बी. एम. सिंह

इस्लामिक मुल्कों में सिखों-हिन्दुओं की हत्या पर ‘सेक्युलर ब्रिगेड’ सन्नाटा क्यों मार जाती है ?

अफ़ग़ानिस्तान में पिछले दिनों जिहादियों ने 15 सिखों और तीन हिन्दुओं को आतंकी हमले में मार दिया। ये सभी लोग अल्पसंख्यको पर बढ़ रहे आतंकी हमलों से चिंतित थे और अफगानी राष्ट्रपति अशरफ गनी से जलालाबाद में मिलने जा रहे थे, वहीं घात लगाकर आतंकियों ने इनपर कायराना हमला किया। ऐसा पहली बार नहीं हुआ है, अफगानिस्तान सहित तमाम

‘आप’ नेता सुखपाल खैहरा के देश तोड़क बयान पर केजरीवाल की ख़ामोशी का मतलब क्या है ?

कुछ लोग हैं जो आग से खेलने की कोशिश कर रहे, लेकिन उन्हें अंजाम का ज़रा भी इल्म नहीं है। ऐसे ही लोग खालिस्तान और रेफेरेंडम-2020 के नाम पर सियासी रोटियाँ सेंकने में लगे हैं। पंजाब में शांति ऐसे नहीं आई, हजारों बेगुनाह लोगों, सेना के जवानों और पंजाब पुलिस बलों की कुर्बानी के बाद पंजाब में अमन-चैन  का राज कायम हुआ। लेकिन, सब जानते-बूझते हुए भी पिछले

मोदी की हत्या की माओवादी साजिश पर किस मुंह से तंज कर रहे हैं, पी चिदंबरम !

पुणे पुलिस ने सात जून को एक अदालत में खुलासा किया कि प्रतिबंधित भाकपा (माओवादी) के लोग प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की हत्या की साजिश रच रहे हैं, ये प्लानिंग पिछले साल भर से की जा रही है। पुलिस का दावा है कि माओवादी  नरेन्द्र मोदी की जन सभाओं और रोड शो को निशाना बना सकते हैं, ठीक उसी तरह जैसे पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी को निशाना बनाया गया था।

इंतजार करिए, केजरीवाल जल्दी-ही कांग्रेस को ईमानदार पार्टी का तमगा भी दे देंगे !

देश की राजनीति में उस शख्स को किसलिए याद किया जाए, जो देश में बदलाव का नारा लगाते-लगाते दिल्ली के मुख्यमंत्री की कुर्सी तक पहुँच गया।  अपनी कुर्सी यात्रा के क्रम में उस शख्स ने दूसरी पार्टी के नेताओं पर खूब बेबुनियाद इल्जाम भी लगाए, लेकिन जब अदालतों में आरोपों के पक्ष में सबूत पेश करने की बात आई, तो उसने धीरे-धीरे एक-एक कर सबसे माफ़ी मांग ली।

विकास का एजेंडा बनाम विरोध की राजनीति में से चुनना भला किसके लिए मुश्किल होगा !

नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने 26 मई को केंद्र में अपने चार साल पूरे कर लिए। एक ऐसे नेता ने जिसने विकास के मुद्दे को 2014 के लोकसभा चुनाव में अपना सबसे बड़ा और कारगर नारा बनाया, आज भी हिंदुस्तान के सबसे लोकप्रिय नेता बने हुए हैं। पिछले लोकसभा चुनाव में उनका नारा था ‘सबका साथ सबका विकास’ जिसने सभी जाति, वर्गों और समुदायों को एक

कर्नाटक : ‘122 से 78 सीटों पर पहुँचने के लिए कांग्रेस को खूब-खूब जश्न मुबारक !’

कर्नाटक चुनाव के नतीजे आने के बाद गत दिनों भाजपा अध्यक्ष अमित शाह मीडिया के सामने आए और खुलकर अपनी बात देश के सामने रखी। एक घंटे से ज्यादा चली उनकी इस प्रेसवार्ता में भाजपा ने कांग्रेस के दोहरे चरित्र पर सवाल उठाया और पूछा कि क्या वाकई कांग्रेस पार्टी को बहुमत मिल गया है ? क्या कांग्रेस को जनता ने सत्ता से बाहर नहीं कर दिया ? चुनाव पूर्व एकदूसरे

पंचायत चुनाव : हिंसा के सहारे कबतक अपनी राजनीतिक जमीन बचा पाएंगी, ममता !

पश्चिम बंगाल में सोमवार को संपन्न हुए पंचायत चुनाव में दर्जन भर लोग मारे गए और कम से कम पचास लोग घायल हो गए। हालांकि ममता बनर्जी ने कहा कि राज्य में छह से ज्यादा लोगों की मौत नहीं हुई है, लेकिन चुनाव पूर्व और चुनाव के दौरान की हिंसा को अगर देखा जाए तो पंचायत चुनाव के दौरान कम से कम अब तक 50 लोगों की मौत हो चुकी है, यह आंकड़े 2013 में हुए चुनाव से कहीं ज्यादा भयावह हैं।

जिन्ना प्रकरण में कांग्रेस पर भी उठते हैं सवाल !

कांग्रेस बेशक अय्यर के जिन्ना की प्रशंसा करने वाले बयान से अपना पल्ला झाड़ने की कोशिश करे, मगर सवाल फिर भी उसपर उठते ही हैं कि अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में जिन्ना की तस्वीर दशकों से कैसे लगी हुई है ? देश में सर्वाधिक समय तक सत्तारूढ़ रहने वाली कांग्रेस के शासन में कभी ये विषय

कर्नाटक चुनाव : मोदी के मैदान में उतरते ही कांग्रेस के माथे पर पसीना आने लगा है !

प्रधानमंत्री मोदी के मैदान में आते ही कर्नाटक चुनाव के सारे गणित बदलने लगे हैं। लिंगायत कार्ड खेलकर जो कांग्रेस अपनी ताल ठोंक रही थी, मोदी के आते ही उसके माथे पर पसीना दिखाई देने लगा है। कांग्रेस बैकफुट पर आ गयी है। जैसा कि सभी जानते हैं कि मोदी का चुनावी अंदाज़ तूफानी होता है और वह अपने तर्ज़ पर चुनावी अभियान का संचालन करते हैं।

कर्नाटक चुनाव : विकास के मुद्दे पर बात करने से बच क्यों रही है कांग्रेस ?

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी हर महीने “मन की बात” के ज़रिये देश के लोगों से संवाद स्थापित करते हैं, इसमें वे देश-समाज से जुड़े विकासपरक विषयों पर बात करते हैं। अतः हर महीने देश की जनता में जिज्ञासा रहती है कि वे अबकी इस कार्यक्रम के जरिये किन योजनाओं और नीतियों पर बात करने वाले हैं। लेकिन, विपक्ष और खासकर कांग्रेस पार्टी को शायद हमेशा यह चिंता रहती है कि कैसे हर मुद्दे पर राजनीति की जाए