय दूरगामी हितों

‘रेलवे के लिए मोदी सरकार ने साढ़े तीन साल में तीस साल के बराबर काम किया है’

इसबार बजट में रेलवे को लेकर कई महत्वपूर्ण एलान हुए हैं, जिनका असर आने वाले वक़्त में देखने को मिलेगा। लेकिन, गौर करें तो मोदी सरकार ने पिछले लगभग साढ़े तीन साल में ऐसे कई कदम उठाए हैं जो रेलवे का कायाकल्‍प करने वाले हैं। प्रधानमंत्री ने रेलवे को एक ऐसा इंजन बनाने का लक्ष्‍य रखा है जो नए भारत की दिशा में देश की विकास यात्रा को नई गति प्रदान करेगा। देखा जाए तो मोदी सरकार ने महज साढ़े तीन

काले धन पर एक और चोट, 3500 करोड़ की बेनामी संपत्ति हुई जब्त !

नोटबंदी के बाद से काले धन की रोकथाम के लिए मोदी सरकार एकदम से कमर कस चुकी है। नोटबंदी, बाजार में मौजूद नकदी काले धन को बैंकिंग प्रणाली में सम्मिलित करवाने में कारगर रही। इसके बाद बात उठी कि बहुत सारा काला धन तो लोग नकदी से इतर बेनामी संपत्ति के रूप में इधर-उधर लगा चुके हैं, मगर इसके लिए भी मोदी सरकार पहले से ही तैयारी करके बैठी थी।

मोदी सरकार के प्रयासों से वैश्‍विक विनिर्माण की धुरी बन रहा भारत !

आज भारत दुनिया भर की कंपनियों का बाजार बना है तो इसके लिए कांग्रेस सरकारों की भ्रष्‍ट और वोट बैंक की राजनीति जिम्‍मेदार है। आजादी के बाद से ही हमारे यहां बड़ी-बड़ी औद्योगिक इकाइयों और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्‍थानों (आइआइटी) को विकास का पर्याय मान लिया गया। इसी का नतीजा है कि भारत की पहचान कच्‍चा माल आपूर्ति करने वाले देश के रूप में होने लगी है। दूसरी चूक यह हुई कि उदारीकरण के दौर

लोगों के अपने घर के सपने को साकार कर रही प्रधानमंत्री आवास योजना !

देश में घरों की कमी एक गंभीर समस्या है। आज भी करोड़ों लोग घरों के बिना फुटपाथ पर अपना जीवन गुजर-बसर करने के लिये अभिशप्त हैं। समस्या की गंभीरता को देखते हुए मोदी सरकार ने प्रधानमंत्री आवास योजना का शुभारंम 25 जून, 2015 को किया, जिसका उद्देश्य 2022 तक सभी को घर उपलब्ध कराना है। इस योजना को दो भागों यथा, शहरी और ग्रामीण में विभाजित किया गया है।

पूर्वोत्‍तर को प्रगति की मुख्यधारा से जोड़ने में जुटी मोदी सरकार !

1947 में देश के बंटवारे ने कई ऐसे विभाजन पैदा किए जिन्‍होंने इस उपमहाद्वीप को पीछे धकेलने का काम किया। यदि पूर्वोत्‍तर की गरीबी, बेकारी, अलगाववाद, आतंकवाद की जड़ तलाशी जाए तो वह देश विभाजन में मिलेगी। 1947 तक पूर्वोत्‍तर का समूचा आर्थिक तंत्र चटगांव बंदरगाह से जुड़ा था लेकिन पूर्वी पाकिस्‍तान (अब बांग्‍लादेश) के निर्माण से इस इलाके का कारोबारी ढांचा तहस-नहस हो गया। पूर्वोत्‍तर में जल