काउंटर फैक्ट

हर शर्मिंदगी से ऊपर उठ चुके हैं केजरीवाल !

दिल्ली को राहत मिली कि उसके मुख्यमंत्री नौ दिन के वातानुकूलित धरने के बाद सकुशल वापस आ गए। इतिहास में जिस प्रकार राजा जंग या शिकार के लिए जाया करते थे, वैसे ही अरविंद केजरीवाल धरने पर चले जाते हैं। उनके साथ धरने पर बैठे उपमुख्यमंत्री मनीष सिसौदिया और मंत्री सत्येद्र जैन अस्पताल में पहुंच गए थे। खैर, अरविंद केजरीवाल ने फजीहत होती देख

पाकिस्तान की भाषा बोल रहे कांग्रेसी नेताओं पर कोई कार्रवाई क्यों नहीं करते राहुल गांधी !

एक तरफ जहाँ केंद्र की मोदी सरकार देश की एकता एवं अखंडता को हर हाल में सुनिश्चित करने के लिए तत्पर है। तो वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस पार्टी लगातार देश को तोड़ने की अपनी मंशा पर काम करती दिखाई देती है। अभी हाल ही में भारतीय जनता पार्टी ने जम्मू-कश्मीर में अपनी सहयोगी पीडीपी के साथ कानून व्यवस्था और तमाम मुद्दों को लेकर सरकार से अपना समर्थन

‘आप’ नेता सुखपाल खैहरा के देश तोड़क बयान पर केजरीवाल की ख़ामोशी का मतलब क्या है ?

कुछ लोग हैं जो आग से खेलने की कोशिश कर रहे, लेकिन उन्हें अंजाम का ज़रा भी इल्म नहीं है। ऐसे ही लोग खालिस्तान और रेफेरेंडम-2020 के नाम पर सियासी रोटियाँ सेंकने में लगे हैं। पंजाब में शांति ऐसे नहीं आई, हजारों बेगुनाह लोगों, सेना के जवानों और पंजाब पुलिस बलों की कुर्बानी के बाद पंजाब में अमन-चैन  का राज कायम हुआ। लेकिन, सब जानते-बूझते हुए भी पिछले

अब खैर मनाएं आतंकी, फिर शुरू हो रहा ऑपरेशन ऑलआउट !

आखिर केंद्र की मोदी सरकार ने रविवार को वह अहम फैसला ले ही लिया, जिसके लिए पिछले कुछ दिनों से काफी उम्‍मीद जताई जा रही थी। सरकार ने निर्णय लिया है कि अब फिर कश्‍मीर में आतंकियों के खिलाफ पुनः सैन्य ऑपरेशन चलाया जाएगा। सरकार ने यह निर्णय प्रधानमंत्री मोदी की अध्यक्षता वाली उच्च स्तरीय कमिटी की बैठक में लिया जिसमें गृहमंत्री

‘अजीब’ पीएम मोदी का फिटनेस वीडियो नहीं, ‘अजीब’ राहुल गांधी का उसपर हँसना है !

2019 के चुनाव में विपक्षी एकता की कवायद को गति देने की कोशिश के रूप में बीते दिनों राहुल गांधी ने इफ्तार पार्टी का आयोजन किया। इसमें तृणमूल कांग्रेस, वाम आदि कई विपक्षी दलों के प्रतिनिधि मौजूद रहे। यहाँ तक सब ठीक चल रहा था, लेकिन राहुल गांधी तो राहुल गांधी हैं, उनका कोई भी काम तब तक पूरा नहीं होता, जबतक वे उसमें मोदी का नाम न ले लें और

मोदी की हत्या की माओवादी साजिश पर किस मुंह से तंज कर रहे हैं, पी चिदंबरम !

पुणे पुलिस ने सात जून को एक अदालत में खुलासा किया कि प्रतिबंधित भाकपा (माओवादी) के लोग प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की हत्या की साजिश रच रहे हैं, ये प्लानिंग पिछले साल भर से की जा रही है। पुलिस का दावा है कि माओवादी  नरेन्द्र मोदी की जन सभाओं और रोड शो को निशाना बना सकते हैं, ठीक उसी तरह जैसे पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी को निशाना बनाया गया था।

राजनिवास के सोफे पर लेटे हुए केजरीवाल की यह तस्वीर क्या कह रही है ?

भारतीय राजनीति में धरना बहुत प्रचलित शब्द है। महात्मा गांधी ने इसे अंग्रेजों के खिलाफ हथियार बनाया था। स्वतंत्रता के बाद भी अनेक परिवर्तनकारी धरने देखे गए। दिल्ली के मुख्यमंत्री को यह धरोहर समाजसेवी अन्ना हजारे से मिली। लेकिन, केजरीवाल इसे हर बार नए कलेवर में पेश करते हैं। अन्ना हजारे का धरना-अनशन केजरीवाल के हांथों में पहुंच कर नाटक की भांति लगने

वाह रे नेताजी, बंगला खाली करने का सारा गुस्सा बंगले पर ही उतार दिए !

उत्तर प्रदेश में बंगला विवाद अभी तक थमा नहीं है।सुप्रीम कोर्ट के फैसलें के पश्चात् यूपी के दो पूर्व मुख्यमंत्री एवं पार्टी अध्यक्षों ने बंगला खाली न हों इसके लिए जो पैतरें चले, उससे न केवल वह उपहास के पात्र बने, बल्कि उनकी मर्यादाहीनता को भी समूचे देश ने देखा। सरकारी बंगला हाथ से न फ़िसले, कोर्ट के फ़ैसले  को कैसे ठेंगा दिखाया जाए, इसके हर संभव प्रयास किये गये।

इंतजार करिए, केजरीवाल जल्दी-ही कांग्रेस को ईमानदार पार्टी का तमगा भी दे देंगे !

देश की राजनीति में उस शख्स को किसलिए याद किया जाए, जो देश में बदलाव का नारा लगाते-लगाते दिल्ली के मुख्यमंत्री की कुर्सी तक पहुँच गया।  अपनी कुर्सी यात्रा के क्रम में उस शख्स ने दूसरी पार्टी के नेताओं पर खूब बेबुनियाद इल्जाम भी लगाए, लेकिन जब अदालतों में आरोपों के पक्ष में सबूत पेश करने की बात आई, तो उसने धीरे-धीरे एक-एक कर सबसे माफ़ी मांग ली।

क्या ममता के राज में भाजपा का कार्यकर्ता होना भी गुनाह हो गया है ?

पश्चिम बंगाल में इन दिनों राजनीतिक अराजकता चरम पर है। यह अराजकता इसलिए है, क्‍योंकि वहाँ बीते दिनों दो भाजपा कार्यकर्ताओं की दुर्दांत हत्‍या हुई, लेकिन आश्‍चर्य की बात है कि इन दोनों हत्‍याओं पर बुद्धिजीवियों का दिल नहीं पसीजा है। शायद इसकी वजह ये है कि ये दोनों कार्यकर्ता भाजपा के थे। पहली हत्‍या एक जून को पश्चिम बंगाल के पुरुलिया में हुई।