काउंटर फैक्ट

क्या राहुल गांधी ने दुनिया में देश की छवि खराब करने का जिम्मा ले रखा है?

पहले राहुल गांधी अक्सर गोपनीय विदेश यात्राओं पर निकल जाते थे। कोई नहीं जानता था कि वह कहाँ गए हैं, उनका कोई बयान भी नहीं आता था। बताया जाता कि वह चिंतन-मनन के लिए अज्ञातवास पर गए हैं। लेकिन लम्बा समय बिताकर जब उनकी वापसी होती तो भी कोई फर्क दिखाई नहीं देता था। फिर भी विदेश में उनका कुछ न बोलना देश के लिए राहत की बात

यूएई की मदद का झूठ फैलाने वाले वही लोग हैं जिन्हें ‘क़यामत’ में भी सियासत दिखती है!

केरल इन दिनों बाढ़ की भीषण विभीषिका से दो-चार हो रहा है। बड़ी संख्या में लोग मृत, विस्थापित और घायल हुए हैं। केरल में वामपंथी मोर्चे की सरकार है जिसपर राज्य में भाजपा और संघ के कार्यकर्ताओं की हत्या करवाने और हत्यारों को बचाने का आरोप लगता रहा है। बावजूद इसके भाजपानीत केंद्र सरकार ने बाढ़ की इस आपदा के समय बिना देरी के केरल की मदद को

आईएसआईएस के कारण बताते हुए राहुल गांधी को इस्लामिक कट्टरता का ध्यान क्यों नहीं आया?

कांग्रेस अध्‍यक्ष राहुल गांधी दो दिनों के जर्मनी दौरे पर गए। उन्‍होंने हैमबर्ग के ब्यूकेरियस समर स्कूल के कैंपनागेल थिएटर एवं बर्लिन में भारतीय समुदाय को संबोधन दिया। वहां जाने का उनका मकसद जो भी रहा हो, मगर जाहिर यही हुआ कि वे वहां केवल और केवल केंद्र की भाजपा सरकार को कोसने गए थे। यह काम वे भारत में भी कर सकते थे, लेकिन पता नहीं उनके

सिद्धू की पाकिस्तान यात्रा का बचाव कर कांग्रेस शहीदों के अपमान के सिवा और क्या कर रही है?

सिद्धू का पाकिस्तान जाना और मणिशंकर अय्यर की कांग्रेस में वापसी एक ही समय पर हुई। इसी से कांग्रेस के वर्तमान  वैचारिक आधार का अनुमान लगाया जा सकता है। अय्यर ने पाकिस्तान जाकर कभी जयचंद की याद ताजा कर दी थी। वहां उन्होंने कहा था कि नरेंद्र मोदी को हटाने के लिए आप ही कुछ करिए। अब सिद्धू पाकिस्तानी सेना प्रमुख को झप्पी देकर आए

धर्मनिरपेक्षता की आड़ में मुस्लिमपरस्ती के कांग्रेसी खेल को अब जनता समझ चुकी है!

हाल ही में “इंकलाब” नामक उर्दू अखबार को दिए इंटरव्‍यू में कांग्रेस अध्‍यक्ष राहुल गांधी ने कहा कि कांग्रेस “मुसलमानों” की पार्टी है। भले ही इस इंटरव्‍यू के बाद खंडन-मंडन का दौर चला हो, लेकिन इस बयान से राहुल गांधी की कांग्रेस का असली चरित्र ही उजागर होता है।

उत्तराखंड में त्रिवेंद्र सरकार का भ्रष्टाचार पर अबतक का सबसे बड़ा वार!

उत्तराखंड में एक चर्चा आम होती है कि प्रदेश के पहाड़ी इलाकों की सर्पाकार, ऊंची चोटियों व खतरनाक ढलान वाली सड़कों में भले ही वाहन फर्राटे नहीं भर पाते हों। मगर इस नवगठित राज्य का माहौल भ्रष्टाचारियों के लिए एक्सप्रेसवे की तरह साबित होता है। जहां वह तूफानी गति से दौड़तें हैं और किसी प्रकार की दुर्घटना अथवा जोखिम से मुक्त रहते हैं।

आम आदमी की उम्मीद और यकीन को धूमिल करने वाले नेता बन गए हैं केजरीवाल!

पत्रकार से नेता बने आम आदर्मी पार्टी के वरिष्‍ठ नेता आशुतोष के इस्‍तीफे ने पार्टी की नींव हिलाने का काम किया। भले ही केजरीवाल इस्‍तीफा स्‍वीकार नहीं करने की बात कर रहे हैं, लेकिन इतना तो तय है कि आम आदर्मी पार्टी अब खास आदमी पार्टी बन चुकी है। आशुतोष अरविंद केजरीवाल की तानाशाही और भ्रष्‍ट कार्यशैली के पहले शिकार नहीं हैं। इससे पहले

कांग्रेस-जेडीएस बताएं कि उन्होंने अपनी राजनीति चमकाने के लिए जनता के पैसे किस अधिकार से उड़ाए हैं?

एक आरटीआई से चौंकाने वाला खुलासा सामने आया है। यह खुलासा तथाकथित आम आदमी अरविंद केजरीवाल को लेकर है। पिछले दिनों कर्नाटक में जनता दल सेक्‍युलर की सरकार बनी थी। पार्टी के नेता एचडी कुमारस्‍वामी के शपथ ग्रहण समारोह को बहुत विलासिता पूर्ण ढंग से आयोजित किया गया था। मालूम हो कि कर्नाटक के विधानसभा चुनाव में भाजपा सबसे अधिक

‘पत्रकारों का एक ऐसा वर्ग है जिसके लिए देश की सब समस्याएँ 2014 के बाद ही पैदा हुई हैं’

किसी भी पत्रकार को अपनी निष्पक्षता या महानता के ढिंढोरा पीटने की आवश्यकता नहीं होती, यह निर्धारण समाज स्वतः ही कर लेता है। इतना तय है कि पूर्वाग्रह से पीड़ित व्यक्ति कभी निष्पक्ष नहीं हो सकता। वह भी एक प्रकार के एजेंडे पर ही चलता है। जिसके प्रति उंसकी कुंठा होती है, उसमें भूल कर भी उसे कोई अच्छाई दिखाई नहीं देती। ऐसे लोग जब किसी न्यूज़ चैनल से

असहिष्णुता की आंधी और पुरस्कार वापसी की अंतर्कथा

अजीब आंधी थी वह। धूल और बवंडर के साथ कुछ वृक्षों को धराशायी करती हुई। किस दिशा से आई है, केंद्र क्या है, इस पर अलग-अलग कयास लगाये जा रहे थे। भारत का संपूर्ण शिक्षित समुदाय जो अखबार पढ़ता और टी.वी. देखता है, इस विवाद में शामिल हो गया था। पुरस्कार वापसी पर पक्ष और विपक्ष – दो वर्ग बन गए थे। पक्ष हल्का, विपक्ष भारी।