उतर गया आम आदमी पार्टी के चेहरे से नैतिकता का नकाब, सामने आया असल चरित्र!

जब भी आम आदमी पार्टी के किसी नेता पर कुछ आरोप लगता है तो समूची पार्टी उसके साथ खड़ी होती है,आरोपों को झूठा साबित करने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ती। लेकिन ताज़ा मामला थोड़ा और नाटकीय है। हुआ यूँ कि आम आदमी पार्टी के नेता और दिल्ली सरकार में महिला एवं बाल विकास मंत्री संदीप कुमार का एक आपत्तिजनक विडियो का मामला प्रकाश में आया है। इस विडियो में संदीप कुमार कुछेक महिलाओं के साथ बेहद आपत्तिजनक मुद्रा में हैं। इस वीडियो को देखकर मुख्यमंत्री केजरीवाल ने संदीप कुमार को बड़ी चतुराई से मंत्रालय से छुट्टी कर दी और खुद को इससे अलग करने की नाकाम कोशिश की और अपने बयान में संदीप कुमार को आंदोलन और पार्टी के साथ धोखा करार दिया। वहीँ मनीष सिसोदिया ने भी अरविंद की हां में हां मिलाते हुए पार्टी की कार्यवाही को सराहा। इधर, संदीप कुमार ने इसे अपने खिलाफ षड्यंत्र बताते हुए दलित कार्ड खेलने का कुत्सित प्रयास करते हुए कहा कि मैं दलित हूँ इसलिए फंसाया जा रहा है। इस दलील पर गौर करें तो दलित होने का मतलब आपको किसी के साथ अश्लील हरकत करने की आज़ादी है? भारत के संविधान में अपराध के लिए एक समान कानून है, इस बात को मंत्री संदीप कुमार क्यों नही समझ रहे हैं ?

अब आप’ प्रवक्ता आशुतोष संदीप कुमार के समर्थन में उतर आये हैं। संदीप के बचाव में उनके द्वारा जो दलीलें गई हैं, वो न केवल शर्मनाक हैं, बल्कि उनके मानसिक दिवालियापन को भी दिखाती हैं। अपने राजनीतिक चातुर्य से अपने नेता को पाक साफ़ बताने के चक्कर में उन्होंने संदीप कुमार जैसे एक अनैतिक आचरण में लिप्त व्यक्ति की तुलना महात्मा गांधी, लोहिया और अटल बिहारी वाजपेयी जैसे भारतीय राजनीति के महान नेताओं से करने का दुस्साहस कर डाला है। उनका कहना है कि संदीप ने जो किया, उस तरह की चीजें देश के उक्त नेता भी करते थे। फिर संदीप पर इतना हल्ला क्यों मचा है ? इस तरह की अनर्गल और दुस्साहसपूर्ण तुलना आम आदमी पार्टी के विचार और नैतिकता से विहीन चरित्र को ही दिखाती है।

लेकिन, चूंकि यह आम आदमी पार्टी है, इसलिए इसके ड्रामे इतनी जल्दी कहाँ समाप्त होने वाले थे! अब आप’ प्रवक्ता आशुतोष संदीप कुमार के समर्थन में उतर आये हैं। तिसपर संदीप के बचाव में उनके द्वारा जो दलीलें गई हैं, वो न केवल शर्मनाक हैं, बल्कि उनके मानसिक दिवालियापन को भी दिखाती हैं। अपनी राजनीतिक चातुर्य को दिखाने के चक्कर में उन्होंने संदीप कुमार जैसे एक अनैतिक आचरण में लिप्त व्यक्ति की तुलना महात्मा गांधी और अटल बिहारी वाजपेयी जैसे भारतीय राजनीति के महान नेताओं से करने का दुस्साहस कर डाला है। उनका कहना है कि संदीप ने जो किया, उस तरह की चीजें देश के उक्त नेता भी करते थे। फिर संदीप पर इतना हल्ला क्यों मचा है ? इस तरह की अनर्गल और दुस्साहसपूर्ण तुलना आम आदमी पार्टी के विचार और नैतिकता से विहीन चरित्र को ही दिखाती है।

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दरअसल आम आदमी पार्टी के संयोजक से लेकर पूरी पार्टी तक का यही सिद्धांत बन गया है कि सुर्ख़ियों में बने रहने के लिए अगर कितना भी निर्लज्ज और अनैतिक आचरण करना पड़े, तो कर लीजिये। इसीलिए कभी ये अपने विधायक मोहनिया की गिरफ्तारी की तुलना आपातकाल से कर देते हैं तो कभी संदीप कुमार जैसे अपने अनैतिक आचरण करने वाले नेता के लिए गांधी, लोहिया और अटल जैसे महान नेताओं से उसकी तुलना करने में भी इन्हें संकोच नहीं होता।

बहरहाल,आम आदमी पार्टी के चेहरे से अब नकाब पूरी तरह से उतर चुका है, समूचा देश अब इनके चाल-चरित्र को जान चुका है। एक के बाद एक कई मसले ऐसे सामने आये हैं जिसने आम आदमी पार्टी को बेनकाब कर दिया हैं। सियासत बदलने के लिए अरविन्द केजरीवाल ने मुख्य रूप से तीन बातों पर जोर दिया था। मसलन महिला सुरक्षा, स्वराज और भ्रष्टाचार से मुक्ति इन तीनों मसलों पर केजरीवाल एंड कंपनी ने लोगों की जन भावनाओं के साथ इतना गंदा खेल खेला है, जिसकी कल्पना भी किसी ने नहीं की होगी। हर बात पर केंद्र सरकार को घेरे में लेकर अपने कर्तव्यों की इतिश्री समझने वाले केजरीवाल अधिकारों के लिए फिजूल का ड्रामा करते रहते हैं, ये हम सभी ने देखा है। राजनीति में सुचिता, मर्यादा और विचारधारा सबसे प्रमुख चीज़ है, इन सबके मिश्रण के बाद ही व्यक्ति एक कुशल राजनेता और नेतृत्वकर्ता बन सकता हैं। लेकिन दुर्भाग्य है कि आम आदमी पार्टी का इन सब से दूर–दूर तक कोई सरोकार नजर नहीं आता। बहरहाल संदीप कुमार के बचाव में आशुतोष की ताज़ा दलीलों ने एकबार फिर यह साबित कर दिया कि कुतर्क करने में आम आदमी पार्टी का कोई सानी नहीं है।

(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)