बी. एम. सिंह

न्यायपालिका का मखौल बना रहे विपक्षी दल !

आज से तीन वर्ष पहले हुई जज लोया की मौत को सुप्रीम कोर्ट ने ‘सामान्य’ करार दिया, साथ ही उनलोगों को लताड़ लगाई जो इसे सनसनीखेज बनाने की कोशिश कर रहे थे। सम्बंधित याचिकाओं के साजिशन या राजनीति से प्रेरित होने की बात भी कोर्ट ने कही है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले यह भी स्पष्ट किया कि अब इस मामले पर आगे कोई सुनवाई नहीं होगी।

ममता बनर्जी के तीसरे मोर्चे की कवायदों से बढ़ेगी कांग्रेस की परेशानी !

पिछले कुछ समय से देश की सियासत में एक नया चलन देखने को मिल रहा है कि जब भी लोकसभा चुनाव आसन्न होते हैं, देश की सभी छोटी-बड़ी पार्टियां सामूहिक एकता दर्शाने के लिए सामूहिक भोज का आयोजन करने लगती हैं। देश की राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में भी पिछले दिनों कांग्रेस पार्टी ने ऐसे ही एक भोज का आयोजन कर रस्मी तौर पर एक फोटोग्राफ जारी कर दिया। मानो गठबंधन की खानापूर्ति हो गई। क्या

‘कर्नाटक में सिद्धारमैया सरकार ने जो किया है, वो करने से पहले अंग्रेज भी दस बार सोचते !’

कांग्रेस खुद को ‘सेक्युलर’ पार्टी कहती है, लेकिन कर्नाटक में चुनाव जीतने के लिए इसने एक नया धर्म ही गढ़ दिया। राजनीतिक विजय हासिल करने के लिए अगर समाज को तोड़ना भी पड़े तो कांग्रेस इसे गलत नहीं मानती है। जिस निर्लज्जता के साथ कांग्रेस ने यह कदम उठाया, शायद ब्रिटिश हुकूमत भी ऐसा करने से पहले दस बार सोचती।

पंजाब में टूट की ओर बढ़ती आम आदमी पार्टी

झूठ को गढ़ने और उसे बहुप्रचारित करने में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का कोई सानी नहीं है। इन्होने पंजाब चुनाव से पहले पूरे देश को बताया कि वहाँ पूरी युवा पीढ़ी ड्रग्स की वजह से तबाह हो गई है। केजरीवाल ने यह भी कहा था कि अकाली नेता बिक्रम मजीठिया खुद नशे के सौदागरों से मिले हुए हैं और नशे की तस्करी में शामिल हैं।

2019 में कांग्रेस की सत्ता में वापसी की बात किस आधार पर कह रही हैं, सोनिया गांधी !

पिछले दिनों उत्तर प्रदेश के गोरखपुर और फूलपुर लोकसभा सीटों पर उपचुनाव हुए, जिसके लिए मायावती और अखिलेश यादव ने चुनावी समझौता कर लिया। अच्छा ही किया, लेकिन गजब यह है कि अखिलेश ने ये समझौता करते वक़्त अपने दोस्त राहुल गाँधी को पूछा तक नहीं। उत्तर प्रदेश में राहुल और अखिलेश की जोड़ी सोशल मीडिया पर खूब हिट रही थी. लेकिन साल भर में ऐसा क्या हो गया कि दोस्त, दोस्त न रहा ?

पूर्वोत्तर चुनावों में सिद्ध हो गया कि भाजपा अब पूरे भारत पर राज करने वाली पार्टी बन गयी है !

पूर्वोत्तर के तीन राज्यों की जनता ने कांग्रेस और वामपंथी दलों की झूठ और प्रपंच से भरी राजनीति को बेनकाब कर, वहाँ भगवा परचम लहरा दिया है। त्रिपुरा में 25 साल पुरानी “तथाकथित” इमानदार माणिक सरकार अब अतीत का हिस्सा बन गई है। इसी तरह नागालैंड में भी भाजपा ने अपने सहयोगी दल नेशनल डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी के साथ मिलकर शानदार प्रदर्शन किया है। पूर्वोत्तर के महत्वपूर्ण त्रिपुरा राज्य में लेफ्ट का

एक और कांग्रेसी ‘दामाद जी’ का घोटाला आया सामने, सवालों के घेरे में कांग्रेस !

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी इन दिनों दूसरों को शुचिता का पाठ पढ़ाने में कुछ ज्यादा ही व्यस्त हैं, लेकिन उनकी नजर शायद इतनी कमजोर हो गई है कि उनको अपने लोगों द्वारा किये गए घोटाले बिलकुल ही नज़र नहीं आते। उनको यह भी याद नहीं रहता है कि उनकी सरकार आज से तीन साल पहले घोटाले की वजह से चली गई थी। यूपीए-2 के समय ही इतने घोटाले के बीज बो दिए कि उस समय के लगाये गए पौधे अब दरख़्त

कनाडाई प्रधानमंत्री जस्टिन टूडो के भारत दौरे को महत्व न दिए जाने के क्या हैं कारण ?

इन दिनों कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन टूडो भारत के दौरे पर हैं, पत्नी और बाल-बच्चे समेत, लेकिन किसी विदेशी राष्ट्राध्यक्ष के आने पर जिस तरह से शोरगुल होता है, वैसा कुछ सुनाई नहीं दे रहा। दौरे के चर्चे बहुत ज्यादा नहीं हो रहे हैं। आइए समझने की कोशिश करते हैं कि आखिर ऐसा क्यों है। पंजाब से गए पंजाबियों के लिए कनाडा दूसरा घर बन गया है, वहां की राजनीतिक व्यवस्था में उनका बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान बन

बाबरी मस्जिद की बुनियाद में जो घृणा थी, मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड आज उसीको हवा दे रहा है !

देश सहमति और मेल-जोल से चलता है; टकराव से नहीं चलता। जब दो समुदायों के बीच सबंधों के पुल बनाने की बात हो, तो आपसी संवाद ही एक मात्र रास्ता है। देश में राम मंदिर बनने की राह में मुस्लिम समुदाय का एक बहुत बड़ा तबका आपसी बातचीत का समर्थक रहा है, लेकिन मुस्लिम समुदाय में ही कुछ लोग ऐसे हैं जो आपसी बातचीत को छोड़ हमेशा टकराव की सियासत पर चलना चाहते हैं। मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने

अंकित की हत्या पर ‘कुछ’ लोगों की चुप्पी बेहद डराने वाली है !

अंकित सक्सेना की मौत कोई साधारण मौत नहीं है, यह आतंक और हिंसा का शहर के बीचों-बीच नग्न प्रदर्शन है। दुःख इस बात का है कि कल तक हंसने-खेलने वाले लड़के का देश की राजधानी में सबके सामने क़त्ल हुआ, फिर भी इसपर एक खेमा एक चुप है। अंकित के नाम पर देश भर में कहीं भी कोई कैंडल मार्च नहीं निकला। वे लोग इसपर एकदम चुप हैं, जो पिछले कई मुद्दों पर देश में असहिष्णुता बढ़ने को लेकर अक्सर