बी. एम. सिंह

कांग्रेस के लिए जीवन-मरण का प्रश्न हैं पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव

पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव की आधिकारिक घोषणा के साथ ही सत्ता का सेमिफाइनल शुरू हो गया है। रणभेरियाँ बज चुकी हैं। वैसे तो यह राज्यों का चुनाव है, लेकिन इन्हीं प्रदेशों की राजधानियों से निकलकर आगे रास्ता दिल्ली के लिए जाएगा। इन पाँचों राज्यों में मध्य प्रदेश, छतीसगढ़ और राजस्थान के चुनाव पर सबकी विशेष नजर है। मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में

क्यों कहा जा रहा कि मोदी को हराने के लिए पाकिस्तान से भी गठबंधन कर लेगी कांग्रेस?

भारत में लोक सभा चुनाव से पहले की सियासत पूरी तरह से पक चुकी है। यहाँ हर राजनीतिक दल के लिए मौका है कि वह अपनी नीतियों को लेकर जनता के बीच जाए। लेकिन सत्ता से बाहर हुई कांग्रेस कुछ ज्यादा ही बेचैन दिख रही। येन-केन-प्रकारेण सत्ता हथियाने के लिए वह हरसंभव हथकंडे अपना रही है।

मोहन भागवत ने संघ के विषय में जो बताया, संघ हमेशा से वैसा ही है!

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की भूमिका समाज में राजनीतिक विमर्श की दिशा तय करने में महत्वपूर्ण रही है। 2014 के लोकसभा चुनाव में संघ ने एक मार्गदर्शक की यथोचित भूमिका निभाई थी। गत दिनों संघ ने अपने मंच पर देश की अलग-अलग विचारधाराओं से सम्बंधित लोगों को आमंत्रित करके एक सन्देश देने की कोशिश की है कि राष्ट्र निर्माण में सभी जाति, समुदाय

कांग्रेस का भारत बंद तो विफल रहा ही, इसके बहाने विपक्षी एकजुटता की मंशा भी हुई फुस्स!

बंद का आह्वान करना राजनीतिक दलों का लोकतान्त्रिक अधिकार है, लेकिन बंद के नाम पर हिंसा करना कतई उचित नहीं कहा जा सकता। आज जब कांग्रेस के नेतृत्व में दर्जन भर पार्टियों ने बंद का आयोजन किया तो लक्ष्य यही था कि पेट्रोल उत्पादों की बढ़ती कीमत के बारे में सरकार पर दबाव बनाया जाए।

भारतीय राजनीति के अजातशत्रु का अवसान

आपने पिछले बार दिल्ली की सडकों पर ऐसा विशाल जनसैलाब कब देखा? किसी नेता के लिए ऐसा अपार प्यार, स्नेह और इज्ज़त आपने कब देखा? यह याद रखिए अटल जी ने एक ऐसे समय में सियासत की थी, जब कोई सोशल मीडिया नहीं थी, लेकिन इसके बावजूद लाखों-करोड़ों  लोगों के दिल में उनकी प्रतिमा स्थापित रही। अब पूरे देश के सामने यह उदाहरण है कि

हमें समझना होगा कि आजादी का मतलब सिर्फ अधिकार नहीं, कर्तव्य भी है!

आज देश अपना बहत्तरवां स्वतंत्रता दिवस मना रहा है। ऐसे में इस सवाल पर चर्चा होनी चाहिए कि आखिर स्वतंत्रता से हम क्या समझते हैं? आजादी का हमारे लिए क्या मतलब है  ? एक स्वतंत्र देश में हमें क्या करना चाहिए? आज यह सवाल हमें हमें खुद से बार-बार पूछने चाहिए

35ए : वह अनुच्छेद जिसे नेहरू ने संसद में पारित किए बिना ही संविधान का हिस्सा बना दिया

अनुच्छेद 35-ए को लेकर पिछले कुछ दिनों से लगातार बहस-मुबाहिसो का दौर जारी है। यह एक ऐसा विधान है, जिसने जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा प्रदान किया है। लेकिन इसे एक ऐसे संवैधानिक धोखे का नाम भी दिया जा रहा है, जिसकी वजह से वहां के लाखों लोग वर्षों से नारकीय जीवन जीने को मजबूर हैं।

क्या आम आदमी पार्टी ने वाकई में कांग्रेस के सामने घुटने टेक दिए हैं?

सबको याद होगा कि आम आदमी पार्टी क्यों और कैसे बनाई गई थी। यूपीए-2 के दौरान भ्रष्टाचार का प्रचंड बोलबाला था। मनमोहन सिंह सरकार को एक धक्का भर देने की ज़रुरत थी। दिल्ली की शीला दीक्षित सरकार के घपलों के कारनामे थमने का नाम नहीं ले रहे थे। ऐसे में दिल्ली में अरविन्द केजरीवाल नाम के एक शख्स ने मौके को पहचानकर व्यवस्था परिवर्तन और भ्रष्टाचार मुक्त दिल्ली

‘राहुल मुसलमानों को यह समझाना चाहते हैं कि कांग्रेस का ‘सॉफ्ट हिंदुत्व’ सिर्फ एक मुलम्मा भर है’

इस देश में मुसलमानों के आर्थिक और सामाजिक पिछड़ेपन के लिए जिम्मेदार कौन है ? अगर आप सड़क पर चलते हुए किसी मुस्लिम शहरी से यह सवाल करें तो सस्वर एक ही नाम आएगा – कांग्रेस पार्टी। क्योंकि आज़ादी के बाद सबसे ज्यादा शासन कांग्रेस का ही रहा है। सालों तक देश में दलितों और मुसलमानों का वोट लेकर सरकार बनाने के बाद अब कांग्रेस के नए अध्यक्ष

‘शशि थरूर की ये किताब पढ़ने के बाद मुझे उनके ‘हिन्दू पाकिस्तान’ वाले बयान पर कोई आश्चर्य नहीं हुआ’

देश में लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस कुछ ऐसा कर रही है, जिससे उसकी मंशा पर सवाल उठ रहे हैं। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी मुस्लिम समाज के नेताओं से मुलाकात करते हैं। उससे पहले कांग्रेस नेता शशि थरूर कहते हैं कि बीजेपी को 2019 में वोट मत दो, वर्ना भारत “हिन्दू पाकिस्तान” बन जाएगा।